करौली. मानसून की सुस्त चाल की वजह से खरीफ की फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है. कभी सूखा तो कभी बेमौसम बरसात से जिले के किसानों की मुसीबतें बढ़ रहीं है. किसानों के साथ ही कृषि विभाग ने खरीफ के सीजन में अच्छे मानसून की उम्मीद जताई थी. लेकिन मौसम ने साथ नहीं दिया.
अच्छे मानसून के कारण जिन किसानों ने प्री-मानसून में बारिश होने पर बाजरा, तिल और ग्वार के अलावा दलहन की फसलों की बुवाई की थी. उन्हें बारिश के अभाव में फसलों को बचाने की चिंता सता रही है. किसानों ने खेतों में जो बीज डाले वे अंकुरित तो हुए लेकिन मिट्टी में नमी न होने की वजह से पौधे पूरी तरह पनप नहीं पा रहे हैं.
कोरोना संक्रमण की आशंका और पसीने छुड़ाती गर्मी के कारण 200 से 300 की दिहाड़ी पर भी फसल की निराई-गुड़ाई के लिए मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में किसान अपने परिजनों के साथ ही फसल की निराई गुड़ाई कर रहा है.
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10 हेक्टेयर में अभी तक नहीं हुई बुवाई
करौली जिले में मुख्यतः खरीफ की फसल बाजरा, ग्वार, तिल है. लेकिन बारिश के इंतजार में अब की बार करीब 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुबाई नहीं की जा सकी है. कुछ किसान खेतों को जोतने में लगे हैं. तो कई तैयार खेतों में बीज डालने को लेकर दुविधा में हैं. वह निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि पहले भरपूर बारिश हो जाने दें, उसके बाद बुवाई करें या सूखे खेतों में बीज डाल दे.
किसानों को इंद्र देव के मेहरबान होने का इंतजार
फसल बुवाई के बाद इंद्र देवता रूठ गए हैं. किसान इस बार अतिवृष्टि, ओलावृष्टि और सूखे की मार झेल रहे हैं. मौजूदा सीजन में मौसम विज्ञान के अनुसार सामान्य बारिश होने की संभावना थी. यही नहीं समय से मानसून सक्रिय होने का भी अनुमान लगाया गया था. मानसून के सक्रिय नहीं होने से खरीफ फसल पर सूखे के बादल मंडराने लगे हैं. किसानों को फसल बर्बाद होने की चिंता सताने लगी है.
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले वर्ष से बरसात का आकलन करें तो जुलाई तक 158 MM बारिश हो चुकी थी. जो इस वर्ष सिर्फ 108 MM बारिश हुई है. जिसके कारण करौली जिले में मुख्य रूप से धान (चावल) की खेती प्रभावित हुई है. क्योंकि इसमें ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है.
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1 लाख 55 हेक्टेयर में हुई बुवाई
कृषि विभाग के उपनिदेशक बीडी शर्मा ने बताया कि करौली जिले में एक बार 1 लाख 64 हजार 740 हेक्टेयर में खरीफ की फसल बुवाई का लक्ष्य रखा गया. जिसमें से लगभग 1 लाख 55 हजार हेक्टेयर भूमि पर फसल की बुबाई हो चुकी है.
उन्होंने बताया कि 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर में बाजरे की फसल का लक्ष्य रखा गया. जिसकी बुवाई लगभग हो चुकी है. 18 हजार हेक्टेयर में तिल, लगभग हजार हेक्टेयर में ग्वार, 4 हेक्टेयर में दलहन और हरे चारे की बुवाई की गई है. उन्होंने बताया की बरसात कम होने के कारण धान की खेती प्रभावित हुई है.
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बारिश न होने से किसान परेशान
किसानों ने बताया कि इस बार एक तरफ तो कोरोना संकट दूसरी तरफ मानसून की बेरुखी ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. जिसके कारण किसान की हालत खराब है. प्री-मानसून के कारण किसानों ने बाजरे के बीज की बुवाई कर दी. लेकिन मानसून की बेरुखी के कारण बाजरे का बीज भी नष्ट हो गया.
इधर, अच्छी बरसात नहीं होने के कारण धान की खेती की भी बुबाई नहीं हो पाई है. किसानों ने कहा कि इस बार किसानों पर आफत ही आफत है. टिड्डी दल गांवों में प्रवेश कर गया है. जो गांव-गांव में बैठी हुई है. पेड़ों-पौधों पर बैठी टिड्डीयों पर दवा का छिड़काव कर रहे हैं. लेकिन, उससे भी नुकसान है. किसानों ने कहा कि कोरोना संक्रमण के डर के चलते खेती की निराई गुड़ाई के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं. किसान भुखमरी की कगार पर आ गया है.