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SPECIAL : भक्तों के नहीं आने से श्रीनाथजी का मंदिर सूना... पेंटिंग, मुकुट और श्रृंगार का 10 करोड़ का कारोबार प्रभावित

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देश में लागू लॉकडाउन का असर हर वर्ग पर पड़ा है. इसी वजह से नाथद्वारा के व्यापार को भी गहरा आघात पहुंचाया है. व्यापारियों का कहना है कि पिछले तीन महीनों के दरमियान धर्मनगरी नाथद्वारा में 10 करोड़ से अधिक का व्यापार प्रभावित हुआ है. देखिए राजसमंद से ये स्पेशल रिपोर्ट...

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भगवान भरोसे चल रहा नाथद्वारा का व्यापार
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Published : Jun 26, 2020, 10:13 PM IST

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से हर व्यवसाय को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले करीब 3 महीनों से लॉकडाउन के कारण प्रदेश के सभी व्यवसायिक और व्यापारिक गतिविधियां ठप रही. एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से राजसमंद की धर्मनगरी नाथद्वारा में 20 करोड़ से अधिक का व्यापार प्रभावित हुआ है. इसमें सबसे अधिक नुकसान भगवान श्रीनाथजी की छवि, पेंटिंग और मुकुट श्रृंगार क्षेत्र को हुआ है.

धर्मनगरी नाथद्वारा में 10 करोड़ का कारोबार प्रभावित

व्यापारियों के अनुसार इस घाटे से उबरने में पूरा साल या उससे अधिक समय लग सकता है. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा में भी बाकी देश की तरह ही सब्जी, दूध और राशन के अलावा तकरीबन हर व्यवसाय को नुकसान को उठाना पड़ा है, लेकिन कारोबारी और व्यवसायिक के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान गणगौर, नवरात्रि, महाप्रभुजी उत्सव, स्नान यात्रा आदि अन्य त्योहारों सहित पूरे ग्रीष्मकालीन अवकाश निकल गए. इन त्योहारों में अवकाश में बड़ी तादात में खरीदारी होती थी. खासतौर से ग्रीष्मकालीन अवकाश में नाथद्वारा के बाजार दर्शनार्थियों से गुलजार रहते थे, जो छवियां, मुकुट श्रृंगार सहित श्रीनाथजी से जुड़ी वस्तुओं की जमकर खरीदारी करते थे.

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ग्राहकों के बिना सूनी पड़ी दुकान

अप्रैल और मई महीने में स्कूलों में अवकाश रहते थे, इसलिए नाथद्वारा में काफी संख्या में दर्शनार्थी आते थे. इससे श्रीनाथजी की छवियां, श्रीनाथजी लालन जी, लड्डू गोपाल के श्रृंगार और वस्तुओं का व्यवसाय खूब होता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से यह सारी गतिविधियां ठप हैं. ऐसे में व्यापारियों और कारोबारियों के साथ इन व्यवसाय से जुड़े कारीगरों और श्रमिकों पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. जिसे लेकर व्यापारियों और व्यवसायियों ने अब सरकार से इन कारीगरों और श्रमिकों के लिए राहत पैकेज देने की मांग की है.

पढ़ें: SPECIAL: मूर्तिकारों की भी अब भगवान से यही आस, फिर लौटा दो वो ही पुराने दिन

साथ ही, उन्होंने ऐसे व्यवसाई जिन पर बैंकों का लोन है. उसमें भी राहत देने की मांग की है. जिससे व्यापारियों की परेशानी कम हो सके. व्यापारियों का कहना है कि इन दोनों व्यवसाय से जुड़े हुए मूर्ति की खुदाई करने वाले, फ्रेम बनाने वाले, कांच लगाने वाले, माला बनाने वाले, मुकुट बनाने वाले सहित सभी प्रकार के काम करने वाले श्रमिक प्रभावित हुए हैं.

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श्रीनाथजी की पेंटिंग बनाता कारीगर

श्रीनाथजी की छवियों का व्यापार करने वाले व्यापारियों ने बताया कि छवियां, हाथ कलम, पिछवाई और पेंटिंग की करीब सवा सौ से अधिक दुकानें हैं और इतने ही कारखाने भी हैं. मुकुट शृंगार की बात करें तो नाथद्वारा में इस व्यवसाय से जुड़ी 100 के करीब दुकानें हैं और 60 से अधिक छोटे बड़े कारखाने हैं. यह कारखाने नाथद्वारा में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लड्डू गोपाल के श्रृंगार और वस्त्र सप्लाई करते हैं.

