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कर्मकांडी पंडितों पर लॉकडाउन का असर, रोजी-रोटी के संकट के बीच सरकार से लगाई मदद की गुहार - कर्मकांडी पंडित

पूजा-पाठ और अनुष्ठान करवाकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले कर्मकांडी ब्राह्मणों पर भी कोरोना वायरस और लॉकडाउन का असर दिख रहा है. अब ये लोग भी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. साथ ही कुछ छूट मिलने की भी मांग कर रहे हैं ताकि परिवार के भरण-पोषण के लिए कुछ पैसों को इंतजाम कर हो सके.

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कर्मकांडी पंडितों पर लॉकडाउन का असर
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Published : May 21, 2020, 8:54 PM IST

जोधपुर. पूजा-पाठ और अनुष्ठान करवाकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले कर्मकांडी ब्राह्मणों पर भी कोरोना वायरस और लॉकडाउन का असर दिख रहा है. जोधपुर जिले में रहने वाले कई ज्योतिषियों और पंडितों ने पूरी दुनिया में नाम कमाया है. फिर चाहे डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली हो, डॉक्टर राधाकृष्ण श्रीमाली हो, डॉक्टर भोजराज द्विवेदी या फिर वर्तमान में सुरेश श्रीमाली देश ही नहीं पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन इन बड़े नामों के अलावा सैकड़ों ऐसे ज्योतिषी और कर्मकांड पंडित है जोधपुर में हैं जिनकी रोजी-रोटी ज्योतिष और कर्मकांड के ही चलती है.

कर्मकांडी पंडितों पर लॉकडाउन का असर

इनमें से ज्यादातर गली-मौहल्लों और मंदिरों में पूजा पाठ और लोगों के घर जन्म, मरण और अन्य कार्यों पर कर्मकांड करवाते हैं. ये लोग यजमान से उससे मिलने वाली दक्षिणा से ही परिवार पालते हैं. करीब 50 दिनों से लॉकडाउन जारी रहने से इन ज्योतिषियों और कर्मकांडी पंडितों के आय का एकमात्र स्रोत बंद हो गया है.

अब हालात ये हैं कि थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी खत्म हो गई है. अब इन लोगों की मांग है कि उन्हें भी सरकार की तरह से कुछ सहायता दी जाए. इनका कहना है कि हम आरक्षित वर्ग में नहीं है ऐसे में हम सरकारी सहायता से भी वंचित हैं. सरकार ने जिन वर्गों को राशन देने के आदेश निकाला है जिसमें पुजारियों को शामिल किया है लेकिन कुछ राहत नहीं मिल रही है.

सरकार से कुछ राहत देने की मांग:

लॉकडाउन के कारण पंडित घरों से भी नहीं निकल रहे हैं. जिन सरोवरों पर हवन तर्पण विसर्जन आदि कर्मकांड होते थे, वे अब सूने पड़े हैं. ऐसा ही एक प्रमुख जलाशय पदम सागर है जहां साल भर पंडितों और उनके यजमानों की भीड़ लगी रहती थी. अब यह पदम सागर घाट पूरी तरह से सूना है. ये पंडित सरकार से सहायता मांग रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि अब मृतक कर्म, नारायण बलि जैसे कर्मकांड कराने की उन्हें अनुमति मिलनी चाहिए.

येे भी पढ़ें: रोजी पर संकटः सुनहरी दुनिया को कैद करने वालों की जिंदगी पर 'लॉकडाउन'

जिन तिथि, योग, त्योहार और पर्व पर जो कर्मकांड संपन्न किए जाने थे वे तो अब हो ही नहीं पाएंगे. पंडितों का कहना है कि साठ दिनों में बहुत परेशानी बढ़ गई है. हजारों की संख्या में पंडित बेरोजगार हो गए हैं. संयुक्त परिवार से गुजारा चल रहा है अगर यह लंबा चला तो परेशानी बढ़ जाएगी.

ये भी पढ़ें: हनुमान बेनीवाल ने चिकित्सा मंत्री और मुख्य सचिव को लिखा पत्र...

