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मिलिए कोटा के पर्यावरण प्रेमी किशन से, 10 साल की मेहनत से बंजर जमीन पर उगाए फूल - kota latest news

कोटा के किशन ने पर्यावरण संरक्षण की एक नई मिसाल लोगों के सामने पेश की है. किशन बंजर भूमि को बगिया में बदलने का जज्बा रखते हैं. उन्होंने सरकार के पर्यावरण बचाओं अभियान को गंभीरता से लेते हुए जगह-जगह पड़े खंडहरों को हरे-भरे गार्डनों में तब्दील कर दिया है. ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट...

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बंजर जमीन बनी बगीचा
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Published : Jan 16, 2020, 8:00 PM IST

रामगंजमंडी (कोटा). पर्यावरण संरक्षण की बात तो हर कोई करता है, लेकिन उसे असल जीवन में यानी की जमीनी स्तर पर बचाने का काम कोटा की इस शख्सितय ने किया है. ईटीवी भारत की इस स्पेशल रिपोर्ट में कहानी है पर्यावरण प्रेमी किशन बागोरा की. जिन्होंने बंजर जमीन पर फूल उगाए हैं.

बंजर जमीन बनी बगीचा

दरअसल बागोरा ने शहर के मंगलम राजकीय सामुदायिक अस्पताल परिसर के सामने पड़ी बंजर भूमि को फूलों की बगिया का आकार दे दिया है. यहां पर लगे मनमोहक फूलों को देखकर आप भी यहां खींचे चले आएंगे. बागोरा की इस मेहनत और लगन के पीछे आमजन के हित की भावना छिपी हुई है.

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10 साल से लगातार मेहनत जारी

किशन बागोरा लगातार 10 सालों से अस्पताल परिसर में इस बगीचे को संवारने में लगे हुए हैं. बगीचे को विकसित करने के लिए बागोरा को परेशानियां झेलनी पड़ीं, लेकिन उन्होंने इससे हार नहीं मानी और उनकी मेहनत के कारण आज अस्पताल में सुंदर गार्डन बन चुका है. इस उद्यान में जब मरीज और उनके तीमारदार आराम करते दिखाई देते हैं, तो बागोरा के मन को सुकून मिलता है.

पर्यावरण प्रेमी बागोरा ने बताया कि इस कार्य का बीड़ा उन्होंने 2009 से उठाया था. उस समय अस्पताल का शुभारंभ किया गया था. जिस जगह अस्पताल बनाया वहां हरियाली की कमी थी. ऐसे में ये बात मेरे मन को कचोटती थी. मन में सोचता था कि अस्पताल में तो केवल परेशान व्यक्ति का आना ही होता है. ऐसे में गर्मी के मौसम में अगर वह भवन के बाहर आकर बैठना चाहे तो संभव नहीं हो पाएगा. इसके बाद मैंने मन में ठान लिया कि कुछ भी हो जाए, यहां गार्डन बनाकर ही रहूंगा.

यह भी पढे़ं- किसानों के लिए काजरी में तैयार की फसल वाटिका, बीज चयन में होगी सहायक

पौधों को सुरक्षित रखना बनी बड़ी चुनौती

किशन बागोरा बताते हैं कि शुरू में जब मैं यहां पौधरोपण करने लगा तो परेशानियों का पहाड़ मेरे सामने खड़ा था. जैसे-तैसे मैं पौधे लगाता, तो चारदीवारी नहीं होने के कारण जानवर इन पौधों को नष्ट कर देते थे. ऐसे में मैंने इसके लिए प्लानिंग की और पत्थरों की सहायता से पौधों को जीवन देना शुरू किया.

अस्पताल परिसर के बाहर जब बागोरा घंटों तक पौधे लगाने और उनको सहेजने का काम करते थे, तो लोगों को अचंभा होता था, लेकिन समय गुजरने के साथ ही लोग उनकी मेहनत की कीमत समझने लगे. जब पौधों ने आकार लेना शुरू किया, तब जाकर बागोराके मन को शांति मिली.

कई बार हो चुके हैं सम्मानित

पर्यावरण प्रेम के कारण बागोराको जिला स्तर पर कलेक्टर सम्मानित कर चुके हैं. वहीं 2 बार नगरपालिका भी उनको इस काम के लिए नवाज चुकी है. बागोरा ने इस बगीचे के अतिरिक्त अस्पताल के दोनों वार्डों के मध्य एक छोटा गुलाब का बगीचा भी बनाया हुआ है. जिसमें विभिन्न प्रकार के गुलाब लगे हुए हैं.

