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Special : सोशल मीडिया से सीख कर किसान ने कोटा में उगा दिए सेब

कोटा के एक किसान ने कमाल कर दिया है. उसने यूट्यूब से सीख कर सेब की खेती करना शुरू किया. करीब दो बीघा के खेत में उसने सीकर से लाकर पौधे लगाए थे, जिनमें ढाई साल बाद अब एप्पल आने लग गए हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

Kota Apple Farming
राजस्थान में सेब की खेती
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Published : Mar 28, 2023, 7:39 PM IST

Updated : Mar 28, 2023, 10:23 PM IST

सोशल मीडिया से सीख कर किसान ने कोटा में उगा दिए सेब...

कोटा. एप्पल की खेती अक्सर ठंडे प्रदेशों में होती है. कोटा जैसे गर्म एरिया में तो इसकी खेती का सोचना भी मुश्किल है, क्योंकि यहां तापमान ज्यादा रहता है. मई-जून के महीने में तापमान 45 से 50 डिग्री के आसपास तक पहुंच जाता है. ऐसे में एप्पल की खेती करना यहां पर मुश्किल ही है, लेकिन कोटा के एक किसान ने यूट्यूब से ही सीख कर सेब की खेती करना शुरू किया. उसने सीकर से लाकर पौधे लगाए थे, जिनमें ढाई साल बाद अब एप्पल आने लग गए हैं. हालांकि, अभी एप्पल कम आए हैं, लेकिन आने वाले एक-दो साल में अच्छी पैदावार किसान को मिलने लगेगी.

बड़ी मात्रा में खेती कर जिले के पहले किसान बने राजेंद्र : कोटा में इतनी बड़ी मात्रा में एप्पल उगा कर जिले के पहले किसान बने राजेंद्र मीणा ने अपने शहर से सटे हुए बालिता इलाके के खेत मे पौध बगीचा लगाया है. राजेंद्र का कहना है कि वह सीकर से 72 पौधों को लेकर आए थे. इनमें से 3 पौधे नहीं लगे, बाकी पौधों को गड्ढा कर उन्होंने अपने खेत के दो बीघा एरिया में लगा दिया था. इसमें से महज 3 पौधे खराब हो गए, जबकि शेष 69 पौधे अच्छी तरह से पनप गए हैं.

Kota Apple Farming
दो बीघा के खेत में लगाए पैधे...

तीन किस्म के पौधे लगाए : राजेंद्र मीणा ने बताया कि उन्होंने कोविड-19 के दौरान जून 2020 में यूट्यूब पर सीकर के बेरी गांव निवासी महिला किसान संतोष खेदड़ का वीडियो देखा था. इसके बाद वे कोटा से सीकर के बेरी गांव पहुंच गए, जहां पर उन्होंने किसान संतोष खेदड़ से बातचीत की इसमें सामने आया कि रेतीले इलाके में जहां कोटा से ज्यादा तापमान गर्मी में रहता है और ठंड भी ज्यादा होती है. ऐसे में कोटा में भी इसे उगाया जा सकता है. जिसके बाद वे हरिमन 999, अन्ना और डेस टोल्ड गोल्डन किस्म के पौध लेकर आए थे.

जब भी जरूरत पड़ी, सोशल मीडिया का किया उपयोग : राजेंद्र का कहना है कि उन्होंने एप्पल की खेती करने के लिए किसी तरह की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. एप्पल की खेती के दौरान जब भी जरूरत होती या कोई गड़बड़ी पौधों में होती थी ते वे तुरंत सोशल मीडिया का उपयोग कर लेते थे. जहां पर उन्हें अपनी समस्या का समाधान भी मिल जाता था. हालांकि, राजेंद्र कक्षा दसवीं भी पास नहीं कर पाए थे, लेकिन अब एक प्रगतिशील किसान बन गए हैं जो कि खुद ही सोशल मीडिया के जरिए नवाचार कर रहे हैं.

पढ़ें : Special :किसानों ने किया 5 लाख मीट्रिक टन लहसुन उत्पादन, व्यापारी बोले- दाम बढ़ने की उम्मीद...

ढाई साल में 8 से 10 फीट के हो गए पौधे : राजेंद्र मीणा का कहना है कि उनके सभी पौधे 8 से 10 फीट के पेड़ हो गए हैं. उन पर इस साल फ्लॉवरिंग आ गई है. अभी 25 से 40 हर पौधें पर फ्लावर है, जिनका वजन भी करीब 50 ग्राम से ज्यादा हो गए हैं. इनका वजन भी लगातार बढ़ रहा है. किसान राजेंद्र मीणा का कहना है कि एप्पल के पौधे सक्सेज होने के बाद अब वे आगे भी इन्हें बढ़ाने वाले हैं. आने वाले दिनों में भी और पौधे लगाने वाले हैं. इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है.

