पाली. जिले की जीवन रेखा माना जाने वाला कपड़ा उद्योग अनलॉक के दौरान एक बार फिर से पटरी पर आ चुका है. साथ ही पाली के कपड़े की देशभर में अपनी अलग पहचान कायम है. वहीं, पाली के कपड़ा उद्योग के शुरू होने के साथ ही वो चिमनिया शुरू हो चुकी हैं, जिनसे प्रदूषण फैलता है. ऐसे में पाली में प्रदूषण का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है.
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करीब 2 महीने के लॉकडाउन के दौरान जहां पाली में प्रदूषण पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर आ गया था, वहीं एक बार फिर से पाली का प्रदूषण चरम पर है और बांडी नदी में भी प्रदूषित पानी पहुंचने लगा है. बांडी नदी में रंगीन पानी आते ही एक बार फिर से किसानों की चिंताएं बढ़ चुकी हैं. बांडी नदी से नेहड़ा बांध तक रहने वाले किसानों को अपने खेतों के फिर से खराब होने की चिंता सता रही है. इस समस्या का अभी से निराकरण करने के लिए इन्होंने अपनी आवाज बुलंद की है. इस ओर प्रशासन को ध्यान दिलाने के लिए गुरुवार को किसान पर्यावरण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने जिला कलेक्टर अंशदीप से मुलाकात की और नदी में आ रहे प्रदूषित पानी को रोकने की मांग की.
किसान पर्यावरण संघर्ष समिति के सचिव महावीर सिंह सुकरलाई ने बताया कि पाली में लॉकडाउन के बाद कपड़ा उद्योग शुरू होते ही उद्यमियों और प्लांट नंबर-6 की ओर से रंगीन और प्रदूषित पानी बांडी नदी में सीधा बहाया जा रहा है. ये पानी धीरे-धीरे नेहड़ा बांध में पहुंचने लगा है. पिछले साल अच्छी बारिश होने के बावजूद नेहड़ा बांध पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त हो चुका था. लेकिन, अब बांडी नदी में फिर से बहाए जा रहे प्रदूषित पानी के कारण किसान नेहरा बांध को लेकर काफी चिंता में हैं.
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किसान पर्यावरण संघर्ष समिति के मुताबिक खरीफ की फसलों की बुवाई हो चुकी है और आने वाली बारिश से नेहड़ा बांध भर जाएगा. अगर इस प्रदूषित पानी को अभी नहीं रोका गया तो ये सारा प्रदूषित पानी बारिश के समय नदी के प्रवाह के साथ नेहरा बांध में चला जाएगा और नेहड़ा बांध का पानी किसानों की खेती के काम नहीं आ सकेगा. इस समस्या का निराकरण करने के लिए सभी किसानों ने जिला कलेक्टर से मुलाकात की है. साथ ही किसान पर्यावरण संघर्ष समिति ने ये भी कहा है कि अगर प्रशासन ने समय पर उनकी मांग पर समाधान नहीं किया तो किसानों को आक्रामक रूप भी अपनाना पड़ेगा.