इनका कहना है कि जिनका पूरा परिवार ही इस काम पर टिका था उनके लिए तो ज्यादा परेशानी है. वे उच्च वर्ग में आते हैं ऐसे में उन्हें नियमित सरकारी सहायत जो अन्य वर्गों को मिलती है उससे भी वंचित है. इन परेशान पंडित परिवारों का कहना है कि, सरकार ने हाल ही में कुछ लोगों को राशन देने की बात कही है उसमें पुजारियों को शामिल किया है लेकिन यह परिपूर्ण नहीं है. इन परिवारों का कहना है उन्हें उम्मीद है सरकार उनके लिए भी कुछ मदद करेगी.

जोधपुर. पूजा-पाठ और अनुष्ठान करवाकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले कर्मकांडी ब्राह्मणों पर भी कोरोना वायरस और लॉकडाउन का असर दिख रहा है. जोधपुर जिले में रहने वाले कई ज्योतिषियों और पंडितों ने पूरी दुनिया में नाम कमाया है. फिर चाहे डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली हो, डॉक्टर राधाकृष्ण श्रीमाली हो, डॉक्टर भोजराज द्विवेदी या फिर वर्तमान में सुरेश श्रीमाली देश ही नहीं पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन इन बड़े नामों के अलावा सैकड़ों ऐसे ज्योतिषी और कर्मकांड पंडित है जोधपुर में हैं जिनकी रोजी-रोटी ज्योतिष और कर्मकांड के ही चलती है.

कर्मकांडी पंडितों पर लॉकडाउन का असर

इनमें से ज्यादातर गली-मौहल्लों और मंदिरों में पूजा पाठ और लोगों के घर जन्म, मरण और अन्य कार्यों पर कर्मकांड करवाते हैं. ये लोग यजमान से उससे मिलने वाली दक्षिणा से ही परिवार पालते हैं. करीब 50 दिनों से लॉकडाउन जारी रहने से इन ज्योतिषियों और कर्मकांडी पंडितों के आय का एकमात्र स्रोत बंद हो गया है.

अब हालात ये हैं कि थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी खत्म हो गई है. अब इन लोगों की मांग है कि उन्हें भी सरकार की तरह से कुछ सहायता दी जाए. इनका कहना है कि हम आरक्षित वर्ग में नहीं है ऐसे में हम सरकारी सहायता से भी वंचित हैं. सरकार ने जिन वर्गों को राशन देने के आदेश निकाला है जिसमें पुजारियों को शामिल किया है लेकिन कुछ राहत नहीं मिल रही है.

सरकार से कुछ राहत देने की मांग:

लॉकडाउन के कारण पंडित घरों से भी नहीं निकल रहे हैं. जिन सरोवरों पर हवन तर्पण विसर्जन आदि कर्मकांड होते थे, वे अब सूने पड़े हैं. ऐसा ही एक प्रमुख जलाशय पदम सागर है जहां साल भर पंडितों और उनके यजमानों की भीड़ लगी रहती थी. अब यह पदम सागर घाट पूरी तरह से सूना है. ये पंडित सरकार से सहायता मांग रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि अब मृतक कर्म, नारायण बलि जैसे कर्मकांड कराने की उन्हें अनुमति मिलनी चाहिए.

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जिन तिथि, योग, त्योहार और पर्व पर जो कर्मकांड संपन्न किए जाने थे वे तो अब हो ही नहीं पाएंगे. पंडितों का कहना है कि साठ दिनों में बहुत परेशानी बढ़ गई है. हजारों की संख्या में पंडित बेरोजगार हो गए हैं. संयुक्त परिवार से गुजारा चल रहा है अगर यह लंबा चला तो परेशानी बढ़ जाएगी.

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इनका कहना है कि जिनका पूरा परिवार ही इस काम पर टिका था उनके लिए तो ज्यादा परेशानी है. वे उच्च वर्ग में आते हैं ऐसे में उन्हें नियमित सरकारी सहायत जो अन्य वर्गों को मिलती है उससे भी वंचित है. इन परेशान पंडित परिवारों का कहना है कि, सरकार ने हाल ही में कुछ लोगों को राशन देने की बात कही है उसमें पुजारियों को शामिल किया है लेकिन यह परिपूर्ण नहीं है. इन परिवारों का कहना है उन्हें उम्मीद है सरकार उनके लिए भी कुछ मदद करेगी.

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