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पाली में खाप पंचायत का तुगलकी फरमान...बाप को बेटी से अलग रहने का सुनाया फैसला, अब न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर बेटी - Pali Khap Panchayat News

भले ही हम आजादी के 70 साल बाद अपने आप को स्वतंत्र मान आराम से अपना अधिकार निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन आज भी समाज के एक कोने में खाप पंचायतों के तुगलकी फरमान जैसी कुरीतियां पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं. बता दें कि एक ऐसा ही मामला पाली जिले में सामने आया है. जिसमें पीड़िता खाप पंचायत के फैसले के खिलाफ चुनौती देते हुए पुलिस के चक्कर काट रही है.

पाली खाप पंचायत फरमान Pali Khap Panchayat Decree
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Published : Oct 4, 2019, 5:54 PM IST

Updated : Oct 4, 2019, 8:29 PM IST

पाली. भारतीय संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक को समानता और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, लेकिन राजस्थान के पाली जिले में आज भी खाप पंचायत के फैसलों के कारण लोगों को अपना स्वतंत्रता और समानता का अधिकार खोना पड़ रहा है. बता दें कि एक ऐसा ही मामला पाली जिले में सामने आया है, जिसमें खाप पंचायत के एक फैसले ने एक विवाहिता का भरा-पूरा परिवार को पूरी तरह से तोड़ दिया. ऐसे में विवाहिता इन समाज के पंचों के खिलाफ खड़ी हो चुकी है और पुलिस के चक्कर काट रही है.

खाप पंचायत के फरमान ने तोड़ा भरापूरा परिवार

भले ही हम आजादी के 70 साल बाद अपने आप को स्वतंत्र मान आराम से अपना अधिकार निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन आज भी समाज के एक कोने में खाप पंचायतों के तुगलकी फरमान जैसी कुरीतियां पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है. आज भी समाजों की पंचायतों के फैसलों के चलते लोगों को अपना स्वतंत्रता और समानता का अधिकार खोना पड़ रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि स्वतंत्र भारत में आज भी जो इन खाप पंचायतों के खिलाफ होता है उन्हें समाज और परिवार सहित सभी से बहिष्कृत होकर अपने गांव से भी हुक्का पानी बंद करवाना पड़ता है. पाली में इस बार खाप पंचायत का दंश विवाहिता को झेलना पड़ रहा है. खाप पंचायत के फैसले ने इस विवाहिता का भरा पूरा परिवार पूरी तरह से तोड़ दिया है. यहां तक कि इस विवाहिता के समर्थन में उसके पिता को भी बोलने से रोक दिया गया है.

पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव : नाम वापसी के बाद मंडावा में 9 और खींवसर में 3 उम्मीदवार, 21 को मतदान

दरअसल, इस खाप पंचायत के पंचों के खिलाफ खड़ी हुई पीड़िता का विवाह 2008 में रायपुर थाना क्षेत्र के निवासी के साथ हुआ था. शादी के बाद पीड़िता के 2 पुत्र हुए. इसके साथ ही पीड़िता और उनके पति में धीरे-धीरे अनबन भी होना शुरू हो गई. वहीं, अनबन इतनी बढ़ गई कि पीड़िता के साथ मारपीट जैसी घटनाएं भी होने लगी. इस पर पीड़िता ने अपने पिता के साथ समाज में आवाज उठाई. लेकिन, समाज के पंचों ने मिलकर पीड़िता और उसके पिता को ही आरोपी सिद्ध कर दिया और चुप रहने का दबाब दिया गया. वहीं, इस मामले में जब पीड़िता और उसके पिता नहीं माने तो समाज की पंचायत ने उसके पिता पर 20 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया.

पीड़िता का कहना था कि उसके पिता ने समाज के डर से हर्जाना राशि भी समाज में जमा करा दी. लेकिन, इसके बाद समाज ने उसके पिता को भी अपनी बेटी से दूर रहने का कह दिया. इसके बाद से ही पीड़िता पूरी तरह अकेली हो गई और अपने 2 बेटों को लेकर वह न्याय की उम्मीद में दर-दर की ठोकरें खा रही है और इन समाज के पंचों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर वह पाली पुलिस अधीक्षक के सामने पेश हुई. वहीं, इस मामले में शिकायत के बाद पुलिस अधीक्षक ने रायपुर थाना प्रभारी को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं. लेकिन पीड़िता का कहना है जब तक खाप पंचायतों के पंचों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होती है तब तक वह शांत नहीं बैठेगी.

पाली. भारतीय संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक को समानता और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, लेकिन राजस्थान के पाली जिले में आज भी खाप पंचायत के फैसलों के कारण लोगों को अपना स्वतंत्रता और समानता का अधिकार खोना पड़ रहा है. बता दें कि एक ऐसा ही मामला पाली जिले में सामने आया है, जिसमें खाप पंचायत के एक फैसले ने एक विवाहिता का भरा-पूरा परिवार को पूरी तरह से तोड़ दिया. ऐसे में विवाहिता इन समाज के पंचों के खिलाफ खड़ी हो चुकी है और पुलिस के चक्कर काट रही है.

