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स्पेशल: निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ रहा आदिवासी बाहुल्य प्रतापगढ़ जिले का ये सरकारी स्कूल

आदिवासी बाहुल्य प्रतापगढ़ जिला में शिक्षा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ती जा रही है. यहां चकुंडा में राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल पूरे अरनोद उपखंड क्षेत्र में सभी सुविधाओं से युक्त पहला स्कूल बन गया है. ये स्कूल जिले के सभी निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ता नजर आ रहा है.

प्रतापगढ़ में निजी स्कूल, Government school in Pratapgarh
निजी स्कूलों को पीछे छोड़ रहा ये सरकारी स्कूल
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Published : Feb 19, 2020, 5:32 PM IST

प्रतापगढ़. आदिवासी बाहुल्य जिले प्रतापगढ़ में भी अब शिक्षा के प्रति लोगों की जागरूकता लगातार बढ़ती जा रही है. विभाग के साथ-साथ ग्रामीण भी अब इस क्षेत्र में अपना सहयोग देने के लिए लगातार आगे आ रहे हैं. ग्रामीणों के सहयोग के चलते अरनोद उपखंड के चकुंडा गांव का सरकारी स्कूल निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ता नजर आ रहा है. इस स्कूल को इस स्थिति में लाने के लिए ग्रामीणों के साथ-साथ यहां के स्टाफ का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है.

ग्रामीण और स्कूल स्टाफ की मेहनत के चलते ये स्कूल पूरे उपखंड क्षेत्र में सभी सुविधाओं से युक्त पहला स्कूल बन गया है. ये स्कूल जिले के सभी निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ते हुए नजर आ रहा है. प्रतापगढ़ जिले के अरनोद उपखंड के चकुंडा के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में फिलहाल 494 बच्चे अध्ययनरत हैं. आस-पास के गांव से आने वाले ये बच्चे और उनके अभिभावक अपने क्षेत्र के पास स्कूल होने के बावजूद इन बच्चों को यही शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं और इसके पीछे कारण है यहां की बेहतर सुविधाएं, जो निजी स्कूल से भी ज्यादा हैं.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: बदलने लगी गांव की तस्वीर, अब शिक्षित हाथों में गांव की सरकार

स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि बच्चों का मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास हो सके, इसका भी पूरा ध्यान रखा जाता है. आज के वक्त में शिक्षा जहां बहुत बड़ा व्यवसाय बन चुकी है, ऐसे में आदिवासी बहुल क्षेत्र में रहने वाले गरीब अपने बच्चों को निजी स्कूल की शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाते हैं.

निजी स्कूलों को पीछे छोड़ रहा ये सरकारी स्कूल

ग्रामीणों और स्कूल स्टाफ ने बच्चों की उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए स्कूल में जन सहयोग से कंप्यूटर लैब, सीसीटीवी, आरओ वाटर और बैठने के लिए टेबल कुर्सी सहित कई सुविधाएं उपलब्ध करवाई है. इतना ही नहीं, बच्चों को स्कूल में स्वस्थ्य वातावरण मिले, इसके लिए स्कूल में गार्डन और पेड़-पौधे लगाए गए हैं और इनकी देख-रेख स्कूल का स्टाफ ही करता है.

बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि पैदा हो, इसके लिए यहां कंप्यूटर लैब में बच्चों को प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई करवाई जाती है. इतना ही नहीं, यहां बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा भी मुहैया कराई जाती है, इससे उनके ज्ञान में लगातार हो सके. इस तरह गरीब आदिवासी बच्चों के लिए इस सरकारी स्कूल के शिक्षकों और ग्रामीणों की पहल सराहनीय है.

प्रतापगढ़. आदिवासी बाहुल्य जिले प्रतापगढ़ में भी अब शिक्षा के प्रति लोगों की जागरूकता लगातार बढ़ती जा रही है. विभाग के साथ-साथ ग्रामीण भी अब इस क्षेत्र में अपना सहयोग देने के लिए लगातार आगे आ रहे हैं. ग्रामीणों के सहयोग के चलते अरनोद उपखंड के चकुंडा गांव का सरकारी स्कूल निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ता नजर आ रहा है. इस स्कूल को इस स्थिति में लाने के लिए ग्रामीणों के साथ-साथ यहां के स्टाफ का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है.

ग्रामीण और स्कूल स्टाफ की मेहनत के चलते ये स्कूल पूरे उपखंड क्षेत्र में सभी सुविधाओं से युक्त पहला स्कूल बन गया है. ये स्कूल जिले के सभी निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ते हुए नजर आ रहा है. प्रतापगढ़ जिले के अरनोद उपखंड के चकुंडा के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में फिलहाल 494 बच्चे अध्ययनरत हैं. आस-पास के गांव से आने वाले ये बच्चे और उनके अभिभावक अपने क्षेत्र के पास स्कूल होने के बावजूद इन बच्चों को यही शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं और इसके पीछे कारण है यहां की बेहतर सुविधाएं, जो निजी स्कूल से भी ज्यादा हैं.

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स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि बच्चों का मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास हो सके, इसका भी पूरा ध्यान रखा जाता है. आज के वक्त में शिक्षा जहां बहुत बड़ा व्यवसाय बन चुकी है, ऐसे में आदिवासी बहुल क्षेत्र में रहने वाले गरीब अपने बच्चों को निजी स्कूल की शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाते हैं.

निजी स्कूलों को पीछे छोड़ रहा ये सरकारी स्कूल

ग्रामीणों और स्कूल स्टाफ ने बच्चों की उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए स्कूल में जन सहयोग से कंप्यूटर लैब, सीसीटीवी, आरओ वाटर और बैठने के लिए टेबल कुर्सी सहित कई सुविधाएं उपलब्ध करवाई है. इतना ही नहीं, बच्चों को स्कूल में स्वस्थ्य वातावरण मिले, इसके लिए स्कूल में गार्डन और पेड़-पौधे लगाए गए हैं और इनकी देख-रेख स्कूल का स्टाफ ही करता है.

बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि पैदा हो, इसके लिए यहां कंप्यूटर लैब में बच्चों को प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई करवाई जाती है. इतना ही नहीं, यहां बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा भी मुहैया कराई जाती है, इससे उनके ज्ञान में लगातार हो सके. इस तरह गरीब आदिवासी बच्चों के लिए इस सरकारी स्कूल के शिक्षकों और ग्रामीणों की पहल सराहनीय है.

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