रामगंजमंडी (कोटा). पर्यावरण संरक्षण की बात तो हर कोई करता है, लेकिन उसे असल जीवन में यानी की जमीनी स्तर पर बचाने का काम कोटा की इस शख्सितय ने किया है. ईटीवी भारत की इस स्पेशल रिपोर्ट में कहानी है पर्यावरण प्रेमी किशन बागोरा की. जिन्होंने बंजर जमीन पर फूल उगाए हैं.

बंजर जमीन बनी बगीचा

दरअसल बागोरा ने शहर के मंगलम राजकीय सामुदायिक अस्पताल परिसर के सामने पड़ी बंजर भूमि को फूलों की बगिया का आकार दे दिया है. यहां पर लगे मनमोहक फूलों को देखकर आप भी यहां खींचे चले आएंगे. बागोरा की इस मेहनत और लगन के पीछे आमजन के हित की भावना छिपी हुई है.

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10 साल से लगातार मेहनत जारी

किशन बागोरा लगातार 10 सालों से अस्पताल परिसर में इस बगीचे को संवारने में लगे हुए हैं. बगीचे को विकसित करने के लिए बागोरा को परेशानियां झेलनी पड़ीं, लेकिन उन्होंने इससे हार नहीं मानी और उनकी मेहनत के कारण आज अस्पताल में सुंदर गार्डन बन चुका है. इस उद्यान में जब मरीज और उनके तीमारदार आराम करते दिखाई देते हैं, तो बागोरा के मन को सुकून मिलता है.

पर्यावरण प्रेमी बागोरा ने बताया कि इस कार्य का बीड़ा उन्होंने 2009 से उठाया था. उस समय अस्पताल का शुभारंभ किया गया था. जिस जगह अस्पताल बनाया वहां हरियाली की कमी थी. ऐसे में ये बात मेरे मन को कचोटती थी. मन में सोचता था कि अस्पताल में तो केवल परेशान व्यक्ति का आना ही होता है. ऐसे में गर्मी के मौसम में अगर वह भवन के बाहर आकर बैठना चाहे तो संभव नहीं हो पाएगा. इसके बाद मैंने मन में ठान लिया कि कुछ भी हो जाए, यहां गार्डन बनाकर ही रहूंगा.

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पौधों को सुरक्षित रखना बनी बड़ी चुनौती

किशन बागोरा बताते हैं कि शुरू में जब मैं यहां पौधरोपण करने लगा तो परेशानियों का पहाड़ मेरे सामने खड़ा था. जैसे-तैसे मैं पौधे लगाता, तो चारदीवारी नहीं होने के कारण जानवर इन पौधों को नष्ट कर देते थे. ऐसे में मैंने इसके लिए प्लानिंग की और पत्थरों की सहायता से पौधों को जीवन देना शुरू किया.

अस्पताल परिसर के बाहर जब बागोरा घंटों तक पौधे लगाने और उनको सहेजने का काम करते थे, तो लोगों को अचंभा होता था, लेकिन समय गुजरने के साथ ही लोग उनकी मेहनत की कीमत समझने लगे. जब पौधों ने आकार लेना शुरू किया, तब जाकर बागोराके मन को शांति मिली.

कई बार हो चुके हैं सम्मानित

पर्यावरण प्रेम के कारण बागोराको जिला स्तर पर कलेक्टर सम्मानित कर चुके हैं. वहीं 2 बार नगरपालिका भी उनको इस काम के लिए नवाज चुकी है. बागोरा ने इस बगीचे के अतिरिक्त अस्पताल के दोनों वार्डों के मध्य एक छोटा गुलाब का बगीचा भी बनाया हुआ है. जिसमें विभिन्न प्रकार के गुलाब लगे हुए हैं.

