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प्रदूषण पर तल्ख एनजीटी, इस बार नगर परिषद-रीको से मांग काम का मांगा ब्यौरा

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Published : Mar 5, 2021, 8:23 PM IST

पाली में दिनों-दिन प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. जिसके बाद अब इस समस्या को लेकर राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल पूरी तरह से सख्त हो चुका है. प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से नगर परिषद वर्गों से लिखित में जवाब मांगा है कि दोनों विभागों ने पाली में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए क्या-क्या कार्य किए हैं.

Pollution problem increased in Pali, पाली में बढ़ी प्रदूषण की समस्या
पाली में प्रदूषण पर तल्ख एनजीटी

पाली. जिले में तेजी से बढ़ रही प्रदूषण की समस्या को लेकर एनजीटी के तल्ख रवैये के बाद अब राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल पूरी तरह से सख्त हो चुका है. गत दिनों राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की चेयरमैन वीनू गुप्ता के पाली दौरे पर आने और उनकी प्रदूषण को लेकर नाराजगी के बाद प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों ने एनजीटी के आदेश पर अब नगर परिषद और रीको को आड़े हाथों लिया है.

प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से नगर परिषद वर्गों से लिखित में जवाब मांगा है कि दोनों विभागों ने पाली में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए क्या-क्या कार्य किए हैं. पाली में बने नालों से बह रहे प्रदूषित पानी को बिना ट्रीट किए सीधे बांडी नदी में डाला जा रहा है. जिस सीवरेज का पानी बताया जा रहा है, इस पर नगर परिषद ने भी अपना जवाब प्रदूषण नियंत्रण मंडल को लिखने की तैयारी कर दी है.

दरअसल जानकारी है कि पाली में बढ़ रही प्रदूषण की समस्या को लेकर रीको की ओर से औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले सभी ना लो में रोका डालकर उन्हें बंद कर दिया गया है. ऐसे में फैक्ट्रियों और क्षेत्र से सीवरेज के लिए निकाले गए नालों में फैक्ट्री संचालकों की ओर से चोरी-छिपे रंगीन पानी बहाया जा रहा है. यह सीवरेज का पानी सीधे ही पानी नदी में उतर रहा है और इससे भी बांडी नदी को प्रदूषित होना बताया गया है. इसके चलते और नियंत्रण मंडल की ओर से नगर परिषद और रिको से इस संबंध में जवाब मांगा है. रीको की ओर से प्रदूषण नियंत्रण मंडल को जवाब में सभी नालों को रोका लगाकर बंद करने की बात कही गई है.

पढ़ें- प्रदेश में अब हाईकोर बंदियों की खैर नहीं, बेड़े में शामिल होंगी बुलेट प्रूफ गाड़ियां

इधर, नगर परिषद की ओर से कहा जा रहा है कि नगर परिषद क्षेत्र से निकलने वाले सभी सिवरेज वालों को एसटीपी से जोड़ दिया गया है. इसके तहत पाली शहर के सीवरेज पानी को पूरी तरह से रीयूज कर उसे फैक्ट्रियों में उपयोग के लिए सप्लाई किया जा रहा है. साथ ही जो स्लज बच रहा है, उसे रासायनिक प्रक्रिया से कॉल बनाकर तैयार किया जा रहा है. नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयां बसी हुई है. वहां फैक्ट्रियों और सीवरेज के लिए अलग-अलग नाले हैं. उन्होंने कहा है कि सीवरेज के नालों में अगर रंगीन पानी आ रहा है, तो इसकी अंतिम स्तर तक जांच कर अंतिम रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी.

पाली. जिले में तेजी से बढ़ रही प्रदूषण की समस्या को लेकर एनजीटी के तल्ख रवैये के बाद अब राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल पूरी तरह से सख्त हो चुका है. गत दिनों राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की चेयरमैन वीनू गुप्ता के पाली दौरे पर आने और उनकी प्रदूषण को लेकर नाराजगी के बाद प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों ने एनजीटी के आदेश पर अब नगर परिषद और रीको को आड़े हाथों लिया है.

प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से नगर परिषद वर्गों से लिखित में जवाब मांगा है कि दोनों विभागों ने पाली में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए क्या-क्या कार्य किए हैं. पाली में बने नालों से बह रहे प्रदूषित पानी को बिना ट्रीट किए सीधे बांडी नदी में डाला जा रहा है. जिस सीवरेज का पानी बताया जा रहा है, इस पर नगर परिषद ने भी अपना जवाब प्रदूषण नियंत्रण मंडल को लिखने की तैयारी कर दी है.

दरअसल जानकारी है कि पाली में बढ़ रही प्रदूषण की समस्या को लेकर रीको की ओर से औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले सभी ना लो में रोका डालकर उन्हें बंद कर दिया गया है. ऐसे में फैक्ट्रियों और क्षेत्र से सीवरेज के लिए निकाले गए नालों में फैक्ट्री संचालकों की ओर से चोरी-छिपे रंगीन पानी बहाया जा रहा है. यह सीवरेज का पानी सीधे ही पानी नदी में उतर रहा है और इससे भी बांडी नदी को प्रदूषित होना बताया गया है. इसके चलते और नियंत्रण मंडल की ओर से नगर परिषद और रिको से इस संबंध में जवाब मांगा है. रीको की ओर से प्रदूषण नियंत्रण मंडल को जवाब में सभी नालों को रोका लगाकर बंद करने की बात कही गई है.

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इधर, नगर परिषद की ओर से कहा जा रहा है कि नगर परिषद क्षेत्र से निकलने वाले सभी सिवरेज वालों को एसटीपी से जोड़ दिया गया है. इसके तहत पाली शहर के सीवरेज पानी को पूरी तरह से रीयूज कर उसे फैक्ट्रियों में उपयोग के लिए सप्लाई किया जा रहा है. साथ ही जो स्लज बच रहा है, उसे रासायनिक प्रक्रिया से कॉल बनाकर तैयार किया जा रहा है. नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयां बसी हुई है. वहां फैक्ट्रियों और सीवरेज के लिए अलग-अलग नाले हैं. उन्होंने कहा है कि सीवरेज के नालों में अगर रंगीन पानी आ रहा है, तो इसकी अंतिम स्तर तक जांच कर अंतिम रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी.

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