कोटा. राजस्थान के हाड़ौती संभाग में बारिश हो दौर जारी है. इसी के चलते नदी नाले भी उफान पर आ रहे हैं. कोटा से खातोली होकर सवाई माधोपुर जाने वाला मार्ग चंबल नदी की रेल की पुलिया पर पानी आ जाने के चलते बाधित है. इसी तरह अन्य पुलिया के ऊपर भी बारिश का पानी आ रहा है, जिससे कुछ देर के लिए रास्ते भी बंद होते रहते हैं. दूसरी तरफ हाड़ौती के डैम की बात की जाए तो यहां पर छोटे-बड़े मिलाकर 81 डैम हैं, जिनमें से 7 डैम पूरी तरह से फूल हो गए हैं और उनमें से पानी ओवरफ्लो हो रहा है या फिर डिस्चार्ज किया जा रहा है.
चंबल के चारों बांधों में पहले से ज्यादा पानी : हाड़ौती में जिन 81 दिन की बात कर रहे हैं, उनमें चंबल के 4 बड़े डैम भी शामिल हैं. इनमें दो कोटा संभाग में नहीं आते हैं. हालांकि, इनमें पानी की आवक से हाड़ौती संभाग ही सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. इन डैम में मध्य प्रदेश के मंदसौर में स्थित गांधी सागर और चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा में स्थित राणा प्रताप सागर बांध शामिल हैं. वहीं, दो डैम हाड़ौती में हैं, जिनमें एक बूंदी जिले में स्थित जवाहर सागर बांध और दूसरा कोटा बैराज है. इन चारों बांधों में दिन में बीते साल से ज्यादा पानी इस बार है. जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि चंबल के बांधों में कुल 10249 मीटर क्यूबिक मीटर पानी होता है. इस बार इन सभी डैम में करीब 70 फीसदी पानी है.
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6 डैम से की जा रही है पानी की निकासी : डब्ल्यूआरडी के एसई अंसारी ने बताया कि वर्तमान में 7 डैम ओवरफ्लो हुए हैं. उनमें बारां के उम्मेद सागर, बूंदी में चाकन, बटावदी, बंसोली और पैबालपुरा और झालावाड़ का रेवा और बोरबंद शामिल हैं. कोटा जिले का एक भी डैम अभी ओवरफ्लो नहीं हुआ है, जबकि 6 डैम ऐसे हैं, जिनसे पानी की निकासी की जा रही है. इनमें चंबल के चारों बांध और झालावाड़ जिले के दो डैम शामिल हैं. झालावाड़ जिले के कालीसिंध और छापी डैम से पानी की निकासी हो रही है.
जवाहर सागर और कोटा बैराज की नहीं है ज्यादा क्षमता : अधीक्षण अभियंता अंसारी ने बताया कि चंबल के सबसे बड़े बांध गांधी सागर है, जिसकी क्षमता 7165 मिलियन क्यूबिक मीटर है. इसमें इस बार 4347 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है. इस बार क्षमता का करीब 61 फीसदी पानी है, लेकिन यह बीते साल से थोड़ा सा कम है. जबकि राणा प्रताप सागर बांध में 2905 क्षमता है, जिसकी अपेक्षा वह इस बार 2672 मिलियन क्यूबिक मीटर भरा हुआ है. यह करीब 92 फीसदी है. हालांकि, मध्य प्रदेश से ज्यादा पानी इस बार अभी तक चंबल नदी में नहीं आया हैं. जवाहर प्रताप सागर बांध की क्षमता 67 मिलियन क्यूबिक मीटर है, लेकिन इसमें 48 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी भरा हुआ है. साथ ही कोटा बैराज की क्षमता 112 मिलियन क्यूबिक मीटर है और वह 111 मिलियन क्यूबिक मीटर भरा हुआ है. अधिकारियों का मानना है कि कोटा बैराज और जवाहर सागर बांध काशी छोटे बांध हैं.
बैराज से हो रही 12000 क्यूसेक पानी की निकासी : डब्ल्यूआरडी के अधिशासी अभियंता भारत रत्न गौड़ का कहना है कि कोटा बैराज से तीन गेट खोलकर करीब 12000 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है. यह बीते कई दिनों से लगातार जारी है. उनका कहना है कि जवाहर सागर बांध से मशीन डिस्चार्ज किया जा रहा है. इसी के चलते कोटा बैराज में इनफ्लो आ रहा है, जिसे गेट के जरिए चंबल नदी में डाला जा रहा है. राणा प्रताप सागर बांध से भी मशीन डिस्चार्ज किया जा रहा है. यह पानी ही जवाहर सागर बांध में आ रहा है.
बड़े बांधों में पानी आधे हुए फूल : जल संसाधन विभाग ने इन बांधों को क्षमता के आधार पर दो श्रेणियों में बांटा हुआ है, जिनमें 4.25 मिलीयन क्यूबिक मीटर की क्षमता से ज्यादा व कम क्षमता वाले बांध हैं. इनमें ज्यादा क्षमता वाले बांधों की संख्या 48 है. इनमें से 20 बांधों में 50 से ज्यादा पानी आ गया है, जबकि 24 बांध अभी आधे से ज्यादा खाली हैं. इनमें चार बांध पूरी तरह से फुल हैं. इन्हीं में शामिल चंबल के चारों बांध और झालावाड़ जिले के 2 बांधों से पानी की निकासी भी हुई है. इसी के साथ जब छोटे बांधों की बात की जाए, तो उनमें 33 बांधों में से 7 बांधों में 50 फीसदी से ज्यादा पानी है. जबकि 23 बांध अभी 50 फीसदी से कम पानी वाले हैं. वहीं, तीन बांध ऐसे हैं, जिनमें पानी ओवरफ्लो हो चुका है. अधिकारियों का मानना है कि अगस्त और सितंबर माह में सभी डैम लगभग लबालब हो जाएंगे. उनका कहना है कि इन डैम का फैसला ट्रेंड भी यही रहा है.