Intro:कहानी रामगंजमंडी निवासी पर्यावरण प्रेमी किशन बागोरा ने शहर के मंगलम राजकीय सामुदायिक अस्पताल परिसर के सामने पड़ी बंजर भूमि में कई प्रकार के फूलों से विकसित कर दिखाया है।Body:रामगंजमंडी /कोटा जिला
इंसान में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो उसके सामने बड़ी से बड़ी दिक्कतें भी छोटी पड़ जाती है जब व्यक्ति लक्ष्य की ओर बढ़ता है ।तो विपरीत हालातों को झुकना पड़ता है ।ऐसा करने वाले व्यक्ति को बाद में हर इंसान सलाम करता है । कुछ ऐसी ही कहानी रामगंजमंडी निवासी पर्यावरण प्रेमी किशन बागोरा ने शहर के मंगलम राजकीय सामुदायिक अस्पताल परिसर के सामने पड़ी बंजर भूमि में कई प्रकार के फूलों से विकसित कर दिखाया है।साथ शहर के कई स्थानों पर पौधे रोपण का कार्य निःशुल्क करते है।वही हर व्यक्ति को जिंदगी में एक पौधा लगाने के लिये प्रेरित भी करते है।
किशन बागोरा लगातार 10 सालों से अस्पताल परिसर में इस बगीचे को संवारने में लगे हुए हैं। बगीचे को विकसित करने के लिए बागोरा को परेशानियां झेलनी पड़ीं, लेकिन उन्होंने इससे हार नहीं मानी और उनकी मेहनत के कारण आज अस्पताल में सुंदर गार्डन विकसित हो गया है। इस उद्यान में मरीज और उनके तीमारदार आराम करते दिखाई देते हैं तो बागोरा के मन को सुकून मिलता है। पर्यावरणप्रेमी बागोरा ने बताया कि इस कार्य का बीड़ा वर्ष 2009 से उठाया था। उस समय अस्पताल का शुभारंभ किया गया था। जिस जगह अस्पताल बनाया वहां हरियाली की कमी थी। ऐसे में ये बात मेरे मन को कचोटती थी। मन में सोचता था कि अस्पताल में तो केवल परेशान व्यक्ति का आना ही होता है। ऐसे में गर्मी के मौसम में अगर वह भवन के बाहर आकर बैठना चाहे तो संभव नहीं हो पाएगा। बस ये बात मेरे मन को अंदर से कचोटती थी। इसके बाद मैंने मन में ठान लिया कि कुछ भी हो जाए, यहां गार्डन बनाकर ही रहूंगा।ओर उन्होंने आज शहर के कई स्थानों पर फूलों के बगीचे तैयार किये है।
अस्पताल में बनाए उद्यान की देखरेख का जिम्मा 10 सालो से निभा रहे बागाेरा।
किशन बागोरा बताते हैं कि शुरू में जब मैं यहां पौधरोपण करने लगा तो परेशानियाें का पहाड़ मेरे सामने खड़ा था। जैसे-तैसे मैं पौधे लगाता तो चारदीवारी नहीं होने के कारण जानवर इन पौधों को नष्ट कर देते थे। ऐसे में मैंने इसके लिए प्लानिंग की और पत्थरों की सहायता से पौधों को जीवन देना शुरू किया।
अस्पताल परिसर के बाहर जब बागोरा घंटों तक पौधे लगाने और उनको सहेजने का काम करते थे तो लोगों को अचंभा होता था। लेकिन समय गुजरने के साथ ही लोग उनकी मेहनत की कीमत समझने लगे। जब पौधों ने आकार लेना शुरू किया तो लोगों ने उनके काम की सराहना की।
बागोरा कई बार हो चुके हैं सम्मानित
किशन बागोरा ने बताया कि पर्यावरण प्रेम के कारण उनको जिला स्तर पर कलेक्टर सम्मानित कर चुके हैं। वहीं, दो बार नगरपालिका भी उनको इस काम के लिए नवाज चुकी है। बागोरा ने इस बगीचे के अतिरिक्त अस्पताल के दोनों वार्डों के मध्य एक छोटा गुलाब का बगीचा भी बनाया हुआ है। जिसमे विभिन्न प्रकार के गुलाब लगे हुए हैं।Conclusion:किशन बागोरा लगातार 10 सालों से अस्पताल परिसर में इस बगीचे को संवारने में लगे हुए हैं। बगीचे को विकसित करने के लिए बागोरा को परेशानियां झेलनी पड़ीं, लेकिन उन्होंने इससे हार नहीं मानी और उनकी मेहनत के कारण आज अस्पताल में सुंदर गार्डन विकसित हो गया है।
बाईट- पर्यावरण प्रेमी किशन बागोरा
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