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Right to Health के विरोध में बोले डॉक्टर्स, अब अस्पतालों को बेचकर करेंगे आत्मदाह

Right to Health का विरोध कर रहे निजी चिकित्सक बुधवार को मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए. इस दौरान चिकित्सकों ने कहा कि अगर ये लागू होता है तो वो अपने अस्पतालों को बेचकर आत्मदाह करेंगे.

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Published : Mar 29, 2023, 9:58 PM IST

Protest against Right to Health Bill
Protest against Right to Health Bill
सीनियर डॉक्टर डॉ. केके पारीक

कोटा. पूरे प्रदेश में चिकित्सक राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई है. आलम यह है कि मरीज पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों पर उपचार के लिए निर्भर हैं. बावजूद इसके राज्य सरकार अपने अडिग रुख पर कायम है और इसके पीछे सरकार की ओर से समय-दर-समय तर्क भी दिए जा रहे हैं. लेकिन चिकित्सक भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. जिसकी बानगी बुधवार को कोटा में देखने को मिली. बुधवार को राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे निजी चिकित्सक मीडियाकर्मियों से रुबरू हुए. इस दौरान चिकितसकों की ओर से कहा गया कि राइट टू हेल्थ बिल अगर लागू होता है तो वो अपने अस्पतालों को बेच देंगे. साथ ही आत्मदाह करने के अलावा उनके पास अन्य कोई उपाय शेष नहीं बचेगा.

इस मामले में कोटा के वरिष्ठ निजी चिकित्सक डॉ. केके पारीक ने कहा कि हम अस्पताल बेचने को तैयार हैं. साथ ही अस्पताल बचने के उपरांत आत्मदाह भी करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अब हमारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है. अगर राइट टू हेल्थ लागू होता है तो हम अस्पतालों में ताला लगा देंगे या फिर उन्हें बेच देंगे. हालांकि, इससे भी आम जनता को ही नुकसान होगा. हमारे यहां काम कर रहे हजारों कार्मिक बेरोजगार हो जाएंगे, उनके परिवार के लोग परेशान होंगे.

इसे भी पढ़ें - Protest against Right to Health Bill : राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आज बंद, जानिए कौन सी सेवाओं पर सरकार सख्त

आरटीएच को बताया राइट टू किल - डॉ. केके पारीक ने कहा कि हमें जनता के परेशान होने का दुख है, मरीज एक तरह से हमारे पारिवारिक सदस्य की तरह होते हैं. उनको बरसों से देख रहे हैं, लेकिन सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल राइट टू किल प्राइवेट सेक्टर कर दिया है. प्रदेश में 70 प्रतिशत सेवाएं निजी अस्पताल दे रहे हैं. लेकिन इनको खत्म करने के लिए ये लागू किया जा रहा है. इससे जनता को ही परेशानी होगी. कोटा में सरकारी स्तर पर कार्डियोथोरेसिक सर्जरी सहित कई बड़े ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं. ऐसे में मरीजों को बड़े शहरों जयपुर या फिर दिल्ली जाना पड़ रहा है. रेजिडेंट डॉक्टरों पर कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन को दबाने की कोशिश रही है, लेकिन हम भी आखिरी क्षण तक डटे रहेंगे.

गुजरात व दिल्ली से सस्ता मिल रहा इलाज - न्यूरो सर्जन डॉ. मामराज अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान में चिकित्सक काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि वे खुद अपने अस्पताल को बंद करना चाह रहे हैं, क्योंकि वर्तमान में भी उन्हें पूरा पैसा नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें घाटा हो रहा है. कोटा में इलाज की राशि की तुलना दिल्ली या गुजरात के किसी शहर से की जाए तो वहां से आधी ही है. इसके बावजूद भी सरकार चिकित्सा सेवाओं को बंद करने पर आमादा है. इस स्थिति में अधिकांश अस्पतालों पर बेचने के बोर्ड लग जाएंगे.

सीनियर डॉक्टर डॉ. केके पारीक

कोटा. पूरे प्रदेश में चिकित्सक राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई है. आलम यह है कि मरीज पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों पर उपचार के लिए निर्भर हैं. बावजूद इसके राज्य सरकार अपने अडिग रुख पर कायम है और इसके पीछे सरकार की ओर से समय-दर-समय तर्क भी दिए जा रहे हैं. लेकिन चिकित्सक भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. जिसकी बानगी बुधवार को कोटा में देखने को मिली. बुधवार को राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे निजी चिकित्सक मीडियाकर्मियों से रुबरू हुए. इस दौरान चिकितसकों की ओर से कहा गया कि राइट टू हेल्थ बिल अगर लागू होता है तो वो अपने अस्पतालों को बेच देंगे. साथ ही आत्मदाह करने के अलावा उनके पास अन्य कोई उपाय शेष नहीं बचेगा.

इस मामले में कोटा के वरिष्ठ निजी चिकित्सक डॉ. केके पारीक ने कहा कि हम अस्पताल बेचने को तैयार हैं. साथ ही अस्पताल बचने के उपरांत आत्मदाह भी करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि अब हमारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है. अगर राइट टू हेल्थ लागू होता है तो हम अस्पतालों में ताला लगा देंगे या फिर उन्हें बेच देंगे. हालांकि, इससे भी आम जनता को ही नुकसान होगा. हमारे यहां काम कर रहे हजारों कार्मिक बेरोजगार हो जाएंगे, उनके परिवार के लोग परेशान होंगे.

इसे भी पढ़ें - Protest against Right to Health Bill : राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आज बंद, जानिए कौन सी सेवाओं पर सरकार सख्त

आरटीएच को बताया राइट टू किल - डॉ. केके पारीक ने कहा कि हमें जनता के परेशान होने का दुख है, मरीज एक तरह से हमारे पारिवारिक सदस्य की तरह होते हैं. उनको बरसों से देख रहे हैं, लेकिन सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल राइट टू किल प्राइवेट सेक्टर कर दिया है. प्रदेश में 70 प्रतिशत सेवाएं निजी अस्पताल दे रहे हैं. लेकिन इनको खत्म करने के लिए ये लागू किया जा रहा है. इससे जनता को ही परेशानी होगी. कोटा में सरकारी स्तर पर कार्डियोथोरेसिक सर्जरी सहित कई बड़े ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं. ऐसे में मरीजों को बड़े शहरों जयपुर या फिर दिल्ली जाना पड़ रहा है. रेजिडेंट डॉक्टरों पर कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन को दबाने की कोशिश रही है, लेकिन हम भी आखिरी क्षण तक डटे रहेंगे.

गुजरात व दिल्ली से सस्ता मिल रहा इलाज - न्यूरो सर्जन डॉ. मामराज अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान में चिकित्सक काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि वे खुद अपने अस्पताल को बंद करना चाह रहे हैं, क्योंकि वर्तमान में भी उन्हें पूरा पैसा नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें घाटा हो रहा है. कोटा में इलाज की राशि की तुलना दिल्ली या गुजरात के किसी शहर से की जाए तो वहां से आधी ही है. इसके बावजूद भी सरकार चिकित्सा सेवाओं को बंद करने पर आमादा है. इस स्थिति में अधिकांश अस्पतालों पर बेचने के बोर्ड लग जाएंगे.

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