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गणेश चतुर्थी स्पेशल: राजसमंद के मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में होती है मनोकामना पूरी...पूरे देश में ऐसी प्रतिमा कही नहीं

गणेश चतुर्थी के मौके पर ईटीवी भारत आपको भारत के प्रमुख गणेश मंदिरों के बारे में बता रहा है. इसी के तहत राजस्थान के राजसमंद जिला मुख्यालय पर स्थित मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्रसिद्ध भगवान श्री गणेश के मंदिर के बारे में बताते हैं. जहां आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.

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Published : Sep 1, 2019, 7:36 PM IST

मंशापूर्ण महागणपति मंदिर, mansapurn Mahaganapati mandir

राजसमंद. राजसमंद झील की 9 चौकी पाल मार्ग पर श्री मंशापूर्ण महागणपति का मंदिर स्थित है. महागणपति मंदिर में प्रत्येक बुधवार को विशेष पूजा अर्चना और भव्य महारती होती है. मंशापूर्ण महागणपति में गणेश चतुर्थी पर्व की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. सुबह से गणपति प्रतिमा के दर्शन का क्रम शुरू होगा. जो देर रात तक जारी रहेंगा. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित गोपाल जी द्वारा वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजा पाठ का क्रम शुरू होगा.

राजसमंद के मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में होती है मनोकामना पूरी

मंदिर में गणेश प्रतिमा पूरे देश में अद्वितीय
राजसमंद में विराजित मंशापूर्ण महागणपति सैकड़ों सालों से भक्तों की मंशा को पूर्ण करते आए हैं. सवा 9 फीट की विशालकाय पाषाण के गणेश प्रतिमा पूरे देश में अद्वितीय हैं. जिसमें रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ, सर्फ और मूषक राज समाहित है.

पढ़ें- स्पेशल: घर-घर में विराजेंगे श्रीगणेश..मिट्टी की मूर्ति का ये है महत्व

मंदिर का क्या है इतिहास... जानिए
बताया जाता है कि राजसमंद जिला मुख्यालय जो 350 वर्ष पुराने मेवाड़ की उपराजधानी थी. जहां तत्कालीन महाराणा राज सिंह ने मेवाड़ के आर्थिक दशा एवं असुरक्षित क्षेत्र मेवाड़ जो स्वतंत्रता की अलख को जगाते हुए येन केन प्रकरण अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखा था. ऐसे समय में महाराणा राज सिंह ने अपने विश्वसनीय राव - उमराव सरदारों को यह आमंत्रित कर अपनी मंशा बताई. साथ ही मेवाड़ की दशा पर विचार मंथन किया और यहीं पर श्री गणपति जी के आशीर्वाद से विकासोमुख भाव प्रकट हुए.

पढ़ें- गणेश चतुर्थी स्पेशल : विघ्नहर्ता की प्रतिमाओं में अंकुरित बीज, विसर्जन के बाद उग आएगा पौधा...

महाराणा ने सभी की एक राय से मेवाड़ की समृद्धि हेतु श्री गणपति जी ने श्रद्धा भाव रखते हुए योजनाएं बनाई और अपने मेवाड़ को खोए हुए वैभव एवं धन प्राप्ति के विक्रम संवत 1777 में आम नागरिकों को पेयजल सुलभ कराने हेतु राजसमंद की आधारशिला से गणपति जी की स्थापना कर रखी गई. लगभग 17 वर्ष पश्चात जब राजसमंद झील, राज मंदिर एवं राज प्रसाद का निर्माण पूरा हुआ. उस समय श्री गणपति जी का वैदिक विधि विधान के साथ पूजन अर्चन महाभिषेक हुआ और श्री गणपति जी की इस भव्य प्रतिमा को श्री मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्रसिद्ध हुए.

