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करौलीः पुलिस केस वापस नहीं लेने पर पंचायत का तुगलकी फरमान, बंद कर दिया हुक्का पानी

करौली जिले में एक परिवार को पुलिस केस वापस नहीं लेने और राजीनामा नहीं करने पर पंचायत ने तुगलकी फरमान सुना दिया है. गांव के पंच पटेलों ने खाब पंचायत बुलाकर पीड़ित परिवार को समाज से बहिष्कृत करते हुए डेढ़ लाख के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है. पीड़ित परिवार ने इसकी शिकायत पुलिस प्रशासन से की लेकिन कई महीने बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिसके चलते पीड़ित परिवार दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है.

पंचायत ने परिवार को किया बहिष्कृत,  Panchayat boycotted family
पंचायत ने परिवार को किया बहिष्कृत
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Published : Dec 24, 2019, 6:58 PM IST

करौली. जिले के सपोटरा थाना अंतर्गत गांगुरदा गांव में एक परिवार पर पुलिस केस वापस नहीं के चलते पंचायत ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए पीड़ित परिवार का हुक्का पानी बंद कर डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. वहीं, पंचायत का फरमान जारी होने के बाद अब पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो रहा है.

पंचायत ने एक परिवार का बंद कर दिया हुक्का पानी

दरअसल, जिले के सपोटरा थाना अंतर्गत गांगुरदा गांव में एक परिवार की ओर से फर्जी तरीके से नौकरी करने का मामला थाने में दर्ज कराया गया. इस मामले में दूसरे पक्ष से राजीनामा नहीं करने पर गांव के पंच पटेलों ने खाब पंचायत बुलाकर पीड़ित परिवार को समाज से बहिष्कृत करते हुए डेढ़ लाख के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है.

पीड़ित परिवार ने पंचायत के तुगलकी फरमान को लेकर मानव अधिकार और पुलिस उपाधीक्षक कैलादेवी से भी शिकायत की. लेकिन कई माह बाद भी पुलिस प्रशासन ने तुगलकी फरमान सुनाने वाले और फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

पढ़ें- ईदगाह जा रहे 4 साल के मासूम की चाइनीज मांझे से कटी गर्दन, मौत

पीड़ित महेश मीना ने बताया की उसके गांव के कई लोग फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी कर रहे है. जिसकी पीड़ित ने RTI लगाने के साथ ही थाने में मुकदमा दर्ज भी कराया था. इस पर गांव के पंच पटेलों ने पीड़ित पर केस वापस लेने का दबाब बनाया. लेकिन जब उसने राजीनामा करने से इंकार कर दिया तो पीड़ित परिवार के खिलाफ पंचायत ने हुक्का पानी बंद करने का फरमान जारी कर दिया. इतना ही नहीं बल्कि परिवार पर डेढ़ लाख रुपए का आर्थिक दंड भी लगा दिया.

वहीं, दूसरी ओर दोनों भाइयों के खिलाफ झूठा मुकदमा भी दर्ज करा दिया. जबकि उस समय वह रेलवे में नौकरी कर रहा था और उसका भाई करनपुर में जेसीबी से कार्य कर रहा था. इस मामले की शिकायत पूर्व में मानवा अधिकार और पुलिस से की गई. लेकिन अब तक किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हुई.

पढ़ें- राजस्थान पुलिस का एक और नवाचार, अनसुलझे-अनट्रेस मामलों में आमजन से मदद की आस

पीड़ित ने बताया कि खेतों पर काम करने वाले मजदूरों को भी गांव के पंच पटेलों की ओर से भगा दिया जाता है. परिवार पूरी तरीके से परेशान है उन्हें ना तो सार्वजनिक स्थान पर जाने दिया जाता है और ना ही मन्दिरों में जाने दिया जाता है.

पीड़ित ने बताया कि अगर हम कहीं जाते भी हैं तो एक ग्रुप के लोग वहां पर खड़े हो जाते हैं. जिससे हम डर और भय से वापस लौट आते हैं. जांच अधिकारी अजीत सिंह ने बताया की 7-8 माह पूर्व पीड़ित परिवार की ओर से समाज से बहिष्कृत करने का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में अनुसंधान जारी है और जल्द ही इसे कोर्ट में पेश कर दिया जाएगा. डीएसपी राज कंवर ने बताया की मैंने अभी कुछ दिन पहले ही ड्यूटी ज्वाइन की है. मामले की जानकारी की जा रही है जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

करौली. जिले के सपोटरा थाना अंतर्गत गांगुरदा गांव में एक परिवार पर पुलिस केस वापस नहीं के चलते पंचायत ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए पीड़ित परिवार का हुक्का पानी बंद कर डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. वहीं, पंचायत का फरमान जारी होने के बाद अब पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो रहा है.

पंचायत ने एक परिवार का बंद कर दिया हुक्का पानी

दरअसल, जिले के सपोटरा थाना अंतर्गत गांगुरदा गांव में एक परिवार की ओर से फर्जी तरीके से नौकरी करने का मामला थाने में दर्ज कराया गया. इस मामले में दूसरे पक्ष से राजीनामा नहीं करने पर गांव के पंच पटेलों ने खाब पंचायत बुलाकर पीड़ित परिवार को समाज से बहिष्कृत करते हुए डेढ़ लाख के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है.

