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राजस्थानी लहरिया ने बरसाई उल्लास की लहरें, सावन की हरियाली में दमके चेहरें - जोधपुर न्यूज

सावन माह के शुरू होते ही बाजारों में महिलाओं की भीड़ दिखनी शुरू हो जाती है. जिसका कारण हरी चूडियां और साड़ियां होती है. जोधपुर में भी बाजारों में अब रौनक आ गई है. दुकानों पर राजस्थानी लहरिया की मांग काफी बढ़ गई है. जिससे दुकानदार भी काफी खुश दिखाई दे रहे हैं. महिलाएं दुकानों पर पहुंच कर तरह तरह की लहरियां की ओढ़नी और साड़ियों की खरीददारी करती देखी जा रही है.

राजस्थान न्यूज, jodhpur news
दुकानों पर देखी जा रही महिलाओं की भीड़
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Published : Aug 1, 2020, 4:08 PM IST

भोपालगढ (जोधपुर). महामारी की मार झेल रहा बाजार अब मंदी से उबरने लगा है. कपड़ा बाजार में इन दिनों कुछ ज्यादा ही हलचल है. सावन के साथ राजस्थानी लहरिया ने उल्लास की लहरें ला दी है. इससे सावन की हरियाली के बीच दुकानदारों के चेहरे भी दमक रहे हैं.

महिलाओं में लहरिया वस्त्रों का वैसे ही क्रेज रहता है, लेकिन सावन के दौरान यह सिर चढऩे लगता है. विभिन्न त्योहारों में सुहागिनें लहरिया पोशाक में ही नजर आती है. कार्यक्रमों में विभिन्न रंगों के लहरिया पोशाक में सजी-धजी महिलाएं अलग ही नजर आती है. लहरिया राजस्थानी जीवन की छाप छोड़ जाता है.

जोधपुर न्यूज
दुकानदारों ने दुकानों पर बढ़ाई वैरायटी

पढ़ें- ढोल-नगाड़ों की थाप पर भगवान शिव का अभिषेक, भक्तों ने मांगी कोरोना महामारी खत्म करने की मन्नत

खुश नजर आ रहे व्यवसायी

लहरिया की मांग बढऩे से दुकानदार खुश नजर आ रहे हैं. अच्छी खरीदारी की उम्मीद में व्यवसायियों ने लहरिया की एक से एक डिजाइन और कलर का स्टॉक कर रखा है. दुकानों के बाहर प्रदर्शन के लिए लगाई जाने वाली पोशाक में भी इन दिनों लहरिया खास जगह बनाए हुए है. हर वर्ग और उम्र की महिलाओं में भी लहरिया का क्रेज बना हुआ है.

जोधपुर न्यूज, rajasthan news
महिलाओं में दिख रहा लहरिया का क्रेज
सौभाग्य का प्रतीक है लहरिया

सावन में लहरिया पहनने का मुख्य उद्देश्य बारिश और पानी के मौसम को उत्सव के रूप में मनाना है. लहरिया को एक तरह से सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. कुछ प्रिंट और रंग तो बेहद पसंद किए जाते हैं. शिव-गौरी की पूजा में इसका बहुत महत्व है, यही कारण है कि सावन में की जाने वाले शिव-गौरी की पूजा में सुहागिनें खासतौर से लहरिया पहनती है. लहर सी बनी होने से लहरिया परम्परागत रूप से गांवों में ओढ़णी और शहरी कल्चर में महिलाएं साड़ी पहनना पसंद करती है. इसे देखते हुए ओढ़णी के साथ साडियां भी लहरिया प्रिंट में आ रही है. इस प्रिंट में पानी की लहरों सी बनावट साफ नजर आती है. ऊपर-नीचे उठती हुई आड़ी-तिरछी लकीरों की छाप एक नया भाव व्यक्त करती हैं. लहरों सी बनी होने के कारण इस प्रिंट को लहरिया नाम मिला हुआ है.