पढ़ें- गणेश चतुर्थी स्पेशल: कोटा में इस बार आर्टिकल 370 हटने की थीम पर भी बिराजाएंगे गणपति बप्पा​​​​​​​

रिद्धि-सिद्धि शुभ लाभ मूषक सहित संपूर्णता खोलिए विशाल प्रतिमा के चलते मंदिर श्रद्धा और आस्था के प्रमुख केंद्रों में से एक है. राजसमंद झील निर्माण से पूर्व इस स्थान से गोमती नदी पर की थी. श्री गणेश के आशीर्वाद से ही उस समय अपार धन संप्रदा प्राप्त हुई. महाराणा ने राजसमंद निर्माण की राशि से अधिक दान पुण्य निर्धनों में वितरित किया. यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. उनकी मंशापूर्ण होती है तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

राजसमंद. राजसमंद झील की 9 चौकी पाल मार्ग पर श्री मंशापूर्ण महागणपति का मंदिर स्थित है. महागणपति मंदिर में प्रत्येक बुधवार को विशेष पूजा अर्चना और भव्य महारती होती है. मंशापूर्ण महागणपति में गणेश चतुर्थी पर्व की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. सुबह से गणपति प्रतिमा के दर्शन का क्रम शुरू होगा. जो देर रात तक जारी रहेंगा. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित गोपाल जी द्वारा वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजा पाठ का क्रम शुरू होगा.

राजसमंद के मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में होती है मनोकामना पूरी

मंदिर में गणेश प्रतिमा पूरे देश में अद्वितीय
राजसमंद में विराजित मंशापूर्ण महागणपति सैकड़ों सालों से भक्तों की मंशा को पूर्ण करते आए हैं. सवा 9 फीट की विशालकाय पाषाण के गणेश प्रतिमा पूरे देश में अद्वितीय हैं. जिसमें रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ, सर्फ और मूषक राज समाहित है.

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मंदिर का क्या है इतिहास... जानिए
बताया जाता है कि राजसमंद जिला मुख्यालय जो 350 वर्ष पुराने मेवाड़ की उपराजधानी थी. जहां तत्कालीन महाराणा राज सिंह ने मेवाड़ के आर्थिक दशा एवं असुरक्षित क्षेत्र मेवाड़ जो स्वतंत्रता की अलख को जगाते हुए येन केन प्रकरण अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखा था. ऐसे समय में महाराणा राज सिंह ने अपने विश्वसनीय राव - उमराव सरदारों को यह आमंत्रित कर अपनी मंशा बताई. साथ ही मेवाड़ की दशा पर विचार मंथन किया और यहीं पर श्री गणपति जी के आशीर्वाद से विकासोमुख भाव प्रकट हुए.

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महाराणा ने सभी की एक राय से मेवाड़ की समृद्धि हेतु श्री गणपति जी ने श्रद्धा भाव रखते हुए योजनाएं बनाई और अपने मेवाड़ को खोए हुए वैभव एवं धन प्राप्ति के विक्रम संवत 1777 में आम नागरिकों को पेयजल सुलभ कराने हेतु राजसमंद की आधारशिला से गणपति जी की स्थापना कर रखी गई. लगभग 17 वर्ष पश्चात जब राजसमंद झील, राज मंदिर एवं राज प्रसाद का निर्माण पूरा हुआ. उस समय श्री गणपति जी का वैदिक विधि विधान के साथ पूजन अर्चन महाभिषेक हुआ और श्री गणपति जी की इस भव्य प्रतिमा को श्री मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्रसिद्ध हुए.

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रिद्धि-सिद्धि शुभ लाभ मूषक सहित संपूर्णता खोलिए विशाल प्रतिमा के चलते मंदिर श्रद्धा और आस्था के प्रमुख केंद्रों में से एक है. राजसमंद झील निर्माण से पूर्व इस स्थान से गोमती नदी पर की थी. श्री गणेश के आशीर्वाद से ही उस समय अपार धन संप्रदा प्राप्त हुई. महाराणा ने राजसमंद निर्माण की राशि से अधिक दान पुण्य निर्धनों में वितरित किया. यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. उनकी मंशापूर्ण होती है तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

