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Tiger Cubs in Kota : रणथंभौर से लाए गए दो बाघ शावक, वाइल्ड नेचर बनाए रखना पार्क प्रबंधन के लिए बना चुनौती - Rajasthan Hindi news

रणथंभौर टाइगर रिजर्व से दो शावकों को कोटा के (Tiger Cubs Shifted From Ranthambore to Kota) अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क लाया गया है. शावकों को उनके मूल स्वभाव यानी वाइल्ड बनाए रखने के लिए मिनिमम मैन इंटरफेयरेंस सहित अन्य व्यवस्थाएं की गई हैं.

Tiger Cubs in Kota
रणथंभौर से कोटा शिफ्ट हुए बाघ शावक
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Published : Feb 1, 2023, 7:33 PM IST

Updated : Feb 1, 2023, 10:18 PM IST

रणथंभौर से लाए गए दो बाघ शावक

कोटा. रणथंभौर टाइगर रिजर्व की मृत बाघिन टी-114 के दो शावकों को कोटा के अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया गया है. जू के बाकी जानवरों के साथ रहकर बाघ के स्वभाव में बदलाव हो सकता है. इसलिए इन दोनों शावकों को उनके नेचर के अनुरूप बनाए रखना बायोलॉजिकल पार्क प्रबंधन के लिए चुनौती बन रहा है. दोनों शावकों को कुछ समय बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा.

उप वन संरक्षक (DFO), वन्यजीव कोटा सुनील गुप्ता ने बताया कि रणथंभौर से हमारे पास करीब 3 महीने के दो शावक आए हैं. हमारी पहली प्राथमिकता है कि वे स्वस्थ रहें. वे नेचर में वाइल्ड हैं इसलिए उन्हें लोगों से ज्यादा घुलने-मिलने नहीं देंगे ताकि वो अपने स्वभाव के अनुरूप ही रहें. अभी दोनों शावक पूरी तरह से स्वस्थ हैं. सर्दी से बचाव के पूरे इंतजाम कर दिए हैं. मॉनिटरिंग के लिए कैमरे लगाए गए हैं.

पढें. Ranthambore National Park: रणथंभौर से बुरी खबर, एक शावक की मौत, बाघिन T-114 भी मृत मिली...किया गया अंतिम संस्कार

स्टाफ को छूने की अनुमति भी नहीं : डीएफओ गुप्ता ने बताया कि शावकों को छूने की इजाजत किसी स्टाफ को भी नहीं है. रेस्क्यू के दौरान भी किसी ने इन्हें हाथ नहीं लगाया. शावकों को केज में बंद कर यहां लाया गया और अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बने एनक्लोजर के नाइट शेल्टर में छोड़ा गया है. दोनों शावक वाइल्ड हैं, इसीलिए इन्हें ऐसे ही रखने के लिए मिनिमम मैन इंटरफेयरेंस दिया जा रहा है. दोनों शावक नर हैं. ह्यूमन टच नहीं होने के चलते उनके शरीर का मेजरमेंट भी नहीं लिया गया है.

धीरे-धीरे सिखाया जाएगा शिकार : मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सीनियर वेटरनरी चिकित्सक डॉ. तेजेंद्र रियार्ड ने बताया कि शावकों को एनक्लोजर के नाइट शेल्टर से बाहर नहीं छोड़ा जाएगा. इन्हें इनकी उम्र के साथ ही अपग्रेड करने की जिम्मेदारी है. समय के अंतराल पर छोटे-छोटे शिकार देकर प्रैक्टिस करवाई जाएगी. जब यह इस तरह का शिकार करने लग जाएंगे तब इन्हें बड़े एनक्लोजर में छोड़ दिया जाएगा. वहां भी गतिविधियां सामान्य रहने पर इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा. इस प्रोसेस में काफी लंबा समय लगता है. लगभग 2 साल की उम्र में शावक अपनी मां से अलग होते हैं. वयस्क हो जाने पर इन्हें भी छोड़ा जाएगा.

पढ़ें. बुरी खबर: नहीं रहा Tiger T57, 20 दिन से बीमार था 'सिंहस्थ'

बनाया गया डाइट प्लान : डॉ. तेजेंद्र रियार्ड ने बताया कि टाइगर के दोनों शावकों के नजदीक ह्यूमन इंटरफेयरेंस बिल्कुल कम किया है. दोनों शावकों के लिए दूध मंगवाया गया है. हालांकि शावक मांस खा रहे हैं, इसलिए इनका पूरा डाइट प्लान अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के चिकित्सक डॉ. विलासराव गुल्हने के साथ मिल तैयार किया जा रहा है. अगर ये दूध लेते हैं तो आगे भी इन्हें दूध लगातार दिया जाएगा.

जंगल जैसा दे रहे हैं माहौल : डीएफओ सुनील गुप्ता ने बताया कि दोनों शावकों को जंगल जैसा माहौल उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है. प्रोटोकॉल के अनुसार इनके भोजन का डाइट प्लान डॉक्टर ही तय करेंगे. इसके अनुसार ही हम इन्हें भोजन देंगे. शावकों को जहां रखा गया है, वहां पर पराली बिछा दी गई है. इसके साथ ही उनके लिए हीटर भी लगाए गए हैं. जंगल में छोड़ने की अनुमति उच्च अधिकारी ही देंगे.

