पाली. आज पूरे विश्व में पेयजल की कमी का संकट मंडरा रहा है. कहीं यह गिरते भू-जल स्तर के रूप में है तो कहीं नदियों के प्रदूषित पानी के रूप में और कहीं तो सूखते, सिमटते तालाब और झील के रूप में है. इसका कारण है कि इन स्रोतों से पानी का भारी दोहन किया जाना. गर्मी की शुरुआत होते ही पाली जिले के कई क्षेत्रों में पेयजल संकट मंडराना शुरू हो चुका है. ऐसे में सबसे संकटग्रस्त क्षेत्र रोहट की स्थितियां अब काफी विपरीत होने लगी है.
रोहट में लोगों को अपनी हलक तर करने के लिए भी अब काफी जतन करना पड़ रहा है. इन सभी के बीच प्रशासन की ओर से प्रति व्यक्ति तक प्रतिदिन 55 लीटर पानी पहुंचाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन ईटीवी भारत की टीम की ओर से की गई ग्राउंड रिपोर्टिंग में ग्रामीणों ने कुछ अलग सच्चाई बताई. प्रशासन की ओर से किए जा रहे दावों को लेकर जब ग्रामीणों से पूछा गया तो इन लोगों को अपनी हलक तर करने के लिए भी पानी का कई दिनों तक इंतजार करने का जबाव मिला.
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में जो नल लगा रखे हैं वहां से यह ग्रामीण बूंद-बूंद पानी भरने को मजबूर हैं. वहीं, रोहट के कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां पानी की टंकी का निर्माण तो कर दिया गया लेकिन उसके बाद से कभी इन पानी की टंकियों में ग्रामीणों के लिए पानी पहुंचा ही नहीं.
वर्षों से है पेयजल का संकट
बता दें कि रोहट में गर्मी के समय में पेयजल संकट काफी वर्षों से चल रहा है. गर्मी की शुरुआत के साथ ही जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के माध्यम से यहां पर लोगों को अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने के लिए टैंकर की व्यवस्था की जाती थी. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासन की ओर से पानी की इतनी माकूल व्यवस्थाएं नहीं की जा सकी है.
रोहट में आने वाली 78 गांव और 91 ढाणियों में से 22 गांव और 18 ढाणियां सूखाग्रस्त घोषित किए जा चुके हैं. इन सूखाग्रस्त गांवों और ढाणियों में पानी के 6 टैंकर प्रतिदिन 24 फेरे लगा रहे हैं, लेकिन इन सभी के बावजूद रोहट क्षेत्र में गांवों तक ना ही पाइपलाइन से पूरा पानी पहुंच पा रहा है और ना ही टैंकर पर्याप्त मात्रा में पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में लोगों के सामने पेयजल का बड़ा संकट मंडरा रहा है.
मवेशियों के लिए संकट
बता दें कि रोहट में लोग अपने पीने के पानी की व्यवस्था तो इधर-उधर से कर देते हैं, लेकिन सबसे बड़ा पेयजल संकट रोहट क्षेत्र में विचरण करने वाले बेसहारा मवेशियों के लिए आ चुका है. इन मवेशियों के लिए क्षेत्र में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. कुछ समाजसेवियों की ओर से गांव के टैंक में पानी डलवा कर इनकी हलक तर करने की सुविधाएं की जा रही है.
रोहट क्षेत्र में पेयजल संकट को देखते हुए पाली विधायक ज्ञानचंद पारख ने प्रशासन के सामने कई बार मांग की है, लेकिन इसके बाद भी समस्या का कोई हल नहीं हो पा रहा है. गत दिनों विधायक पारख ने धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी थी, इसके बाद आनन-फानन में जलदाय विभाग की ओर से रोहट क्षेत्र में आम जनता को राहत देने के लिए विभिन्न प्रयास भी किए गए.
पाइप लाइन में सैकड़ों अवैध कनेक्शन
रोहट में जलापूर्ति के लिए जैतपुर से नेहड़ा और अन्य क्षेत्रों तक पानी की पाइपलाइन पहुंचाई गई है. जलदाय विभाग की ओर से वहां तक पानी सप्लाई करने का दावा भी किया जाता है, लेकिन इस पाइपलाइन के बीच में ही सैकड़ों अवैध कनेक्शन किए जा चुके हैं. इन सभी लाइनों से बूस्टर से पानी खींचा जाता है. जलदाय विभाग की ओर से जब भी पानी छोड़ा जाता है तो वह पानी आम जनता तक पहुंची नहीं पाता है.
मुंह मांगे दामों से मंगवा रहे टैंकर
विधायक ज्ञानचंद पारख ने बताया कि जलदाय विभाग की ओर से पानी के टैंकर को रोहट के कई क्षेत्रों में भेजे जा रहे हैं. लेकिन यह टैंकर आंकड़ों में ही नजर आ रहे हैं. ग्रामीणों को मुंह मांगे दामों पर 1500 से 2000 रुपए देकर पानी के टैंकर लाने पड़ रहे हैं. इन सभी के बीच जो लोग इन टैंकर का मूल्य नहीं दे पा रहे उन्हें मजबूरन दूर से पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है.
100 अवैध कनेक्शन पर कार्रवाई
जलदाय विभाग के एक्सईएन योगेंद्र सिंह ने बताया कि रोहट क्षेत्र में पाइपलाइन से अवैध कनेक्शन के माध्यम से की जा रही पानी की चोरी की शिकायत मिली थी. जिसके बाद विभाग की ओर से पिछले 1 महीने में 100 से ज्यादा कार्रवाई कर अवैध कनेक्शन काटे गए हैं. साथ ही इस संबंध में 5 लोगों के खिलाफ रोहट थाने में मामला भी दर्ज करवाया गया है.
योगेंद्र सिंह ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद अब रोहट क्षेत्र में लोगों की जलापूर्ति के लिए अलग-अलग टीमें भी बनाई गई है. साथ ही पाइप लाइनों में किए गए और भी अवैध कनेक्शनों को हटाने के लिए भी कार्रवाई जारी रहेगी.