Intro:राजसमंद- भगवान श्री गणेश चतुर्थी कल धूमधाम से पूरे भारतवर्ष में मनाई जाएगी तो वही ईटीवी भारत भी आपको भारत के प्रमुख गणेश मंदिरों के बारे में बता रहा है. इसी के तहत राजस्थान के राजसमंद जिला मुख्यालय पर स्थित मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्रसिद्ध भगवान श्री गणेश के मंदिर के बारे में बताते हैं.आपको बता दें कि मंशापूर्ण महागणपति में गणेश चतुर्थी पर्व की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है.सुबह से गणपति प्रतिमा के दर्शन का क्रम शुरू होगा.


Body:जो देर रात तक सहन तक जारी रहेंगे. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित गोपाल जी द्वारा वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजा पाठ का क्रम शुरू होगा
आइए जानते हैं. मंदिर के इतिहास के बारे में
क्यों कहलाए गणपति से मंशापूर्ण महागणपति, सैकड़ों सालों से भक्तों की मंशा को पूर्ण करते हैं.यह विशालकाय गणपति सवा 9 फीट की विशालकाय पाषाण के गणेश प्रतिमा पूरे देश में अद्वितीय हैं.जिसमें रिद्धि सिद्धि शुभ लाभ सफ एवं मूषक राज समाहित है.कहा जाता है. कि राजसमंद जिला मुख्यालय जो साडे 300 वर्ष पुराने मेवाड़ की उपराजधानी थी जहां तत्कालीन महाराणा राज सिंह ने मेवाड़ के आर्थिक दशा एवं असुरक्षित क्षेत्र मेवाड़ जो स्वतंत्रता की अलग को जगाते हुए येन केन प्रकरण अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखा था. ऐसे समय में महाराणा राज सिंह ने अपने विश्वसनीय राव - उमराव सरदारों को यह आमंत्रित कर अपनी मंशा बताइए साथ ही मेवाड़ की दशा पर विचार मंथन किया और यहीं पर श्री गणपति जी के आशीर्वाद से विकासोमुख भाव प्रकट हुए महाराणा ने सभी की एक राय से मेवाड़ की समृद्धि हेतु श्री गणपति जी ने श्रद्धा भाव रखते हुए योजनाएं बनाई और अपने मेवाड़ को खोए हुए वैभव एवं धन प्राप्ति के विक्रम संवत 1777 में आम नागरिकों को पेयजल सुलभ कराने हेतु राजसमंद की आधारशिला से गणपति जी की स्थापना कर रखी गई.



Conclusion:लगभग 17 वर्ष पश्चात जब राजसमुन्द ,, राजसमंद झील,, राज मंदिर एवं राज प्रसाद का निर्माण पूरा हुआ. उस समय श्री गणपति जी का वैदिक विधि विधान के साथ पूजन अर्चन महाभिषेक हुआ. और श्री गणपति जी की इस भव्य प्रतिमा को श्री मंशापूर्ण महागणपति के नाम से प्रसिद्ध हुए रिद्धि सिद्धि शुभ लाभ मूषक सहित संपूर्णता खोलिए विशाल प्रतिमा के चलते मंदिर श्रद्धा और आस्था के प्रमुख केंद्रों में से एक है.राजसमंद झील निर्माण से पूर्व इस स्थान से गोमती नदी बहा करती थी.श्री गणेश के आशीर्वाद से ही उस समय अपार धन संप्रदा प्राप्त हुई. महाराणा ने राजसमंद निर्माण की राशि से अधिक दान पुण्य निर्धनों में वितरित किया. यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं.उनकी मंशापूर्ण होती है.तथा सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.श्री मंशापूर्ण महागणपति मंदिर में प्रत्येक बुधवार को विशेष पूजा अर्चना और भव्य महारती होती है. for राजसमंद झील की नो चोकी पाल मार्ग पर श्री मंशापूर्ण महागणपति का मंदिर स्थित है.
बाइट गोपाल जी मुख्य पुजारी
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