पाली. बारिश थमने के साथ जिले में मौसमी बीमारियों का कहर शुरू हो गया है. नगर की कई निचली बस्तियों में बारिश का पानी भर चुका है और यहां निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में एक माह से इन बस्तियों के मैदानों और आसपास के खाली प्लाटों में बारिश का पानी जमा है जिस कारण यहां तेजी से मच्छर पनप रहे हैं. इन बस्तियों के हालात ऐसे हो गए हैं कि शाम होने के बाद लोग घरों से बाहर नहीं बैठ पा रहे हैं.
मच्छरों की तादाद इतनी बढ़ चुकी है कि लोगों को डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों का डर सताने लगा है. हालात यह हैं कि स्थानीय लोगों की ओर से कई बार जनप्रतिनिधियों एवं नगर परिषद में शिकायत की गई है लेकिन अफसर हैं कि ध्यान नहीं दे रहे हैं. इन मोहल्लों में भरे गंदे पानी से अब बदबू आने लगी है जिससे आसपास से गुजरना मुश्किल हो गया है.
![Bad smell from dirty water](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8925771_pali1.png)
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पाली नगर परिषद की सीमा में 65 वार्ड आते हैं. यहां इन वार्डों में करीब 50 बस्तियां नगर के निचले क्षेत्रों में स्थापित हैं. कई बस्तियों में सैकड़ों की संख्या में खाली प्लॉट पड़े हैं. इस बार बारिश देर से हुई, लेकिन जब हुई तो औसत से ज्यादा हुई जिससे निचली बस्तियों में बारिश का पानी भर गया. नगर परिषद की ओर से अभी तक इन बस्तियों से बारिश का पानी निकालने के लिए कोई सुविधा नहीं की गई है. ऐसे में इन खाली प्लॉट और गड्ढों में बारिश का पानी 25 दिनों से भरा हुआ है.
![Mosquitoes thrive by filling water in plots](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8925771_pali2.png)
धीरे-धीरे कर इस बरसाती पानी में मच्छरों का लार्वा पैदा होने लगा है, जिससे इन क्षेत्रों में मच्छर भी पनपने लगे हैं. इसके अलावा अन्य बीमारियां भी इन क्षेत्रों में होने लगी है. जिसके चलते पाली शहर के बांगड़ अस्पताल में ओपीडी भी बढ़ चुकी है. बांगड़ अस्पताल में प्रतिदिन 1200 से लेकर 1500 तक मौसमी बीमारी के मरीज आ रहे हैं. इसके अलावा क्षेत्रों में गड्ढों में भरा पानी लोगों के घरों को भी नुकसान पहुंचा रहा है.
![Water stored in empty plots](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8925771_pali.png)
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कच्ची बस्तियों में सबसे ज्यादा समस्या
जलभराव की सबसे ज्यादा समस्या शहर के आसपास कच्ची बस्तियों में नजर आ रही हैं. यह वह क्षेत्र है, जहां पाली से बाहरी क्षेत्रों में लोग अव्यवस्थित तरीके से बस गए थे. वहां पर गड्ढों से पानी निकासी की भी सुविधा नहीं है. ऐसे में जब भी बारिश होती है तो इन क्षेत्रों में जलभराव और उसके बाद मच्छरों की समस्या काफी तेजी से बढ़ जाती है. पाली के ऐसे 35 से ज्यादा सेक्टर हैं, जहां प्रतिवर्ष मौसमी बीमारियों से ग्रस्त मरीज सबसे ज्यादा सामने आता है.
नई सोसायटी में खाली प्लाट बने समस्या
पाली शहर की कच्ची बस्तियों के अलावा नई बनी सोसाइटी में भी खाली प्लॉट जलभराव की समस्या का कारण बन रहे हैं. लोगों ने पाली में डेवलप हो रही नई सोसाइटी में अपने प्लॉट तो ले लिए, लेकिन उन पर निर्माण नहीं करवाया. ऐसे में बारिश के समय इन प्लॉटों में बारिश का पानी भर जाता है और इस पर प्लॉट मालिक ध्यान नहीं देते. धीरे धीरे कर इन प्लॉटों में झाड़ियां बढ़ जाती हैं और पानी से बदबू उठने लगती है. इस कारण इन प्लॉटों के आसपास रहने वाले लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
लोगों के घरों को भी हो रहा है नुकसान
पाली के इन क्षेत्रों में भरा बरसाती पानी अब यहां बने घरों को भी नुकसान पहुंचाने लगा है. एक माह से इन क्षेत्रों के प्लॉट एवं गड्ढों में पानी भरा हुआ है. इनके किनारे बसे घरों में अब इस जलभराव की समस्या साफ तौर पर नजर आ रही है. लोगों के घरों की दीवारों में सीलन आ रही है. कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों के पानी के हौद और अंडर ग्राउंड कमरों में पानी भरने लगा है। इस समस्या के निराकरण के लिए लोग जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों से कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अभी तक समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है.