24 घंटे मॉनिटरिंग के लिए लगाई टीम : डीएफओ गुप्ता ने बताया कि शावकों की मॉनिटरिंग के लिए 24 घंटे 3 टीमें तैनात कर दी गई हैं. इन टीमों की जिम्मेदारी भी रेंजर को सौंपी गई हैं. शावकों की जरूरत और पूरी व्यवस्था के लिए एसीएफ आरबी मित्तल को नोडल ऑफिसर बनाया है. स्टाफ को भी शावकों के नजदीक नहीं जाने के लिए पाबंद किया गया है. दोनों शावकों की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. ऐसे में स्टाफ को उन सीसीटीवी कैमरे को देखकर ही मॉनिटरिंग करना है. कुछ दिक्कत आने पर स्टाफ को इनके नजदीक भेजा जाएगा.

रणथंभौर से लाए गए दो बाघ शावक

कोटा. रणथंभौर टाइगर रिजर्व की मृत बाघिन टी-114 के दो शावकों को कोटा के अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया गया है. जू के बाकी जानवरों के साथ रहकर बाघ के स्वभाव में बदलाव हो सकता है. इसलिए इन दोनों शावकों को उनके नेचर के अनुरूप बनाए रखना बायोलॉजिकल पार्क प्रबंधन के लिए चुनौती बन रहा है. दोनों शावकों को कुछ समय बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा.

उप वन संरक्षक (DFO), वन्यजीव कोटा सुनील गुप्ता ने बताया कि रणथंभौर से हमारे पास करीब 3 महीने के दो शावक आए हैं. हमारी पहली प्राथमिकता है कि वे स्वस्थ रहें. वे नेचर में वाइल्ड हैं इसलिए उन्हें लोगों से ज्यादा घुलने-मिलने नहीं देंगे ताकि वो अपने स्वभाव के अनुरूप ही रहें. अभी दोनों शावक पूरी तरह से स्वस्थ हैं. सर्दी से बचाव के पूरे इंतजाम कर दिए हैं. मॉनिटरिंग के लिए कैमरे लगाए गए हैं.

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स्टाफ को छूने की अनुमति भी नहीं : डीएफओ गुप्ता ने बताया कि शावकों को छूने की इजाजत किसी स्टाफ को भी नहीं है. रेस्क्यू के दौरान भी किसी ने इन्हें हाथ नहीं लगाया. शावकों को केज में बंद कर यहां लाया गया और अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बने एनक्लोजर के नाइट शेल्टर में छोड़ा गया है. दोनों शावक वाइल्ड हैं, इसीलिए इन्हें ऐसे ही रखने के लिए मिनिमम मैन इंटरफेयरेंस दिया जा रहा है. दोनों शावक नर हैं. ह्यूमन टच नहीं होने के चलते उनके शरीर का मेजरमेंट भी नहीं लिया गया है.

धीरे-धीरे सिखाया जाएगा शिकार : मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सीनियर वेटरनरी चिकित्सक डॉ. तेजेंद्र रियार्ड ने बताया कि शावकों को एनक्लोजर के नाइट शेल्टर से बाहर नहीं छोड़ा जाएगा. इन्हें इनकी उम्र के साथ ही अपग्रेड करने की जिम्मेदारी है. समय के अंतराल पर छोटे-छोटे शिकार देकर प्रैक्टिस करवाई जाएगी. जब यह इस तरह का शिकार करने लग जाएंगे तब इन्हें बड़े एनक्लोजर में छोड़ दिया जाएगा. वहां भी गतिविधियां सामान्य रहने पर इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा. इस प्रोसेस में काफी लंबा समय लगता है. लगभग 2 साल की उम्र में शावक अपनी मां से अलग होते हैं. वयस्क हो जाने पर इन्हें भी छोड़ा जाएगा.

पढ़ें. बुरी खबर: नहीं रहा Tiger T57, 20 दिन से बीमार था 'सिंहस्थ'

बनाया गया डाइट प्लान : डॉ. तेजेंद्र रियार्ड ने बताया कि टाइगर के दोनों शावकों के नजदीक ह्यूमन इंटरफेयरेंस बिल्कुल कम किया है. दोनों शावकों के लिए दूध मंगवाया गया है. हालांकि शावक मांस खा रहे हैं, इसलिए इनका पूरा डाइट प्लान अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क के चिकित्सक डॉ. विलासराव गुल्हने के साथ मिल तैयार किया जा रहा है. अगर ये दूध लेते हैं तो आगे भी इन्हें दूध लगातार दिया जाएगा.

जंगल जैसा दे रहे हैं माहौल : डीएफओ सुनील गुप्ता ने बताया कि दोनों शावकों को जंगल जैसा माहौल उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है. प्रोटोकॉल के अनुसार इनके भोजन का डाइट प्लान डॉक्टर ही तय करेंगे. इसके अनुसार ही हम इन्हें भोजन देंगे. शावकों को जहां रखा गया है, वहां पर पराली बिछा दी गई है. इसके साथ ही उनके लिए हीटर भी लगाए गए हैं. जंगल में छोड़ने की अनुमति उच्च अधिकारी ही देंगे.

24 घंटे मॉनिटरिंग के लिए लगाई टीम : डीएफओ गुप्ता ने बताया कि शावकों की मॉनिटरिंग के लिए 24 घंटे 3 टीमें तैनात कर दी गई हैं. इन टीमों की जिम्मेदारी भी रेंजर को सौंपी गई हैं. शावकों की जरूरत और पूरी व्यवस्था के लिए एसीएफ आरबी मित्तल को नोडल ऑफिसर बनाया है. स्टाफ को भी शावकों के नजदीक नहीं जाने के लिए पाबंद किया गया है. दोनों शावकों की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. ऐसे में स्टाफ को उन सीसीटीवी कैमरे को देखकर ही मॉनिटरिंग करना है. कुछ दिक्कत आने पर स्टाफ को इनके नजदीक भेजा जाएगा.

Last Updated : Feb 1, 2023, 10:18 PM IST
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