पढ़ें : SPECIAL : निजी अस्पताल भी कोविड-19 उपचार के इच्छुक, सरकार की गाइडलाइन का इंतजार

जानकारों के अनुसार, लॉकडाउन के इन तीन माह के दरमियान नाथद्वारा के दोनों प्रमुख व्यवसाय में 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. व्यापारियों की दुकान कारखानों का किराया, लाइट बिल अन्य खर्चे भी जस के तस बने हुए हैं. ऐसे में अब यदि 30 जून के बाद श्रीनाथजी के दर्शन खुल भी जाते हैं, तो भी लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान से उबरने में काफी वक्त लग जाएगा.

राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से हर व्यवसाय को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले करीब 3 महीनों से लॉकडाउन के कारण प्रदेश के सभी व्यवसायिक और व्यापारिक गतिविधियां ठप रही. एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से राजसमंद की धर्मनगरी नाथद्वारा में 20 करोड़ से अधिक का व्यापार प्रभावित हुआ है. इसमें सबसे अधिक नुकसान भगवान श्रीनाथजी की छवि, पेंटिंग और मुकुट श्रृंगार क्षेत्र को हुआ है.

धर्मनगरी नाथद्वारा में 10 करोड़ का कारोबार प्रभावित

व्यापारियों के अनुसार इस घाटे से उबरने में पूरा साल या उससे अधिक समय लग सकता है. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा में भी बाकी देश की तरह ही सब्जी, दूध और राशन के अलावा तकरीबन हर व्यवसाय को नुकसान को उठाना पड़ा है, लेकिन कारोबारी और व्यवसायिक के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान गणगौर, नवरात्रि, महाप्रभुजी उत्सव, स्नान यात्रा आदि अन्य त्योहारों सहित पूरे ग्रीष्मकालीन अवकाश निकल गए. इन त्योहारों में अवकाश में बड़ी तादात में खरीदारी होती थी. खासतौर से ग्रीष्मकालीन अवकाश में नाथद्वारा के बाजार दर्शनार्थियों से गुलजार रहते थे, जो छवियां, मुकुट श्रृंगार सहित श्रीनाथजी से जुड़ी वस्तुओं की जमकर खरीदारी करते थे.

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ग्राहकों के बिना सूनी पड़ी दुकान

अप्रैल और मई महीने में स्कूलों में अवकाश रहते थे, इसलिए नाथद्वारा में काफी संख्या में दर्शनार्थी आते थे. इससे श्रीनाथजी की छवियां, श्रीनाथजी लालन जी, लड्डू गोपाल के श्रृंगार और वस्तुओं का व्यवसाय खूब होता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से यह सारी गतिविधियां ठप हैं. ऐसे में व्यापारियों और कारोबारियों के साथ इन व्यवसाय से जुड़े कारीगरों और श्रमिकों पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. जिसे लेकर व्यापारियों और व्यवसायियों ने अब सरकार से इन कारीगरों और श्रमिकों के लिए राहत पैकेज देने की मांग की है.

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साथ ही, उन्होंने ऐसे व्यवसाई जिन पर बैंकों का लोन है. उसमें भी राहत देने की मांग की है. जिससे व्यापारियों की परेशानी कम हो सके. व्यापारियों का कहना है कि इन दोनों व्यवसाय से जुड़े हुए मूर्ति की खुदाई करने वाले, फ्रेम बनाने वाले, कांच लगाने वाले, माला बनाने वाले, मुकुट बनाने वाले सहित सभी प्रकार के काम करने वाले श्रमिक प्रभावित हुए हैं.

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श्रीनाथजी की पेंटिंग बनाता कारीगर

श्रीनाथजी की छवियों का व्यापार करने वाले व्यापारियों ने बताया कि छवियां, हाथ कलम, पिछवाई और पेंटिंग की करीब सवा सौ से अधिक दुकानें हैं और इतने ही कारखाने भी हैं. मुकुट शृंगार की बात करें तो नाथद्वारा में इस व्यवसाय से जुड़ी 100 के करीब दुकानें हैं और 60 से अधिक छोटे बड़े कारखाने हैं. यह कारखाने नाथद्वारा में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लड्डू गोपाल के श्रृंगार और वस्त्र सप्लाई करते हैं.

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जानकारों के अनुसार, लॉकडाउन के इन तीन माह के दरमियान नाथद्वारा के दोनों प्रमुख व्यवसाय में 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. व्यापारियों की दुकान कारखानों का किराया, लाइट बिल अन्य खर्चे भी जस के तस बने हुए हैं. ऐसे में अब यदि 30 जून के बाद श्रीनाथजी के दर्शन खुल भी जाते हैं, तो भी लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान से उबरने में काफी वक्त लग जाएगा.

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