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जोधपुर में इस बार प्रदूषण फ्री दिवाली, मार्केट में ग्रीन पटाखों की धूम - diwali 2022

जोधपुर में प्रशासन इस बार थोड़ा सख्त है. लोगों को ग्रीन पटाखों के लिए जागरूक भी कर रहा है से नो टू क्रैकर्स अभियान के जरिए. दावा किया जा रहा है कि जिला इस बार ग्रीन आतिशबाजी का गवाह बनेगा.

Pollution Free Diwali 2022
प्रदूषण फ्री दिवाली
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Published : Oct 22, 2022, 5:20 PM IST

जोधपुर. पूरे देश में वायु प्रदूषण के मामले में बदनाम जोधपुर में इस बार दिवाली के दिनों में प्रदूषण में कमी आ सकती है. इसकी वजह पुलिस कश्मिनरेट का एक आदेश है. जिसके मुताबिक जिले में सिर्फ ग्रीन पटाखों से ही आतिशबाजी की इजाजत होगी. दावा है कि इस बार बाजार मेंं सिर्फ ग्रीन पटाखे ही मिल रहे हैं. जिससे प्रदूषण कम हो.

जेब पर भारी ग्रीन दिवाली: लेकिन ग्रीन पटाखे आपकी जेब पर बहुत भारी पड़ने वाले है. इसकी वजह है डिमांड और सप्लाई के बीच का गैप! दरअसल, प्रोडक्शन कम होने से इनके भावों में तेजी है. बाजार में सामान्य पटाखों से लगभग दोगुना महंगे बिक रहे है ग्रीन पटाखे. सामान्य पटाख बाजार से गायब हैं. विकल्प सिर्फ हरे पटाखों का ही खरीदारों के पास रह गया है. पटाखे के होलसेल व्यापारियों का कहना है कि प्रोडक्शन में कमी होने से जितना माल का आर्डर दे रहे हैं उतना मिल नहीं रहा हैं.

प्रदूषण फ्री दिवाली

ऐसे पहचानें ग्रीन पटाखे: अगले दो दिनों में भावों में और तेजी आएगी. बाजार में हर दुकान पर ग्रीन पटाखे ही मिल रहे हैं. इनकी पहचान के लिए इन पर एक क्यूआर कोड दिया गया है. नेशनल एनवायरमेंटल इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के निरी एप से स्कैन कर सही होने की पहचान की जा सकती है.

पढ़ें- दिवाली की खुशियों में मिठास घोलेंगे Sweet Crackers, मिठाई की दुकानों पर सजे अनार, चकरी और चॉकलेट बम

क्या है अंतर?: सामान्य पटाखे बनाने में बैरियम नाइट्रेट का बहुत ज्यादा उपयोग होता था. जिससे प्रदूषण ज्यादा होता है. ग्रीन पटाखों में बैरियम की जगह पोटैशियम नाइट्रेट का उपयोग होता है.सामान्य पटाखे तेज आवाज के साथ साथ बेजा वायु प्रदूषण करते हैं. लेकिन ग्रीन पटाखों में पोटैशियम नाइट्रेट होने से इनकी आवाज 110 डेसिबल तक ही रहती है. जबकि सामान्य में 150 से ज्यादा डेसिबल तक साउंड रहता था. इसके अलावा धुंए में पार्टिकुलर मैटर भी बीस फीसदी ही निकलते हैं. जो ज्यादा हानिकारक नहीं होते हैं. कुल मिलाकर ग्रीन पटाखों से साउंड ओर एअर पॉल्यूशन में तीस फीसदी तक की कमी हो सकती है.

थैला नहीं जनाब थैली भरेगी!: पोटैशियम नाइट्रेट ने पटाखोंं की लागत बढ़ा दी. इसके अलावा अन्य मटरियल महंगा होने से भी इनके भाव बढ़ गए हैं. व्यापारियों का कहना है कि 75 फीसदी तक भाव बढ़ गए हैं. जहां पहले एक हजार रुपए में सामान्य पटाखों का थैला भर जाता था, वहीं अब एक थैली भरने की उम्मीद की जा सकती है. क्योंकि एक मिडियम अनार का पैकेट 300 रूपए में आ रहा है. एक हजार रूपए में मिडियम अनार, चकरी व फुलझडी रॉकेट के एक एक पैकेट ही खरीद सकते हैं.

प्रदूषण की मॉनिटरिंग: वायु प्रदूषण के मामले में जोधपुर पहले से ही पूरे देश के अव्वल शहरों में आता है. प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने अभी से ही मॉनिटरिंग शुरू कर दी है. राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की क्षेत्रीय अधिकारी शिल्पी शर्मा का कहना है कि अभी से ही टीमें शहर के अलग अलग क्षेत्रों में प्रदूषण की जांच कर रही है. मंडल 'से नो टू क्रेकर्स अभियान' भी चला रहा है. दिवाली के तीन दिनों में अलग अलग जगह पर लगे मंडल के केंद्रों से डेटा जुटाए जाएंगे. जिससे साफ होगा कि कितना प्रदूषण कम हुआ है.

