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पाली: प्रदूषण से कपड़ा उद्योग पर मंडराने लगे संकट के बादल, NGT ने दिखाई सख्ती - पाली न्यूज

सोमवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर वीरेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में संबंधित विभागों की बैठक हुई, जिसमें पाली में संचालित हो रही 658 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों से निकलने वाले पानी को ट्रीट करने और बांडी नदी में प्रदूषित पानी के मुद्दे को लेकर विशेष चर्चा हुई. एडीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एनजीटी द्वारा लगातार जिले में प्रदूषण की समस्या को लेकर सख्ती जताई जा रही है.

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सोमवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर वीरेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में संबंधित विभागों की बैठक हुई.
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Published : Nov 9, 2020, 2:41 PM IST

पाली. जिले में प्रदूषण ( Pollution in Pali ) के चलते कपड़ा उद्योग पर संकट मंडराने लगा है. सोमवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर वीरेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में संबंधित विभागों की बैठक हुई, जिसमें पाली में संचालित हो रही 658 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों से निकलने वाले पानी को ट्रीट करने और बांडी नदी में प्रदूषित पानी के मुद्दे को लेकर विशेष चर्चा हुई. एडीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एनजीटी द्वारा लगातार जिले में प्रदूषण की समस्या को लेकर सख्ती जताई जा रही है. इससे उद्यमियों को भी परेशानी हो रही है और कपड़ा उद्योग पर भी संकट खड़ा होने लगा है. अगर उद्यमी इस तरह की लापरवाही करना नहीं छोड़ेंगे तो भविष्य में पाली के कपड़ा उद्योग पर संकट के काले बादल और भी गहरे हो जाएंगे.

यह भी पढ़ें: कर्मचारियों को तोहफा : अब दिपावली पर बोनस भी मिलेगा और वेतन कटौती भी होगी स्वैच्छिक

किसानों की जमीन हुई बंजर

बता दें कि पाली से गुजरने वाली बांडी नदी में कपड़ा इकाइयों द्वारा कई वर्षों से प्रदूषित पानी बहाया जा रहा है. इसके चलते बड़ी नदी के किनारे बसे 15 से ज्यादा किसानों की जमीन पूरी तरह से बंजर हो गई है. किसानों ने इस समस्या को एनजीटी कोर्ट में रखा, जहां एनजीटी ने पिछले 6 सालों से पाली के कपड़ा उद्योग पर सख्ती कर रखी है. 2 वर्ष पूर्व एनजीटी के आदेश पर पाली का कपड़ा उद्योग करीब 6 माह तक बंद भी रहा था. इस कारण पाली के सैकड़ों उद्यमियों ने अपनी फैक्ट्री को बंद कर दिया. 6 माह तक पाली के 40,000 से ज्यादा कपड़ा उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों पर भी संकट खड़ा हो गया था.

यह भी पढ़ें: हॉर्स ट्रेडिंग का कथित वायरल ऑडियो पर बोले खाचरियावास, कहा- BJP का दोहरा चरित्र दोहरा, जनता इस पार्टी को परमानेंट खारिज करे

जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार के सामने गुहार लगाने के बाद 6 माह बाद एनजीटी ने पाली के कपड़ों को फिर से शुरू करने की छूट दी. लेकिन, अब फिर प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. एनजीटी ने जिला कलेक्टर को समस्या को खत्म करने एवं एनजीटी के नियमों की पालना करवाने के लिए तलब किया है.

पाली. जिले में प्रदूषण ( Pollution in Pali ) के चलते कपड़ा उद्योग पर संकट मंडराने लगा है. सोमवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर वीरेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में संबंधित विभागों की बैठक हुई, जिसमें पाली में संचालित हो रही 658 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों से निकलने वाले पानी को ट्रीट करने और बांडी नदी में प्रदूषित पानी के मुद्दे को लेकर विशेष चर्चा हुई. एडीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एनजीटी द्वारा लगातार जिले में प्रदूषण की समस्या को लेकर सख्ती जताई जा रही है. इससे उद्यमियों को भी परेशानी हो रही है और कपड़ा उद्योग पर भी संकट खड़ा होने लगा है. अगर उद्यमी इस तरह की लापरवाही करना नहीं छोड़ेंगे तो भविष्य में पाली के कपड़ा उद्योग पर संकट के काले बादल और भी गहरे हो जाएंगे.

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किसानों की जमीन हुई बंजर

बता दें कि पाली से गुजरने वाली बांडी नदी में कपड़ा इकाइयों द्वारा कई वर्षों से प्रदूषित पानी बहाया जा रहा है. इसके चलते बड़ी नदी के किनारे बसे 15 से ज्यादा किसानों की जमीन पूरी तरह से बंजर हो गई है. किसानों ने इस समस्या को एनजीटी कोर्ट में रखा, जहां एनजीटी ने पिछले 6 सालों से पाली के कपड़ा उद्योग पर सख्ती कर रखी है. 2 वर्ष पूर्व एनजीटी के आदेश पर पाली का कपड़ा उद्योग करीब 6 माह तक बंद भी रहा था. इस कारण पाली के सैकड़ों उद्यमियों ने अपनी फैक्ट्री को बंद कर दिया. 6 माह तक पाली के 40,000 से ज्यादा कपड़ा उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों पर भी संकट खड़ा हो गया था.

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जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार के सामने गुहार लगाने के बाद 6 माह बाद एनजीटी ने पाली के कपड़ों को फिर से शुरू करने की छूट दी. लेकिन, अब फिर प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. एनजीटी ने जिला कलेक्टर को समस्या को खत्म करने एवं एनजीटी के नियमों की पालना करवाने के लिए तलब किया है.

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