जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल का पांचवा बजट दस फरवरी को पेश करेंगे. प्रदेश के राजनीतिक हालात और उनकी सरकार को वापस लाने की जीजिविषा का समन्वय इस बजट में देखने को मिलेगा. बजट युवाओं को समर्पित करने की बात बहुत पहले से की जा रही है. सीएम गहलोत के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस बजट से प्रदेश के हर वर्ग को साधने की होगी जिसके बूते वे हर बार सरकार बदलने की परंपरा को तोड़कर लगातार दूसरी सीएम बन सकें.
क्योंकि सीएम खुद बयान दे चुके हैं कि सरकार के खिलाफ किसी तरह की एंटी इंकमबेंसी नहीं है. ऐसे में सरकार बरसों से लंबित मांगों को अमली जामा पहनाने के लिए बड़ा दांव खेल सकती है. सरकार ऐसी कौन सी पांच बड़ी घोषणाएं कर सकती है जो गेम चेंजर साबित होगी? जो सरकार के पक्ष में जनता का रुख मोड़ेगी और अशोक गहलोत को फिर से सत्ता सौंपेगी?
यह है संभावित पांच बड़ी घोषणाएं
भर्ती में सिर्फ राज्य को ही वरियता मिले: देश के 22 राज्यों में सरकारी नौकरी के लिए ऐसा कानून बन चुका है जिसके तहत सिर्फ उस राज्य के युवाओं को ही नौकरी में वरियता दी जा रही है. वहां पर अन्य राज्यों के युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है. ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश का है जहां भी करीब डेढ़ साल पहले यह कानून लागू कर दिया गया था. राजस्थान में भी यह मांग लंबे समय से उठ रही है कि प्रदेश की भर्ती में युवाओं को भी वरियता मिले. इसको लेकर सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक बलजीत यादव भी प्रदर्शन कर चुके हैं.
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ऐसे में सीएम गहलोत बजट में यह घोषणा करते हैं तो उनके लिए चुनावी साल में फायदा होगा. इसके अलावा पेपर लीक जैसी घटनाओं पर रोक और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के कानूनी प्रावधान भी सरकार के लिए मुनाफे का सौदा बन सकते हैं. बेरोजगारों के हितों को लेकर उपेन यादव लगातार सक्रिय हैं. उनकी भी यह मांग रही है. बेरोजगारों का संगठन गुजरात व यूपी चुनाव में भी जाकर प्रदर्शन कर चुका है.
प्रदेश में नए जिलों और संभाग के गठन की घोषणा : नए जिलों को लेकर बनी रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार प्रदेश में 8 नए जिले बना सकती है. इसके अलावा संभाग मुख्यालय के ढांचे में परिवर्तन कर संभागों की संख्या बढ़ा सकती है. नए जिलों में अलवर में भिवाड़ी, कोटपूतली, सीकर में नीम का थाना, चूरू में सुजानगढ़, जोधपुर में फलौदी, बाड़मेर में बालोतरा, अजमेर में ब्यावर व नागौर में कुचामन सिटी को नया जिला बनाने की घोषणा सरकार कर सकती है. इन सभी जगह पर जिला बनाने के लिए आंदोलन हो चुके हैं.
बालोतरा को जिला बनाने के लिए कांग्रेस विधायक नंगे पांव घूम रहे हैं. नए जिलों के गठन के साथ सरकार संभाग मुख्यालय की संख्या 7 से 10 की जा सकती है. नए संभाग के रूप में सीकर, बाड़मेर व चित्तौड़गढ़ का उदय हो सकता है. यह बात अलग है कि नए जिले बनने से सरकार को अधिकारियों के पद सृजित करने होंगे. आधारभूत ढांचा खड़ा करना होगा. इससे सरकार पर बोझ भी बढ़ेगा लेकिन साथ में वर्तमान में जिला मुख्यालय से डेढ़ सौ से दो सौ किमी दूर रहने वाले लोगों को राहत मिलेगी. प्रदेश में 2008 में 33 वें जिले के रूप में प्रतापगढ़ बनाया गया था.