जोधपुर. पूरे देश में वायु प्रदूषण के मामले में बदनाम जोधपुर में इस बार दिवाली के दिनों में प्रदूषण में कमी आ सकती है. इसकी वजह पुलिस कश्मिनरेट का एक आदेश है. जिसके मुताबिक जिले में सिर्फ ग्रीन पटाखों से ही आतिशबाजी की इजाजत होगी. दावा है कि इस बार बाजार मेंं सिर्फ ग्रीन पटाखे ही मिल रहे हैं. जिससे प्रदूषण कम हो.

जेब पर भारी ग्रीन दिवाली: लेकिन ग्रीन पटाखे आपकी जेब पर बहुत भारी पड़ने वाले है. इसकी वजह है डिमांड और सप्लाई के बीच का गैप! दरअसल, प्रोडक्शन कम होने से इनके भावों में तेजी है. बाजार में सामान्य पटाखों से लगभग दोगुना महंगे बिक रहे है ग्रीन पटाखे. सामान्य पटाख बाजार से गायब हैं. विकल्प सिर्फ हरे पटाखों का ही खरीदारों के पास रह गया है. पटाखे के होलसेल व्यापारियों का कहना है कि प्रोडक्शन में कमी होने से जितना माल का आर्डर दे रहे हैं उतना मिल नहीं रहा हैं.

प्रदूषण फ्री दिवाली

ऐसे पहचानें ग्रीन पटाखे: अगले दो दिनों में भावों में और तेजी आएगी. बाजार में हर दुकान पर ग्रीन पटाखे ही मिल रहे हैं. इनकी पहचान के लिए इन पर एक क्यूआर कोड दिया गया है. नेशनल एनवायरमेंटल इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के निरी एप से स्कैन कर सही होने की पहचान की जा सकती है.

पढ़ें- दिवाली की खुशियों में मिठास घोलेंगे Sweet Crackers, मिठाई की दुकानों पर सजे अनार, चकरी और चॉकलेट बम

क्या है अंतर?: सामान्य पटाखे बनाने में बैरियम नाइट्रेट का बहुत ज्यादा उपयोग होता था. जिससे प्रदूषण ज्यादा होता है. ग्रीन पटाखों में बैरियम की जगह पोटैशियम नाइट्रेट का उपयोग होता है.सामान्य पटाखे तेज आवाज के साथ साथ बेजा वायु प्रदूषण करते हैं. लेकिन ग्रीन पटाखों में पोटैशियम नाइट्रेट होने से इनकी आवाज 110 डेसिबल तक ही रहती है. जबकि सामान्य में 150 से ज्यादा डेसिबल तक साउंड रहता था. इसके अलावा धुंए में पार्टिकुलर मैटर भी बीस फीसदी ही निकलते हैं. जो ज्यादा हानिकारक नहीं होते हैं. कुल मिलाकर ग्रीन पटाखों से साउंड ओर एअर पॉल्यूशन में तीस फीसदी तक की कमी हो सकती है.

थैला नहीं जनाब थैली भरेगी!: पोटैशियम नाइट्रेट ने पटाखोंं की लागत बढ़ा दी. इसके अलावा अन्य मटरियल महंगा होने से भी इनके भाव बढ़ गए हैं. व्यापारियों का कहना है कि 75 फीसदी तक भाव बढ़ गए हैं. जहां पहले एक हजार रुपए में सामान्य पटाखों का थैला भर जाता था, वहीं अब एक थैली भरने की उम्मीद की जा सकती है. क्योंकि एक मिडियम अनार का पैकेट 300 रूपए में आ रहा है. एक हजार रूपए में मिडियम अनार, चकरी व फुलझडी रॉकेट के एक एक पैकेट ही खरीद सकते हैं.

प्रदूषण की मॉनिटरिंग: वायु प्रदूषण के मामले में जोधपुर पहले से ही पूरे देश के अव्वल शहरों में आता है. प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने अभी से ही मॉनिटरिंग शुरू कर दी है. राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की क्षेत्रीय अधिकारी शिल्पी शर्मा का कहना है कि अभी से ही टीमें शहर के अलग अलग क्षेत्रों में प्रदूषण की जांच कर रही है. मंडल 'से नो टू क्रेकर्स अभियान' भी चला रहा है. दिवाली के तीन दिनों में अलग अलग जगह पर लगे मंडल के केंद्रों से डेटा जुटाए जाएंगे. जिससे साफ होगा कि कितना प्रदूषण कम हुआ है.

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