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SPECIAL : कागजों में सिमट कर रह गया प्रसूताओं को मिलने वाला घी, ठेकेदार के 7 लाख बकाया

प्रदेश सरकार की ओर से चिकित्सालय में प्रथम प्रसव पर प्रसूताओं को मिलने वाले घी पर प्रतापगढ़ में ग्रहण लगा हुआ है. यहां आने वाली प्रसूताओं को यह घी 1 साल बाद आकर ले जाने को कहा जाता है.

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प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय में नहीं मिल रहा प्रसूताओं को घी
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Published : Feb 11, 2020, 6:31 PM IST

प्रतापगढ़ (जयपुर). प्रतापगढ़ के जिला चिकित्सालय में भर्ती हुई प्रसूताओं को प्रथम प्रसव के दौरान मिलने वाला 5 लीटर घी केवल कागजों में सिमट कर रह गया है. घी सप्लाई करने वाले ठेकेदार के लाखों रुपए का पेमेंट अटका होने से वह प्रसूताओं को 1 साल बाद देने की बात कर रहा है. दूसरी ओर अधिकारी इस विषय में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय में नहीं मिल रहा प्रसूताओं को घी

अपनी पत्नी ज्योति को 8 जनवरी को जिला चिकित्सालय में प्रसव के लिए भर्ती करवाने आए राहुल ग्वाला ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रसूताओं के लिए प्रथम प्रसव पर 5 लीटर घी देने की योजना है. पहले तो इसके लिए टोकन लेने के लिए दस पन्द्रह दिनों तक चक्कर लगाना पड़ा. टोकन तो मिल गया अब घी के लिए चक्कर लगा रहे हैं.

आज टोकन एक साल के बाद 'घी'

राहुल बताते हैं कि ठेकेदार कह रहा है 1 साल बाद घी लेने के लिए आना. ऐसे में सरकार की यह योजना केवल कागजों में सिमटी रह गयी है. दूसरी ओर ठेकेदार का कहना है कि पिछले पांच-सात महीनों से उसके सात लाख रुपए के बिल अटके हुए हैं. प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, सहकारी दुग्ध संघ में उसने 7 लाख रूपए के बिल भेज रखे हैं, जो अभी तक क्लियर नहीं हुए हैं.

यह भी पढे़ं : जोधपुर : पहली पत्नी को रख दूसरी को कहा 'तलाक...तालाक...तलाक'

ठेकेदार ने बताया कि विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान दें तो प्रसूताओं को इस योजना का व्यवस्थित तरीके से लाभ मिल सकता है. फिलहाल, मरीजों को तो घी के नाम पर केवल टोकन ही मिल रहा है.

प्रतापगढ़ (जयपुर). प्रतापगढ़ के जिला चिकित्सालय में भर्ती हुई प्रसूताओं को प्रथम प्रसव के दौरान मिलने वाला 5 लीटर घी केवल कागजों में सिमट कर रह गया है. घी सप्लाई करने वाले ठेकेदार के लाखों रुपए का पेमेंट अटका होने से वह प्रसूताओं को 1 साल बाद देने की बात कर रहा है. दूसरी ओर अधिकारी इस विषय में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय में नहीं मिल रहा प्रसूताओं को घी

अपनी पत्नी ज्योति को 8 जनवरी को जिला चिकित्सालय में प्रसव के लिए भर्ती करवाने आए राहुल ग्वाला ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से प्रसूताओं के लिए प्रथम प्रसव पर 5 लीटर घी देने की योजना है. पहले तो इसके लिए टोकन लेने के लिए दस पन्द्रह दिनों तक चक्कर लगाना पड़ा. टोकन तो मिल गया अब घी के लिए चक्कर लगा रहे हैं.

आज टोकन एक साल के बाद 'घी'

राहुल बताते हैं कि ठेकेदार कह रहा है 1 साल बाद घी लेने के लिए आना. ऐसे में सरकार की यह योजना केवल कागजों में सिमटी रह गयी है. दूसरी ओर ठेकेदार का कहना है कि पिछले पांच-सात महीनों से उसके सात लाख रुपए के बिल अटके हुए हैं. प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, सहकारी दुग्ध संघ में उसने 7 लाख रूपए के बिल भेज रखे हैं, जो अभी तक क्लियर नहीं हुए हैं.

यह भी पढे़ं : जोधपुर : पहली पत्नी को रख दूसरी को कहा 'तलाक...तालाक...तलाक'

ठेकेदार ने बताया कि विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान दें तो प्रसूताओं को इस योजना का व्यवस्थित तरीके से लाभ मिल सकता है. फिलहाल, मरीजों को तो घी के नाम पर केवल टोकन ही मिल रहा है.

Intro:प्रदेश सरकार की ओर से चिकित्सालय में प्रथम प्रसव पर प्रसूताओं को मिलने वाले 5 लीटर घी पर प्रतापगढ़ में ग्रहण लगा हुआ है। यहां पर पिछले 6 महीनों से मिलने वाला आया घी केवल कागजों में सिमट कर रह गया है। यहां आने वाली प्रसूताओं को यह धी 1 साल बाद आकर ले जाने को कहा जाता है।
प्रतापगढ़ के जिला चिकित्सालय में भर्ती प्रसूताओं को प्रथम प्रसव के दौरान मिलने वाला 5 लीटर घी केवल कागजों में सिमट कर रह गया है ।घी सप्लाई करने वाले ठेकेदार के लाखों रुपए का पेमेंट अटका होने से वह प्रसूताओं को 1 साल बाद देने की बात कर रहा है. दूसरी ओर अधिकारी इस विषय में कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। यह हालात पिछले सात-आठ महीनों से बने हुए हैं।

अपनी पत्नी ज्योति ग्वाला को 8 जनवरी को जिला चिकित्सालय में प्रसव के लिए भर्ती करवाने वाले राहुल ग्वाला ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रसुताओं के लिए प्रथम प्रसव पर 5 लीटर घी देने की जो योजना है पहले तो इस के लिए टोकन लेने के लिए दस पन्द्रह दिनों तक चक्कर लगाना पड़ा। टोकन तो मिल गया अब घी के लिए चक्कर लगा रहे हैं. ठेकेदार कह रहा है 1 साल बाद घी लेने के लिए आना, ऐसे में सरकार की यह योजना यह केवल कागजों में सिमटी हुई है । दूसरी ओर ठेकेदार का कहना है कि पिछले पांच सात महीनों से उसके सात लाख रुपए के बिल अटके हुए हैं। प्रतापगढ़ चित्तौड़गढ़ सहकारी दुग्ध संघ में उसने 7 लाख रूपए के बिल भेज रखे हैं ,जो अभी तक क्लियर नहीं हुए हैं। विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान दें तो प्रसूताओं को इस योजना का व्यवस्थित तरीके से लाभ मिल सकता है. फिलहाल मरीजों को तो घी के नाम पर केवल टोकन मिल रहा है.Body:बाइट 1 - राहुल ग्वाला प्रसूता का पति काले जैकेट में
बाइट 2 - शैलेंद्र सिंह घी सप्लायर ठेकेदारConclusion:कागजों में सिमट कर रह गया प्रसूता को मिलने वाला घी, ठेकेदार के 7 लाख बकाया इस लिए घी के लिए भटक रहे परिजन
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