पीड़ित परिवार ने पंचायत के तुगलकी फरमान को लेकर मानव अधिकार और पुलिस उपाधीक्षक कैलादेवी से भी शिकायत की. लेकिन कई माह बाद भी पुलिस प्रशासन ने तुगलकी फरमान सुनाने वाले और फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

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पीड़ित महेश मीना ने बताया की उसके गांव के कई लोग फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी कर रहे है. जिसकी पीड़ित ने RTI लगाने के साथ ही थाने में मुकदमा दर्ज भी कराया था. इस पर गांव के पंच पटेलों ने पीड़ित पर केस वापस लेने का दबाब बनाया. लेकिन जब उसने राजीनामा करने से इंकार कर दिया तो पीड़ित परिवार के खिलाफ पंचायत ने हुक्का पानी बंद करने का फरमान जारी कर दिया. इतना ही नहीं बल्कि परिवार पर डेढ़ लाख रुपए का आर्थिक दंड भी लगा दिया.

वहीं, दूसरी ओर दोनों भाइयों के खिलाफ झूठा मुकदमा भी दर्ज करा दिया. जबकि उस समय वह रेलवे में नौकरी कर रहा था और उसका भाई करनपुर में जेसीबी से कार्य कर रहा था. इस मामले की शिकायत पूर्व में मानवा अधिकार और पुलिस से की गई. लेकिन अब तक किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हुई.

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पीड़ित ने बताया कि खेतों पर काम करने वाले मजदूरों को भी गांव के पंच पटेलों की ओर से भगा दिया जाता है. परिवार पूरी तरीके से परेशान है उन्हें ना तो सार्वजनिक स्थान पर जाने दिया जाता है और ना ही मन्दिरों में जाने दिया जाता है.

पीड़ित ने बताया कि अगर हम कहीं जाते भी हैं तो एक ग्रुप के लोग वहां पर खड़े हो जाते हैं. जिससे हम डर और भय से वापस लौट आते हैं. जांच अधिकारी अजीत सिंह ने बताया की 7-8 माह पूर्व पीड़ित परिवार की ओर से समाज से बहिष्कृत करने का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में अनुसंधान जारी है और जल्द ही इसे कोर्ट में पेश कर दिया जाएगा. डीएसपी राज कंवर ने बताया की मैंने अभी कुछ दिन पहले ही ड्यूटी ज्वाइन की है. मामले की जानकारी की जा रही है जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Intro:जिले के सपोटरा थाना अंतर्गत गांगुरदा गांव मे एक परिवार पर पुलिस केस वापस नहीं लेने पर गांव के पंच पटेलों ने पंचायत का तुगलकी फरमान सुनाया है. और पीड़ित परिवार का हुक्का पानी बंद कर डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना ठोका है. पंचायत के तुगलकी फरमान जारी होने के बाद पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर ठोकर खाने को मजबूर हो रहा है.


Body:करौलीःपुलिस केश वापिस नही लेने पर पंचायत का तुगलकी फरमान पीड़ित परिवार का किया हुक्का पानी बन्द,

करौली

दरअसल करौली जिले के सपोटरा थाना अंतर्गत गांगुरदा गांव में एक परिवार द्वारा फर्जी तरीके से नौकरी करने का मामला सपोटरा थाने में दर्ज कराया .इस मामले में दूसरे पक्ष से राजीनामा नहीं करने पर गांव के पंच पटेलों ने खाव पंचायत बुलाकर पीड़ित परिवार को समाज से बहिष्कृत करते डेढ लाख का आर्थिक दंड ठोक दिया. पीड़ित परिवार ने पंचायत के तुगलकी फरमान को लेकर मानव अधिकार व पुलिस उपाधीक्षक कैलादेवी से भी शिकायत की. लेकिन कई माह बाद भी पुलिस प्रशासन ने तुगलकी फरमान सुनाने वाले व फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की.

पीड़ित महेश मीना ने बताया की उसके गांव के कई लोग फ़र्जकारी कर सरकारी नौकरी कर रहे है. जिसकी पीड़ित द्वारा आरटीआई लगाने के साथ थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था.इस पर गांव के पंच- पटेलों ने पीड़ित से केश वापिस लेने का दबाब बनाया.उसके द्वारा राजीनामा करने से इन्कार करने पर पीड़ित परिवार को पंचायत में पंच पटेलों ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए पीड़ित परिवार को समाज के बेदखल कर डेढ लाख रुपये का आर्थिक दंड लगा दिया. वही दूसरी ओर दोनों भाइयों के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया.जबकि उस समय वह रेलवे में नौकरी कर रहा था तथा उसका भाई करनपुर में जेसीबी से कार्य कर रहा था. इस मामले की शिकायत पूर्व में मानव अधिकार व पुलिस से की. लेकिन आज तक किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई नही हुई. पीड़ित ने बताया कि खेतों पर काम करने वाले मजदूरों को भी गांव के पंच पटेलों द्वारा भगा दिया जाता है. अगर मजदूर खेतों पर से नहीं लौटते हैं तो उनको धमकियां दी जाती हैं. परिवार पूरी तरीका से परेशान है. ना तो सार्वजनिक स्थान पर जाने दिया जाता है और ना ही मन्दिरों में जाने दिया जाता है. अगर हम कहीं जाते भी हैं तो एक ग्रुप के लोग वहां पर खड़े हो जाते हैं जिससे हम डर और भय के वापस लौट आते हैं.जांच अधिकारी अजीत सिंह ने बताया की सात आठ माह पूर्व पीड़ित परिवार की ओर से समाज से बहिष्कृत करने का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में अनुसंधान जारी है.जल्द ही इसे कोर्ट में पेश कर दिया जाएगा.डीएसपी राज कंवर ने बताया की मैंने अभी कुछ दिन पहले ही ड्यूटी ज्वाइन की है. मामले की जानकारी की जा रही है. जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वाईट--- महेश पीड़ित,

वाइट---अजीत कुमार जांच अधिकारी


Conclusion:
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