प्रतापगढ़ (जयपुर). प्रतापगढ़ के जिला चिकित्सालय में भर्ती हुई प्रसूताओं को प्रथम प्रसव के दौरान मिलने वाला 5 लीटर घी केवल कागजों में सिमट कर रह गया है. घी सप्लाई करने वाले ठेकेदार के लाखों रुपए का पेमेंट अटका होने से वह प्रसूताओं को 1 साल बाद देने की बात कर रहा है. दूसरी ओर अधिकारी इस विषय में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.
अपनी पत्नी ज्योति को 8 जनवरी को जिला चिकित्सालय में प्रसव के लिए भर्ती करवाने आए राहुल ग्वाला ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रसूताओं के लिए प्रथम प्रसव पर 5 लीटर घी देने की योजना है. पहले तो इसके लिए टोकन लेने के लिए दस पन्द्रह दिनों तक चक्कर लगाना पड़ा. टोकन तो मिल गया अब घी के लिए चक्कर लगा रहे हैं.
आज टोकन एक साल के बाद 'घी'
राहुल बताते हैं कि ठेकेदार कह रहा है 1 साल बाद घी लेने के लिए आना. ऐसे में सरकार की यह योजना केवल कागजों में सिमटी रह गयी है. दूसरी ओर ठेकेदार का कहना है कि पिछले पांच-सात महीनों से उसके सात लाख रुपए के बिल अटके हुए हैं. प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, सहकारी दुग्ध संघ में उसने 7 लाख रूपए के बिल भेज रखे हैं, जो अभी तक क्लियर नहीं हुए हैं.
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ठेकेदार ने बताया कि विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान दें तो प्रसूताओं को इस योजना का व्यवस्थित तरीके से लाभ मिल सकता है. फिलहाल, मरीजों को तो घी के नाम पर केवल टोकन ही मिल रहा है.