कोटा. कोचिंग स्टूडेंट्स सुसाइड के मामले पिछले साल लगातार सामने आते रहे. इस साल भी एक आत्महत्या की घटना दो दिन पहले हुई थी. इन सभी मामलों पर राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जीके व्यास ने जिला कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है. जस्टिस व्यास ने कोचिंग सेन्टर में छात्रों की संख्या, कोचिंग सेन्टरों में नियमित रूप से पढ़ाई के लिए किसी प्रकार के भेदभाव, छात्रों की रहने की व्यवस्था, कोचिंग सेन्टरों में ली जाने वाली फीस, फीस संबंधी परिपत्र के संबंध में पूरी फेक्चुअल रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं.
होनहार छात्र क्यों कर रहे हैं आत्महत्या, जताया संशय : व्यास का कहना है कि कोटा शहर में कई कोचिंग सेन्टर हैं, जहां प्रदेश और प्रदेश के बाहर के छात्र नियमित रूप से इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस परीक्षाओं में शामिल होने के लिए तैयारी करते हैं. कई होनहार छात्र आत्महत्या कर लेते हैं. एजुकेशन के लिए एक अच्छा माहौल होना जरूरी है, लेकिन पिछले कई वर्षों से यह देखा जा रहा है कि परीक्षाओं में शामिल होने के लिए जो छात्र कोचिंग सेन्टरों में जाते हैं, वे कुन्ठित हो जाते हैं. जबकि शिक्षा प्राप्त करने के लिए कुन्ठित होना समझ से परे है. कोचिंग सेन्टरों में छात्रों की सुरक्षा व उनके साथ होने वाले व्यवहार पर अंकुश लगाना आवश्यक है, क्योंकि यह सीधे रूप से मानव अधिकारों से जुड़ा हुआ तथ्य है.
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पोस्टमार्टम के बाद छात्र का शव परिजनों को सौंपा : रविवार को आत्महत्या करने वाले यूपी के शाहजहांपुर निवासी आईआईटी एंट्रेंस की तैयारी कर रहे कोचिंग छात्र अली रजा का शव मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने उनके परिजनों को सौंप दिया. उसके परिजन आत्महत्या के दो दिन बाद आज मुंबई से कोटा पहुंचे थे. इस मामले में सामने आया है कि अली रजा बीते 1 महीने से कोचिंग संस्थान नहीं जा रहा था. इस पर भी परिजनों ने आपत्ति जताई है. मृतक के चाचा सईक सलमानी का कहना है कि उसके पिता मोहम्मद नफीस बेहाल हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान को फोन कर जानकारी देनी चाहिए थी कि बच्चा कोचिंग नहीं आ रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि अली रजा के माता-पिता मुंबई रहने लग गए थे.