पाली. भामाशाहों की इस नगरी में चुनाव होने के बाद जनप्रतिनिधियों के किए गए वादे महज वादे ही रह गए. साल 2019 में पाली के तीन ऐसे बड़े कार्य थे. जिनकी जिले को सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, लेकिन वह पूरे नहीं हो पाए.
जवाई पुनर्भरण योजना का कार्य अटका
पाली की हलक तर करने के लिए जवाई पुनर्भरण योजना को लेकर लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं. जिसके लिए 6 हजार करोड़ रुपए की डीपीआर बनाने के बाद राशि मंजूर नहीं हुई. केंद्र में आज भी मामला अटका हुआ है. इस योजना के तहत साबरमती बेसिन से पानी को डायवर्ट कर जवाई बांध तक लाने की योजना बनाई गई थी. इसमें 8.5 करोड़ खर्च कर डीपीआर भी तैयार की गई. डीपीआर की स्वीकृति के लिए राज्य और केंद्र सरकार को भेजी गई. साल 2019 में जवाई पुनर्भरण को लेकर कोई काम नहीं हो पाया. राज्य और केंद्र सरकार के बीच डीपीआर अटकी रही. केंद्रीय जल बोर्ड ने भी इस प्रोजेक्ट को लेकर राशि मंजूर नहीं की है.
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आवास योजना बनी राजनीति का शिकार
2013 में आवास योजना का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उद्घाटन किया था. जिसके बाद से यह योजना अटक रही है. नगर परिषद की ओर से रमासीया के पास 263.19 बीघा जमीन पर राजीव विहार आवास योजना की प्लानिंग की गई थी. जिसका उद्घाटन अक्टूबर 2013 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था. इसमें 800 भूखंड आवंटित किए गए थे. बता दें, कि 5 साल तक पूर्व भाजपा बोर्ड ने यहां कोई कार्य नहीं करवाया. यह योजना पूरी तरह से राजनीति का शिकार हो गई. इस वर्ष नए बोर्ड ने इस योजना को फिर से शुरू करने की घोषणा की है.
शौर्य पथ का निर्माण कार्य अटका
शहर के शिवाजी सर्कल से लोडिया नहर तक शौर्य पथ का निर्माण कराया जाना था. 2019 में इसकी काफी उम्मीद की जा रही थी. नगर परिषद की ओर से इसको लेकर मंजूरी भी मिली, लेकिन रुड़ीप के कार्यों ने इसे अटका दिया. सड़क के बीच डिवाइडर लगाने के साथ उस पर लाइटिंग भी लगाकर इस रोड को सुंदर बनाना था. जिससे यहां पर पिछले 20 सालों में हुए हादसों में कई लोगों की जान चली गई. इन हादसों को रोकने के लिए इस प्रोजेक्ट को लाया गया था, लेकिन इस साल भी इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो पाया.