खाप पंचायत के फरमान ने तोड़ा भरापूरा परिवार

भले ही हम आजादी के 70 साल बाद अपने आप को स्वतंत्र मान आराम से अपना अधिकार निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन आज भी समाज के एक कोने में खाप पंचायतों के तुगलकी फरमान जैसी कुरीतियां पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है. आज भी समाजों की पंचायतों के फैसलों के चलते लोगों को अपना स्वतंत्रता और समानता का अधिकार खोना पड़ रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि स्वतंत्र भारत में आज भी जो इन खाप पंचायतों के खिलाफ होता है उन्हें समाज और परिवार सहित सभी से बहिष्कृत होकर अपने गांव से भी हुक्का पानी बंद करवाना पड़ता है. पाली में इस बार खाप पंचायत का दंश विवाहिता को झेलना पड़ रहा है. खाप पंचायत के फैसले ने इस विवाहिता का भरा पूरा परिवार पूरी तरह से तोड़ दिया है. यहां तक कि इस विवाहिता के समर्थन में उसके पिता को भी बोलने से रोक दिया गया है.

पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव : नाम वापसी के बाद मंडावा में 9 और खींवसर में 3 उम्मीदवार, 21 को मतदान

दरअसल, इस खाप पंचायत के पंचों के खिलाफ खड़ी हुई पीड़िता का विवाह 2008 में रायपुर थाना क्षेत्र के निवासी के साथ हुआ था. शादी के बाद पीड़िता के 2 पुत्र हुए. इसके साथ ही पीड़िता और उनके पति में धीरे-धीरे अनबन भी होना शुरू हो गई. वहीं, अनबन इतनी बढ़ गई कि पीड़िता के साथ मारपीट जैसी घटनाएं भी होने लगी. इस पर पीड़िता ने अपने पिता के साथ समाज में आवाज उठाई. लेकिन, समाज के पंचों ने मिलकर पीड़िता और उसके पिता को ही आरोपी सिद्ध कर दिया और चुप रहने का दबाब दिया गया. वहीं, इस मामले में जब पीड़िता और उसके पिता नहीं माने तो समाज की पंचायत ने उसके पिता पर 20 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया.

पीड़िता का कहना था कि उसके पिता ने समाज के डर से हर्जाना राशि भी समाज में जमा करा दी. लेकिन, इसके बाद समाज ने उसके पिता को भी अपनी बेटी से दूर रहने का कह दिया. इसके बाद से ही पीड़िता पूरी तरह अकेली हो गई और अपने 2 बेटों को लेकर वह न्याय की उम्मीद में दर-दर की ठोकरें खा रही है और इन समाज के पंचों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर वह पाली पुलिस अधीक्षक के सामने पेश हुई. वहीं, इस मामले में शिकायत के बाद पुलिस अधीक्षक ने रायपुर थाना प्रभारी को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं. लेकिन पीड़िता का कहना है जब तक खाप पंचायतों के पंचों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होती है तब तक वह शांत नहीं बैठेगी.

Intro:पाली. भले ही हम आजादी का उम्र 70 साल बना रहे हो अपने आप को स्वतंत्र मान हम आराम से अपना अधिकार निर्वहन कर रहे हैं। लेकिन आज भी समाज के एक कोने में खाप पंचायतों के तुगलकी फरमान जैसी कुरीतियां आज भी पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है। आज भी समाजों की पंचायतों के फैसलों के चलते लोगों को अपना स्वतंत्रता और समानता का अधिकार खोना पड़ रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि स्वतंत्र भारत में आज भी जो इन खाप पंचायतों के खिलाफ होता है। उन्हें समाज व परिवार सहित सभी से बहिष्कृत होकर अपने गांव से भी हुक्का पानी बंद करवाना पड़ता है। पाली में इस बार खाप पंचायत का दंश विवाहिता को झेलना पड़ रहा है। खाप पंचायत के फैसले ने इस विवाहिता का भरा पूरा परिवार पूरी तरह से तोड़ दिया है। यहां तक कि इस विवाहिता के समर्थन में उसके पिता को भी बोलने से रोक दिया गया है। ऐसे में विवाहिता इन समाज के पंचों के खिलाफ खड़ी हो चुकी है और पुलिस के दर्द चक्कर काट रही है


Body:दरअसल इस खाप पंचायत के पंचों के खिलाफ खड़ी हुई बर निवासी कन्या देवी का विवाह 2008 में रायपुर थाना क्षेत्र के झोटा गांव के बेरा डे ढाबा निवासी हीरालाल के साथ हुआ था। शादी के बाद कन्या देवी के दो पुत्र हुए। इसके साथ ही कन्या देवी और उनके पति में धीरे-धीरे अनबन भी होना शुरू हो गई। अनबन इतनी बढ़ गई कि कन्या देवी के साथ मारपीट जैसी घटनाएं भी होने लगी। इस पर कन्या देवी ने अपने पिता के साथ समाज में आवाज उठाई। लेकिन समाज के पंचों ने मिलकर कन्या देवी व उसके पिता को ही आरोपी सिद्ध कर दिया। और चुप रहने का दबाव दिया गया। इस मामले में जब कन्या देवी और उसके पिता नहीं माने तो समाज की पंचायत ने उसके पिता पर 20 लाख का जुर्माना लगा दिया। कन्या देवी का कहना था कि उसके पिता ने समाज के डर से हर्जाना राशि भी समाज में जमा करा दी। लेकिन इसके बाद समाज ने उसके पिता को भी अपनी बेटी से दूर रहने का कह दिया। इसके बाद से ही कन्या देवी पूरी तरह अकेली हो गई। और अपने दो बेटों को लेकर वह न्याय की उम्मीद में दर-दर की ठोकरें खा रही है। और इन समाज के पंचों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर वह पाली पुलिस अधीक्षक के सामने पेश हुई। इस मामले में शिकायत के बाद पुलिस अधीक्षक ने रायपुर थाना प्रभारी को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं। लेकिन कन्या देवी का कहना है जब तक खाप पंचायतों के पंचों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होती है तब तक वह शांत नहीं बैठेगी।


Conclusion:
Last Updated : Oct 4, 2019, 8:29 PM IST
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