राजस्थान न्यूज, jodhpur news
दुकानों पर बड़ी लहरिया साड़ी की मांग

पढ़ें- जोधपुर: पर्व पर सख्ती...पतंगबाजी पर रोक के साथ ये निर्देश जारी

नवविवाहिताओं को ससुराल का उपहार

राजस्थानी संस्कृति में लहरिया पहनना सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. लिहाजा सावन माह में नवविवाहिताओं को लहरिया और हरे कांच की चूडिय़ां उपहार में भेजी जाती है. शादी के बाद पहला सावन आने पर ससुराल पक्ष की ओर से नवविवाहिता को यह भेंट मिलती है, जो उसके वैवाहिक जीवन के लिए बेहद खास अवसर माना गया है. हरे रंग को जीवन में खुशियों का प्रतीक माना गया है इसलिए इस शुभ अवसर पर हरे रंग की चूडिय़ों का उपहार मिलता है.

भोपालगढ (जोधपुर). महामारी की मार झेल रहा बाजार अब मंदी से उबरने लगा है. कपड़ा बाजार में इन दिनों कुछ ज्यादा ही हलचल है. सावन के साथ राजस्थानी लहरिया ने उल्लास की लहरें ला दी है. इससे सावन की हरियाली के बीच दुकानदारों के चेहरे भी दमक रहे हैं.

महिलाओं में लहरिया वस्त्रों का वैसे ही क्रेज रहता है, लेकिन सावन के दौरान यह सिर चढऩे लगता है. विभिन्न त्योहारों में सुहागिनें लहरिया पोशाक में ही नजर आती है. कार्यक्रमों में विभिन्न रंगों के लहरिया पोशाक में सजी-धजी महिलाएं अलग ही नजर आती है. लहरिया राजस्थानी जीवन की छाप छोड़ जाता है.

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दुकानदारों ने दुकानों पर बढ़ाई वैरायटी

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खुश नजर आ रहे व्यवसायी

लहरिया की मांग बढऩे से दुकानदार खुश नजर आ रहे हैं. अच्छी खरीदारी की उम्मीद में व्यवसायियों ने लहरिया की एक से एक डिजाइन और कलर का स्टॉक कर रखा है. दुकानों के बाहर प्रदर्शन के लिए लगाई जाने वाली पोशाक में भी इन दिनों लहरिया खास जगह बनाए हुए है. हर वर्ग और उम्र की महिलाओं में भी लहरिया का क्रेज बना हुआ है.

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महिलाओं में दिख रहा लहरिया का क्रेज
सौभाग्य का प्रतीक है लहरिया

सावन में लहरिया पहनने का मुख्य उद्देश्य बारिश और पानी के मौसम को उत्सव के रूप में मनाना है. लहरिया को एक तरह से सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. कुछ प्रिंट और रंग तो बेहद पसंद किए जाते हैं. शिव-गौरी की पूजा में इसका बहुत महत्व है, यही कारण है कि सावन में की जाने वाले शिव-गौरी की पूजा में सुहागिनें खासतौर से लहरिया पहनती है. लहर सी बनी होने से लहरिया परम्परागत रूप से गांवों में ओढ़णी और शहरी कल्चर में महिलाएं साड़ी पहनना पसंद करती है. इसे देखते हुए ओढ़णी के साथ साडियां भी लहरिया प्रिंट में आ रही है. इस प्रिंट में पानी की लहरों सी बनावट साफ नजर आती है. ऊपर-नीचे उठती हुई आड़ी-तिरछी लकीरों की छाप एक नया भाव व्यक्त करती हैं. लहरों सी बनी होने के कारण इस प्रिंट को लहरिया नाम मिला हुआ है.

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नवविवाहिताओं को ससुराल का उपहार

राजस्थानी संस्कृति में लहरिया पहनना सौभाग्य का प्रतीक माना गया है. लिहाजा सावन माह में नवविवाहिताओं को लहरिया और हरे कांच की चूडिय़ां उपहार में भेजी जाती है. शादी के बाद पहला सावन आने पर ससुराल पक्ष की ओर से नवविवाहिता को यह भेंट मिलती है, जो उसके वैवाहिक जीवन के लिए बेहद खास अवसर माना गया है. हरे रंग को जीवन में खुशियों का प्रतीक माना गया है इसलिए इस शुभ अवसर पर हरे रंग की चूडिय़ों का उपहार मिलता है.

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