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सांभर झील में पक्षियों की मौत अभी भी रहस्य, 16 हजार से अधिक ने तोड़ा दम - 16,000 पक्षियों ने दम तोड़ा

सांभर झील में भारी संख्या में पक्षियों की मौत का सिलसिला जारी है. लेकिन अभी तक मौत के पीछे की वजह साफ नहीं हो पाई है. लगभग 16 हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत ने सबको हैरत में डाल दिया है. पक्षियों का ब्लड सैंपल लेकर प्रयोगशाला भेज दिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के पीछे की असली वजह का पता लगाया जा सकेगा.

नागौर, more than 16,000 birds died
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Published : Nov 19, 2019, 4:57 PM IST

नागौर. राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील, अब तक पक्षियों के लिए स्वर्ग मानी जाती थी. लेकिन अब विश्व भर में इसकी पहचान देशी-विदेशी पक्षियों के कब्रगाह के रूप में हो रही है.

पक्षियों को बचाने में असमर्थ नजर आ रही सरकार

बावजूद इसके सरकारी तंत्र के हालात ऐसे हैं कि इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के पीछे का कारण तक नहीं पचा तल पाया है. वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने मंगलवार को सांभर झील के गुड्डा साल्ट इलाके का जायजा लिया. साथ ही नावा में बने रेस्क्यू सेंटर में पहुंचकर बीमार पक्षियों के उपचार के बारे में भी जानकारी ली.

इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री ने स्वीकार किया कि अब तक करीब 16,000 पक्षियों ने दम तोड़ चुके हैं. जबकि पर्यावरण वेदों का कहना है कि झील क्षेत्र में मरने वाले पक्षियों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है.

पक्षियों की मौत के पीछे की वजह के बारे में पूछने पर मंत्री ने कहा कि प्रारंभिक तौर पर 'एवियन बोटयूलिस्म' से पक्षियों की मौत की बात सामने आई है. लेकिन, असली कारण जानने के लिए अभी भोपाल और बरेली की प्रयोगशाला की रिपोर्ट का इंतजार है.

पढ़ें: सांभर झील में अब तक करीब 20 हजार पक्षियों की मौत

बता दें कि सांभर झील में हजारों देशी- विदेशी पक्षियों की मौत के आंकड़े को लेकर अभी तक विरोधाभास बना हुआ है. अधिकारी और नेताओं के लगातार दौरे के बाद भी कोई सामाधान नहीं निकाला जा सका है. हालात ये हैं कि जिन पक्षियों को रेस्क्यू किया गया है, उन्हें भी नहीं बचाया जा सका है.

नागौर. राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील, अब तक पक्षियों के लिए स्वर्ग मानी जाती थी. लेकिन अब विश्व भर में इसकी पहचान देशी-विदेशी पक्षियों के कब्रगाह के रूप में हो रही है.

पक्षियों को बचाने में असमर्थ नजर आ रही सरकार

बावजूद इसके सरकारी तंत्र के हालात ऐसे हैं कि इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के पीछे का कारण तक नहीं पचा तल पाया है. वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने मंगलवार को सांभर झील के गुड्डा साल्ट इलाके का जायजा लिया. साथ ही नावा में बने रेस्क्यू सेंटर में पहुंचकर बीमार पक्षियों के उपचार के बारे में भी जानकारी ली.

इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री ने स्वीकार किया कि अब तक करीब 16,000 पक्षियों ने दम तोड़ चुके हैं. जबकि पर्यावरण वेदों का कहना है कि झील क्षेत्र में मरने वाले पक्षियों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है.

पक्षियों की मौत के पीछे की वजह के बारे में पूछने पर मंत्री ने कहा कि प्रारंभिक तौर पर 'एवियन बोटयूलिस्म' से पक्षियों की मौत की बात सामने आई है. लेकिन, असली कारण जानने के लिए अभी भोपाल और बरेली की प्रयोगशाला की रिपोर्ट का इंतजार है.

पढ़ें: सांभर झील में अब तक करीब 20 हजार पक्षियों की मौत

बता दें कि सांभर झील में हजारों देशी- विदेशी पक्षियों की मौत के आंकड़े को लेकर अभी तक विरोधाभास बना हुआ है. अधिकारी और नेताओं के लगातार दौरे के बाद भी कोई सामाधान नहीं निकाला जा सका है. हालात ये हैं कि जिन पक्षियों को रेस्क्यू किया गया है, उन्हें भी नहीं बचाया जा सका है.

Intro:राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील अब तक पक्षियों के लिए जहां स्वर्ग मानी जाती थी अब इसकी पहचान विश्व भर में देसी विदेशी पक्षियों के कब्रगाह के रूप में हो रही है लेकिन सरकारी तंत्र के हालात यह हैं कि अभी तक यह तक पता नहीं चल पाया है कि इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के पीछे असली वजह क्या है वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने आज सांभर झील के गुड्डा साल्ट इलाके में जायजा लिया और नावा में बने रेस्क्यू सेंटर में पहुंचकर बीमार पक्षियों के उपचार के बारे में भी जानकारी ली जहां उन्होंने स्वीकार किया कि अब तक झील क्षेत्र में करीब 16000 पक्षियों करीब 16000 पक्षी दम तोड़ चुके हैं जबकि पर्यावरण वेदों का कहना है की झील क्षेत्र में मरने वाले पक्षियों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है


Body:नागौर. सांभर झील में हजारों देसी-विदेशी पक्षियों की मौत के आंकड़े को लेकर जहां अभी तक विरोधाभास बना हुआ है। वहीं, अधिकारी और नेताओं के लगातार दौरे के बाद भी पक्षियों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। हालात यह हैं कि जिन पक्षियों को रेस्क्यू किया गया है। उनकी भी जान बचाने में कामयाबी नहीं मिल रही है। इस बीच आज वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने गुढा साल्ट इलाके में झील क्षेत्र का दौरा कर पक्षियों की मौत के बाद हालात का जायजा लिया। इसके बाद वे नावां में बने रेस्क्यू सेंटर पहुंचे। जहां झील से बीमार मिले पक्षियों के उपचार के बारे में भी जानकारी ली।
यहां मीडिया से बातचीत में सुखराम बिश्नोई ने स्वीकार किया कि सांभर झील में अब तक करीब 16 हजार पक्षियों के शव बरामद किए जा चुके हैं। उनका कहना है कि झील के करीब करीब हर हिस्से में तलाश की जा चुकी है। पक्षियों की मौत के कारण की वजह के बारे में पूछने पर मंत्री का कहना था कि प्रारंभिक तौर पर एवियन बोटयूलिस्म से पक्षियों की मौत की बात सामने आई है। लेकिन असली कारण जानने के लिए अभी भोपाल और बरेली की प्रयोगशाला की रिपोर्ट का इंतजार है।


Conclusion:एक तरफ सरकारी अधिकारी और जनप्रतिनिधि लगातार दौरे कर रहे हैं। इसके बावजूद हजारों पक्षियों की मौत की असली वजह तक पता नहीं लग पाना तमाम प्रयासों पर सवाल खड़े करता है।
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बाईट- सुखराम बिश्नोई, वन एवं पर्यावरण मंत्री।
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