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15 साल से जंजीरों में जकड़ी थी पूजा की जिन्दगी, अब जगी 'आजादी' की आस

कोटा में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने दिमागी रूप से बीमार एक युवती को मेडिकल अस्पताल में भर्ती करवाकर 'अपना घर' अनाथ आश्रम में जगह दी. युवती पिछले 15 सालों से मानसिक रूप से बीमार थी जिसे जंजीरों में बांध कर रखा जा रहा था.

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Published : Jul 10, 2019, 9:20 PM IST

युवती को छुड़वाया जंजीरों से

कोटा. जिले के रेलगावं में करीब 15 साल से एक युवती को उसके भाई के द्वारा जंजीरों से बांध कर रखा जा रहा था. कोटा के एक सामाजिक कार्यकर्ता को जब इस बात की खबर लगी तो उन्होंने उसे न्यू मेडिकल अस्पताल में मनोचिकित्सा वार्ड में भर्ती कराया और 'अपना घर' अनाथ आश्रम में आश्रय दिया.

सामाजिक कार्यकर्ता ने युवती को छुड़वाया जंजीरों से

दरअसल, 2003 में मां के देहान्त के बाद बालिका का दिमागी हालत गड़बड़ा गई. वहीं पिता की दोनों किडनियां खराब होने से बालिका पूजा कराड़ को किसी ने नहीं सम्भाला. उसके परिजनों के रूप में सिर्फ उसका एक भाई और पिता है. पिता कि दोनों किडनियां खराब है जिसके चलते वे भी डिसएबल है. उसके भाई ने बताया कि मानसिक संतुलन खोने से वो हर किसी पर हमला कर देती थी, जिसके चलते उसे जंजीरों से बांध कर रखना पड़ा था.

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश तिवारी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक बालिका को जंजीरों से बांध कर रखा गया है तो उन्होंने वहां जाकर इसको आजाद करवाया और 'अपना घर' आश्रम में सूचना दी. इसके बाद इसे आश्रम की एम्बुलेंस से मेडिकल कालेज अस्पताल में लेकर आये और यहां भर्ती करवाया. इसको सम्भालने वाला कोई नहीं होने से इसको अपना घर आश्रम में रखा जाएगा.

कोटा. जिले के रेलगावं में करीब 15 साल से एक युवती को उसके भाई के द्वारा जंजीरों से बांध कर रखा जा रहा था. कोटा के एक सामाजिक कार्यकर्ता को जब इस बात की खबर लगी तो उन्होंने उसे न्यू मेडिकल अस्पताल में मनोचिकित्सा वार्ड में भर्ती कराया और 'अपना घर' अनाथ आश्रम में आश्रय दिया.

सामाजिक कार्यकर्ता ने युवती को छुड़वाया जंजीरों से

दरअसल, 2003 में मां के देहान्त के बाद बालिका का दिमागी हालत गड़बड़ा गई. वहीं पिता की दोनों किडनियां खराब होने से बालिका पूजा कराड़ को किसी ने नहीं सम्भाला. उसके परिजनों के रूप में सिर्फ उसका एक भाई और पिता है. पिता कि दोनों किडनियां खराब है जिसके चलते वे भी डिसएबल है. उसके भाई ने बताया कि मानसिक संतुलन खोने से वो हर किसी पर हमला कर देती थी, जिसके चलते उसे जंजीरों से बांध कर रखना पड़ा था.

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश तिवारी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि एक बालिका को जंजीरों से बांध कर रखा गया है तो उन्होंने वहां जाकर इसको आजाद करवाया और 'अपना घर' आश्रम में सूचना दी. इसके बाद इसे आश्रम की एम्बुलेंस से मेडिकल कालेज अस्पताल में लेकर आये और यहां भर्ती करवाया. इसको सम्भालने वाला कोई नहीं होने से इसको अपना घर आश्रम में रखा जाएगा.

Intro:करीब15 सालो से बालिका को जंजीरों में जकड़ कर रखा।
सामाजिक कार्यकर्ता ने पहुंच कर कराया आजाद।कराकर कराया मेडिकल अस्पताल के मनोरोग वार्ड में भर्ती।अपना घर आश्रम ने लिया गोद।

कोटा जिले के रेलगावँ में करीब15 साल से बालिका को जंजीरों से बांध कर रखा जा रहा था।मॉ के देहान्त के बाद बालिका का दिमागी हालत हुई।वही पिता की दोनो किडनियां खराब होने से इसको किसी ने नही सम्भाला।वही सामाजिक कार्यकर्ता ने पहुंच कर इसको आजाद कर कोटा के न्यू मेडिकल अस्पताल में मनोचिकित्सा वार्ड में भर्ती कराया।ओर अपना घर आश्रम में इसको आश्रय दिया।
Body:जानकारी के अनुसार कोटा जिले के कैथून थाना क्षेत्र में रेलगाव में रहने वाली पूजा कराड़ को जंजीरों में बंध कर रखा जा रहा था।वही बताया जा रहा था कि इसकी मां की2003 में मृत्यु हो गई थी वही इसके पिता की भी दोनो किडनियां फेल हो गई थी।इसके चलते इसका दिमागी सन्तुलन को दिया।इसके बाद यह किसी को भी पत्थर मार दिया करती थी इस लिए इसको जंजीरों से जकड़ कर रखा जा रहा था।वही इसके भाई ने बताया कि माँ के देहान्त के बाद इसकी यह हालत हुई है वही पिता की भी दोनो किडनियां खराब होने से इसको पीछे से सम्भालने वाला कोई नही था।इस वजह से इसको जंजीर से बांध कर रखना पड़ा।वही सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि मुझे सूचना मिली थी कि एक बालिका को जंजीरों से बांध रखा है तो मैने वहां जाकर इसको आजाद करवाया और अपना घर आश्रम में सूचना की इसके बाद आश्रम की एम्बुलेंस से मेडिकल कालेज अस्पताल में लेकर आये और इसको यहां भर्ती करवाया।और इसको सम्भालने वाला कोई नही होने से इसको अपना घर आश्रम में रखा जाएगा।

Conclusion:इस बालिका की देखभाल करने वाला पीछे कोई नही होने से इसको अपना घर का आश्रय मिला।
बाईट-अशोक कुमार, पीड़ित का भाई
बाईट-लोकेश तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता
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