Wonder of Kota Farmer
ढाई साल में 8 से 10 फीट के हो गए पौधे...

पूरी तरह से कर रहे हैं जैविक खेती : किसान राजेंद्र मीणा बालिता इलाके में अपने फार्म हाउस में पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं. उन्होंने एप्पल के अलावा अनार, किन्नू, मौसमी और संतरे के पौधे भी विकसित की है, जिन पर भी फल आने लगे हैं. उन्होंने खेत पर ही गायों को पाला हुआ है, जिनके गोबर और गोमूत्र के जरिए ही जैविक खाद बना रहे हैं. राजेंद्र मीणा का कहना है कि गड्ढे में भी खाद तैयार करता हूं. गाय का गोमूत्र को भी कीटनाशक के रूप में छिड़काव कर रहा. डी कंपोजर दवाई में जीवामृत, आंकड़ा नीम, धतूरा, प्याज व लहसुन शामिल है. पूरी तरह से जैविक खेती है, रासायनिक का उपयोग नहीं करता हूं. इसके अलावा गाय के गोबर की खाद का भी भरपूर उपयोग कर रहा हूं.

नवाचार की प्रशंसा करनी चाहिए : उद्यानिकी विभाग के उपनिदेशक आनंदी लाल मीणा का कहना है कि यह हमारे जिले के पहले किसान हैं, जिन्होंने इतने एप्पल के पौधे लगाए हैं. मैं तो फसल देखकर खुश हुआ हूं कि उन्होंने सक्सेस तरीके से अच्छी पैदा की है. वे फ्रूटिंग स्टेज में लेकर आए हैं, यह फ्रूट भी अच्छे है. यह कोटा जिले के लिए नवाचार है. इनकी प्रशंसा करनी चाहिए. सबसे बड़ी बात यह है कि नवाचारी किसान राजेंद्र मीणा ने पूरी तरह से इन्होंने जैविक खेती की है और सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि इस समय जैविक का बहुत बड़ा महत्व है. हम बहुत रसायन का उपयोग कर रहे हैं, उससे बचने के लिए उन्होंने अपने आप को जैविक किसान के रूप में भी स्थापित किया है.

सोशल मीडिया से सीख कर किसान ने कोटा में उगा दिए सेब...

कोटा. एप्पल की खेती अक्सर ठंडे प्रदेशों में होती है. कोटा जैसे गर्म एरिया में तो इसकी खेती का सोचना भी मुश्किल है, क्योंकि यहां तापमान ज्यादा रहता है. मई-जून के महीने में तापमान 45 से 50 डिग्री के आसपास तक पहुंच जाता है. ऐसे में एप्पल की खेती करना यहां पर मुश्किल ही है, लेकिन कोटा के एक किसान ने यूट्यूब से ही सीख कर सेब की खेती करना शुरू किया. उसने सीकर से लाकर पौधे लगाए थे, जिनमें ढाई साल बाद अब एप्पल आने लग गए हैं. हालांकि, अभी एप्पल कम आए हैं, लेकिन आने वाले एक-दो साल में अच्छी पैदावार किसान को मिलने लगेगी.

बड़ी मात्रा में खेती कर जिले के पहले किसान बने राजेंद्र : कोटा में इतनी बड़ी मात्रा में एप्पल उगा कर जिले के पहले किसान बने राजेंद्र मीणा ने अपने शहर से सटे हुए बालिता इलाके के खेत मे पौध बगीचा लगाया है. राजेंद्र का कहना है कि वह सीकर से 72 पौधों को लेकर आए थे. इनमें से 3 पौधे नहीं लगे, बाकी पौधों को गड्ढा कर उन्होंने अपने खेत के दो बीघा एरिया में लगा दिया था. इसमें से महज 3 पौधे खराब हो गए, जबकि शेष 69 पौधे अच्छी तरह से पनप गए हैं.

Kota Apple Farming
दो बीघा के खेत में लगाए पैधे...

