कोटा. बीते साल स्टूडेंट सेल ने अवसाद ग्रसित विद्यार्थियों के चयन से लेकर कई मामलों पर कार्रवाई की, जिसमें हर घर दस्तक अभियान भी शामिल है. इस संबंध में गुरुवार को पुलिस महानिरीक्षक कोटा रेंज प्रसन्न कुमार मीडिया से बातचीत की. उन्होंने बताया कि बीते पूरे साल में 707 मामले स्टूडेंट सेल के पास आए थे. इनमें से 10 मामलों में जांच जारी है. जबकि 697 मामलों को निस्तारित कर दिया गया है. जो 10 मामले पेंडिंग हैं, उनमें भी सिक्योरिटी मनी रिफंड से संबंधित मामले हैं.
बता दें कि शहर में देशभर से करीब 2 लाख स्टूडेंट मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी के लिए आते हैं. इन स्टूडेंट्स के लिए बीते साल 22 जून को एक स्टूडेंट सेल का गठन किया गया था. इसकी जिम्मेदारी भी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ठाकुर चंद्रशील कुमार को मिली थी. इस स्टूडेंट सेल ने अवसाद ग्रसित स्टूडेंट्स के चयन से लेकर कई मामलों में कार्रवाई की है. इसमें सामने आया कि अवसाद या निराशा से संबंधित 82 मामले सामने आए थे, जिनमें सभी 82 मामलों में काउंसलिंग करवा कर इन स्टूडेंट्स को या तो वापस उनके गांव भेज दिया गया है या फिर कोचिंग संस्थानों को इन पर नजर रखते हुए पढ़ाने के लिए निर्देशित किया गया है.
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प्रसन्न कुमार ने कहा कि कोटा में स्टूडेंट सुसाइड का रेशियो काफी ज्यादा है. अवसाद से ग्रसित मामलों पर पुलिस ने काउंसलिंग की गई थी. इसके बाद आईजी खमेसरा ने सभी मामलों की संख्या बताते हुए कहा कि लड़ाई-झगड़े के भी 74 मामले सामने आए थे. मैस व अन्य समस्याओं के 86, छात्राओं से छेड़छाड़ और आपत्तिजनक टिप्पणी के 9, चोरी के 11 और सोशल मीडिया पर भी छात्र-छात्राओं के खिलाफ आपत्तिजनक कमेंट के 25 मामले सामने आए थे. इन सभी मामलों में कार्रवाई की गई है.
कोटा को स्टूडेंट थाने की दरकरार : कोटा शहर एसपी शरद चौधरी ने कहा कि शहर में 2 लाख स्टूडेंट आते हैं. ऐसे में यहां स्टूडेंट थाना खोल दिया जाए, क्योंकि काफी स्टूडेंट्स की शिकायतें आती हैं. ऐसे में उसमें तैनात 30 से 50 पुलिसकर्मी पूरी तरह से डेडीकेट होकर इन स्टूडेंट्स के लिए ही काम करेंगे. स्टूडेंट्स की समस्याओं पर ज्यादा गौर से काम किया जा सकेगा, जिससे उन स्टूडेंट्स को पढ़ाई में भी मदद होगी और पुलिस कार्रवाई में उनका समय भी जाया नहीं जाएगा. इसी क्रम में थाना खोलने के लिए राज्य सरकार से अनुमति चाहिए. इसलिए प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार तक भिजवाया जाएगा.
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एडिशनल एसपी ठाकुर चंद्रशील कुमार का कहना है कि उनकी टीम ने हॉस्टल और पीजी के सर्वे भी किए हैं. साथ ही मैस और अन्य जगहों पर भी निरीक्षण करने के लिए टीम जाती है. कोचिंग छात्राओं और छात्रों से संस्थान में भी बातचीत करते हैं और अवसाद ग्रसित स्टूडेंट्स के बारे में भी जानकारी लेते हैं. इन स्टूडेंट्स को उनके छात्रों या साथ में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के भी अवसाद में होने की जानकारी देने के गुर बताए है.
पुलिस कोचिंग स्टूडेंट में मिले अवसाद के ये कारण :
- माता-पिता की महत्वाकांक्षा
- स्टूडेंट पर पढ़ाई और अपेक्षाओं का दबाव
- कोचिंग से अनुपस्थिति
- आपस में भारी प्रतिस्पर्धा
- महंगी पढ़ाई होने से विद्यार्थियों पर दबाव
- गलत संगति में पढ़ाई से विमुख होन
- खराब भोजन व बीमार होने से पढ़ाई में पिछड़ना
- परिवार व मित्रों से दूरी, एकांकी जीवन
- नीट में प्राइवेट कॉलेज में ज्यादा फीस होना
- सरकारी कॉलेज में गला काट कंपटीशन
- पारिवारिक कारण या प्रेम प्रसंग में विद्यार्थी का मानसिक अवसाद में जाना