कोटा. जिले के रेलगावं में करीब 15 साल से एक युवती को उसके भाई के द्वारा जंजीरों से बांध कर रखा जा रहा था. कोटा के एक सामाजिक कार्यकर्ता को जब इस बात की खबर लगी तो उन्होंने उसे न्यू मेडिकल अस्पताल में मनोचिकित्सा वार्ड में भर्ती कराया और 'अपना घर' अनाथ आश्रम में आश्रय दिया.
दरअसल, 2003 में मां के देहान्त के बाद बालिका का दिमागी हालत गड़बड़ा गई. वहीं पिता की दोनों किडनियां खराब होने से बालिका पूजा कराड़ को किसी ने नहीं सम्भाला. उसके परिजनों के रूप में सिर्फ उसका एक भाई और पिता है. पिता कि दोनों किडनियां खराब है जिसके चलते वे भी डिसएबल है. उसके भाई ने बताया कि मानसिक संतुलन खोने से वो हर किसी पर हमला कर देती थी, जिसके चलते उसे जंजीरों से बांध कर रखना पड़ा था.
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश तिवारी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक बालिका को जंजीरों से बांध कर रखा गया है तो उन्होंने वहां जाकर इसको आजाद करवाया और 'अपना घर' आश्रम में सूचना दी. इसके बाद इसे आश्रम की एम्बुलेंस से मेडिकल कालेज अस्पताल में लेकर आये और यहां भर्ती करवाया. इसको सम्भालने वाला कोई नहीं होने से इसको अपना घर आश्रम में रखा जाएगा.