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चिंरजीवी योजना में ओपीडी सुविधा: प्रदेश के लिए लागू की गई मुख्यमंत्री चिंरजीवी योजना लोकप्रिय हो चुकी है. सरकार वापसी में यह योजना बड़ी भूमिका निभा सकती है. वर्तमान में इस योजना के तहत भर्ती होने पर मरीजों को सरकार व निजी अस्पतालों में दस लाख रुपए तक निशुल्क उपचार देने का प्रावधान है. साथ ही इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार का पांच लाख का दुर्घटना बीमा भी हो रहा है जिसका फायदा कई परिवारों को मिला भी है. इस योजना का आकार बढ़ाते हुए सरकार भर्ती होने वाले मरीजों के साथ ही अब सरकारी व निजी अस्पतालों में परामर्श सेवा यानी ओपीडी के लिए निशुल्क सेवा शुरू करने की घोषणा कर सकती है जो सबसे बड़ा गेम चेंजर हो सकता है.ॉ
क्योंकि प्रदेश में छह सौ से ज्यादा निजी अस्पताल योजना से जुडे़ हुए हैं. इस योजना के अंतर्गत करीब डेढ़ करोड़ परिवार जुड़ चुके हैं. योजना को केंद्र की आयुष्मान योजाना के तोड़ के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में सरकार बड़ा दांव खेल सकती है. प्रदेश में अभी निशुल्क ओपीडी सेवा सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही है. निजी अस्पतालों में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों व पेेंशनर्स को यह सुविधा दी जा रही है.
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पेट्रोल, डीजल पर लगने वाले वैट में कटौती: पूरे देश में पेट्रोल-डीजल के भाव करीब आठ माह से स्थिर बने हुए हैं. पेट्रो-कंपनियां अच्छा खासा मुनाफा कमा रही हैं, क्योकि क्रूड ऑयल सस्ता है, लेकिन आमजन को इसका फायदा नहीं मिल रहा है. केंद्र सरकार की एक्साइज के अलावा पेट्रोल-डीजल की दरों में प्रदेश का वैट शामिल होता है. राजस्थान में अभी प्रति लीटर पेट्रोल पर 28 रुपए 61 पैसे वैट लग रहा है. डीजल के भाव राजस्थान में 94 से 97 रुपए प्रति लीटर है. इसमें 24.71 फीसदी वैट शामिल है. सरकार ने इससे पहले मई 2022 में पेट्रोल और डीजल पर वैट कम किया था. अब अगर सरकार बजट में इसको लेकर बडी घोषणा करती है तो चुनावी साल में लाभ मिल सकता है. गहलोत पूर्व में भी केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि क्रूड ऑयल सस्ता होने पर भी जनता को पेट्रोल-डीजल के दामों में राहत क्यों नहीं दी जा रही है. ऐसे में वह चुनावी साल में इस आरोप के साथ राहत की घोषणा कर जनमानस को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर सकते हैं.
कर्मचारियों के हित साधने की जरूरत : गहलोत सरकार कर्मचारियों को साधने के लिए ओपीएस लागू कर चुकी है. पहले बजट में घोषणा की थी कि संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियिमत किया जाएगा, लेकिन इन्हें नियमित न कर नया कानून बना दिया जिससे नुकसान हो रहा है. इसमें बदलाव के अलावा पैरा टीचर्स सहित शिक्षा विभाग में कई पद हैं जिन्हें लंबे समय से अल्प वेतन मिल रहा है. उनके नियमितीकरण के साथ पटवारी, कांस्टेबल, ग्राम सेवक जैसे संवर्ग की ओऱ से 3600 का ग्रेड पे लागू करने की मांग के लिए सरकार कोई बीच का रास्ता निकाल सकती है.
इन सवंर्ग के कर्मचारियों को अभी 1800, 2400 और 2800 का ग्रेड पे दिया जा रहा है. ऐसे में सरकार इस संवर्ग को खुश करने के लिए नया ग्रेड पे बनाने की घोषणा कर सकती है. क्योंकि चुनावी साल में सरकार के इस अंतिम बजट में अपनी मांगों लेकर कर्मचारी सक्रिय हैं. विधानसभा के बाहर प्रदर्शन हो रहे हैं. इसके अलावा कई शहरों में कर्मचारी संगठन लामबद हो चुके हैं.