तीन किस्म के पौधे लगाए : राजेंद्र मीणा ने बताया कि उन्होंने कोविड-19 के दौरान जून 2020 में यूट्यूब पर सीकर के बेरी गांव निवासी महिला किसान संतोष खेदड़ का वीडियो देखा था. इसके बाद वे कोटा से सीकर के बेरी गांव पहुंच गए, जहां पर उन्होंने किसान संतोष खेदड़ से बातचीत की इसमें सामने आया कि रेतीले इलाके में जहां कोटा से ज्यादा तापमान गर्मी में रहता है और ठंड भी ज्यादा होती है. ऐसे में कोटा में भी इसे उगाया जा सकता है. जिसके बाद वे हरिमन 999, अन्ना और डेस टोल्ड गोल्डन किस्म के पौध लेकर आए थे.

जब भी जरूरत पड़ी, सोशल मीडिया का किया उपयोग : राजेंद्र का कहना है कि उन्होंने एप्पल की खेती करने के लिए किसी तरह की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. एप्पल की खेती के दौरान जब भी जरूरत होती या कोई गड़बड़ी पौधों में होती थी ते वे तुरंत सोशल मीडिया का उपयोग कर लेते थे. जहां पर उन्हें अपनी समस्या का समाधान भी मिल जाता था. हालांकि, राजेंद्र कक्षा दसवीं भी पास नहीं कर पाए थे, लेकिन अब एक प्रगतिशील किसान बन गए हैं जो कि खुद ही सोशल मीडिया के जरिए नवाचार कर रहे हैं.

पढ़ें : Special :किसानों ने किया 5 लाख मीट्रिक टन लहसुन उत्पादन, व्यापारी बोले- दाम बढ़ने की उम्मीद...

ढाई साल में 8 से 10 फीट के हो गए पौधे : राजेंद्र मीणा का कहना है कि उनके सभी पौधे 8 से 10 फीट के पेड़ हो गए हैं. उन पर इस साल फ्लॉवरिंग आ गई है. अभी 25 से 40 हर पौधें पर फ्लावर है, जिनका वजन भी करीब 50 ग्राम से ज्यादा हो गए हैं. इनका वजन भी लगातार बढ़ रहा है. किसान राजेंद्र मीणा का कहना है कि एप्पल के पौधे सक्सेज होने के बाद अब वे आगे भी इन्हें बढ़ाने वाले हैं. आने वाले दिनों में भी और पौधे लगाने वाले हैं. इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है.

Wonder of Kota Farmer
ढाई साल में 8 से 10 फीट के हो गए पौधे...

पूरी तरह से कर रहे हैं जैविक खेती : किसान राजेंद्र मीणा बालिता इलाके में अपने फार्म हाउस में पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे हैं. उन्होंने एप्पल के अलावा अनार, किन्नू, मौसमी और संतरे के पौधे भी विकसित की है, जिन पर भी फल आने लगे हैं. उन्होंने खेत पर ही गायों को पाला हुआ है, जिनके गोबर और गोमूत्र के जरिए ही जैविक खाद बना रहे हैं. राजेंद्र मीणा का कहना है कि गड्ढे में भी खाद तैयार करता हूं. गाय का गोमूत्र को भी कीटनाशक के रूप में छिड़काव कर रहा. डी कंपोजर दवाई में जीवामृत, आंकड़ा नीम, धतूरा, प्याज व लहसुन शामिल है. पूरी तरह से जैविक खेती है, रासायनिक का उपयोग नहीं करता हूं. इसके अलावा गाय के गोबर की खाद का भी भरपूर उपयोग कर रहा हूं.

नवाचार की प्रशंसा करनी चाहिए : उद्यानिकी विभाग के उपनिदेशक आनंदी लाल मीणा का कहना है कि यह हमारे जिले के पहले किसान हैं, जिन्होंने इतने एप्पल के पौधे लगाए हैं. मैं तो फसल देखकर खुश हुआ हूं कि उन्होंने सक्सेस तरीके से अच्छी पैदा की है. वे फ्रूटिंग स्टेज में लेकर आए हैं, यह फ्रूट भी अच्छे है. यह कोटा जिले के लिए नवाचार है. इनकी प्रशंसा करनी चाहिए. सबसे बड़ी बात यह है कि नवाचारी किसान राजेंद्र मीणा ने पूरी तरह से इन्होंने जैविक खेती की है और सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि इस समय जैविक का बहुत बड़ा महत्व है. हम बहुत रसायन का उपयोग कर रहे हैं, उससे बचने के लिए उन्होंने अपने आप को जैविक किसान के रूप में भी स्थापित किया है.

Last Updated : Mar 28, 2023, 10:23 PM IST
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