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खारडा बांध बढ़ा रहा किसानों की परेशानी

पाली की प्रदूषण की समस्या राजस्थान सरकार ही नहीं केंद्र सरकार भी भलीभांति परिचित है. लगातार रंगीन पानी बांडी नदी में बहाने से रोहट का नेहड़ा बांध अब पूरी तरह से बंजर हो चुका है. इसके आसपास किसानों के खेत खलियान सभी बंजर हो चुके हैं. किसानों की इस पीड़ा को देखकर एनजीटी ने कपड़ा उद्योग पर काफी सख्ती भी की. लेकिन इसके बाद भी यह प्रदूषण कम नहीं हो रहा. अब पाली का प्रदूषण रोहट क्षेत्र के दूसरे बांध खारडा बांध को अपनी चपेट में लेने की तैयारी कर रहा है.

बिन पानी सब सून
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Published : Jul 9, 2019, 1:03 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 4:35 PM IST

पाली. पिछले डेढ़ साल में पाली में संचालित होने वाले कपड़ा उद्योग से निकलने वाला अन ट्रीट रंगीन पानी अलग अलग माध्यमों से इस खारडा बांध तक आ पहुंचा है और अब अखाड़ा बांध बंजर होना शुरू हो चुका है. अपने पूर्वजों के समय से यहां पर खेती कर रहे किसान और पशुपालक अब चिंता ग्रस्त हो चुके हैं. उन्हें यही चिंता सता रही है कि आने वाली उनकी पीढ़ी आने वाली उनकी अगली पीढ़ियों के लिए इस गांव में कोई रोजगार उपलब्ध नहीं होगा और उन्हें अपने रोजगार के लिए यहां से पलायन करना होगा.

खारड़ा बांध की इस पीड़ा को उजागर करने के लिए ईटीवी की टीम खारड़ा गांव पहुंची. जहां ग्रामीणों ने बर्बाद होते अपने खेतों का दर्द को बयां किया. ग्रामीणों ने बताया आज से 2 साल पहले अखाड़ा बांध के आसपास बनी बेरियों में मीठा पानी होता था. जिससे पूरा गांव अपनी हलक तर करता था. लेकिन अब बेरियों में रंगीन पानी आने लग गया और पानी भी पूरी तरह से एसिड युक्त कड़वा हो चुका है. और बांध की मिट्टी देखे तो उस पर भी अब रसायनिक खराब नजर आने लगी है. इस कारण से अब बांध की जमीन पर ना तो कृषि हो पाती है और ना ही कोई फसल. ग्रामीणों का कहना है कि 2 साल पहले तक यहां पर भरपूर खेती-बाड़ी होती थी. उनकी फसलें लहराती थी. लेकिन जब से रंगीन पानी का दंश इस बांध के आस पास पहुंचा है तब से यहां पर किसानों की चिंताएं बढ़ चुकी है.

खारड़ा गांव के किसानों ने बताया कि जब पाली में स्थापित टैक्सटाइल पार्क का रंगीन पानी खारड़ा बांध की सीमा में पहुंचा था. उस समय से ही ग्रामीणों ने सरकार, अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के सामने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया था. लगातार ग्रामीण बांध में आ रहे रंगीन पानी के सैंपल, उनके बंजर होते खेतों की मिट्टी और कुओं के पानी के सैंपल अधिकारियों के पास लेकर गए. लेकिन अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.

अपनी लगातार पीड़ा बताने के बाद भी जब किसानों की समस्या का हल नहीं हुआ तो किसान भी मजबूरन चुप्पी साध कर बैठ गए. अब किसान इसी चिंता में हैं कि उनके खेत अब धीरे-धीरे रंगीन पानी की चपेट में आ रहे हैं और बंजर होते जा रहे हैं. ऐसे में जिन खेतों में आज से 2 साल पहले हरी-भरी फसल होती थी. अब किसी भी उत्पादन के लायक नहीं रही है. किसान अब अपनी अगली पीढ़ी को गांव से पलायन करने की ही सीख दे रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अब उनका परंपरागत रोजगार कृषि व पशुपालन बांध में रंगीन पानी आने से खत्म होता जा रहा है.

पाली. पिछले डेढ़ साल में पाली में संचालित होने वाले कपड़ा उद्योग से निकलने वाला अन ट्रीट रंगीन पानी अलग अलग माध्यमों से इस खारडा बांध तक आ पहुंचा है और अब अखाड़ा बांध बंजर होना शुरू हो चुका है. अपने पूर्वजों के समय से यहां पर खेती कर रहे किसान और पशुपालक अब चिंता ग्रस्त हो चुके हैं. उन्हें यही चिंता सता रही है कि आने वाली उनकी पीढ़ी आने वाली उनकी अगली पीढ़ियों के लिए इस गांव में कोई रोजगार उपलब्ध नहीं होगा और उन्हें अपने रोजगार के लिए यहां से पलायन करना होगा.

खारड़ा बांध की इस पीड़ा को उजागर करने के लिए ईटीवी की टीम खारड़ा गांव पहुंची. जहां ग्रामीणों ने बर्बाद होते अपने खेतों का दर्द को बयां किया. ग्रामीणों ने बताया आज से 2 साल पहले अखाड़ा बांध के आसपास बनी बेरियों में मीठा पानी होता था. जिससे पूरा गांव अपनी हलक तर करता था. लेकिन अब बेरियों में रंगीन पानी आने लग गया और पानी भी पूरी तरह से एसिड युक्त कड़वा हो चुका है. और बांध की मिट्टी देखे तो उस पर भी अब रसायनिक खराब नजर आने लगी है. इस कारण से अब बांध की जमीन पर ना तो कृषि हो पाती है और ना ही कोई फसल. ग्रामीणों का कहना है कि 2 साल पहले तक यहां पर भरपूर खेती-बाड़ी होती थी. उनकी फसलें लहराती थी. लेकिन जब से रंगीन पानी का दंश इस बांध के आस पास पहुंचा है तब से यहां पर किसानों की चिंताएं बढ़ चुकी है.

खारड़ा गांव के किसानों ने बताया कि जब पाली में स्थापित टैक्सटाइल पार्क का रंगीन पानी खारड़ा बांध की सीमा में पहुंचा था. उस समय से ही ग्रामीणों ने सरकार, अधिकारी व जनप्रतिनिधियों के सामने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया था. लगातार ग्रामीण बांध में आ रहे रंगीन पानी के सैंपल, उनके बंजर होते खेतों की मिट्टी और कुओं के पानी के सैंपल अधिकारियों के पास लेकर गए. लेकिन अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.

अपनी लगातार पीड़ा बताने के बाद भी जब किसानों की समस्या का हल नहीं हुआ तो किसान भी मजबूरन चुप्पी साध कर बैठ गए. अब किसान इसी चिंता में हैं कि उनके खेत अब धीरे-धीरे रंगीन पानी की चपेट में आ रहे हैं और बंजर होते जा रहे हैं. ऐसे में जिन खेतों में आज से 2 साल पहले हरी-भरी फसल होती थी. अब किसी भी उत्पादन के लायक नहीं रही है. किसान अब अपनी अगली पीढ़ी को गांव से पलायन करने की ही सीख दे रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अब उनका परंपरागत रोजगार कृषि व पशुपालन बांध में रंगीन पानी आने से खत्म होता जा रहा है.

Last Updated : Aug 13, 2022, 4:35 PM IST
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