पाली. लॉकडाउन के बाद पाली का कपड़ा उद्योग एक बार फिर पटरी पर आ चुका है. साथ ही पाली में प्रदूषण की समस्या भी एक बार फिर से बढ़ गई है. दरअसल, पाली की बाली नदी में फिर से रंगीन पानी आने लगा है. जिसके बाद एक बार फिर से किसानों की आवाज इसके खिलाफ बुलंद होने लगी है. जिसको देखते हुए जिला कलेक्टर अंशदीप ने सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण मंडल, सीईटीपी, जलदाय विभाग व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की.
इस बैठक में सीईटीपी के पदाधिकारियों को कपड़ा उद्योग से निकलने वाले रंगीन पानी को पूरी तरह से ट्रीट करने को लेकर चर्चा की गई. इसके साथ ही पाली में स्थापित हो रहे पाली जेडएलडी प्लांट को लेकर भी चर्चा की गई. फिलहाल सीईटीपी ने जिला कलेक्टर को स्काडा पैटर्न से हो रहे प्रदूषित पानी के ट्रीटमेंट के बारे में बताया.
जिला कलेक्टर के अध्यक्षता में हुई बैठक में पाली में संचालित हो रही 600 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों के संचालन व वहां से निकलने वाले प्रदूषित पानी के ट्रीटमेंट पर विस्तार से चर्चा की गई.
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जिला कलेक्टर ने सभी औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियों के रिकॉर्ड चेक किए. साथ ही प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों से सर्वे रिपोर्ट भी जानी. इसके साथ ही बांडी नदी में प्रभावित हो रहे रंगीन पानी को लेकर जिला कलेक्टर ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से भी जानकारी ली.
उन्होंने क्षेत्र में संचालित हो रही अवैध इकाइयों के बारे में नगर परिषद के अधिकारियों से जानकारी ली. सोमवार को हुई इस बैठक में प्रदूषण के आंकड़े को कम करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने सभी अधिकारियों को अवैध रूप से संचालित हो रही सभी कपड़ा इकाइयों को बंद करवाने के निर्देश दिए हैं.