नागौर. मानसून की अनियमित बरसात के बीच जिले में खरीफ की बुवाई करीब 80 फीसदी तक हो चुकी है. कई किसानों ने पहले बुवाई कर दी थी. उनके खेतों में अब निराई-गुड़ाई का काम चल रहा है. जबकि देरी से बुवाई करने वाले किसान अगले महीने अपने खेतों में निराई-गुड़ाई करेंगे.
बारिश के मौसम में फसलों में कीट नियंत्रण किसानों के लिए एक बड़ी समस्या रहती है. समय पर इन कीटों के नियंत्रण नहीं किया जाए तो शुरुआती स्तर पर ही फसल चौपट होने का खतरा भी बना रहता है. मौलासर कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों ने ग्रामीण इलाकों में इन दिनों फसलों में कीटों के असर का जायजा लिया और किसानों को इन्हें नियंत्रित करने के उपाय बताए.
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दिनों मुंगफली में सफेद और काली लट का असर देखा जा रहा है. इसके लिए किसानों को ट्रैप लगाकर दवा का छिड़काव करना चाहिए. ताकि समय रहते काली और सफेद लट को नियंत्रित किया जा सके. कृषि वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि बाजरे की फसल में बारिश के मौसम में तना भेदक का हमला ज्यादा होता है.
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इसके लिए भी उन्होंने किसानों को दवा के संतुलित मात्रा में छिड़काव की सलाह दी है. जबकि, मूंग और मोठ की फसलों में इन दिनों अंगमारी और काली जड़ का खतरा बना रहता है. अगर शुरुआत में ध्यान नहीं दिया जाए तो फसलों को यह कीट पूरी तरह खराब कर सकते हैं.
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कृषि वैज्ञानिकों ने अलग-अलग फसल में छिड़काव किए जाने वाले कीट नियंत्रकों की जानकारी किसानों को दी और इनके संतुलित मात्रा में छिड़काव की भी सलाह दी. उनका कहना है कि यदि समय रहते इन कीटों पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो इनका असर इतना बढ़ जाता है कि बाद में दवाइयों से भी इन्हें नियंत्रित किया जाना संभव नहीं हो पाता है.