जोधपुर. राजस्थान की हॉट सीट ओसियां से कांग्रेस की तेज तर्रार नेता दिव्या मदेरणा की हार ने सबको चौंकाया है. दिव्या मदेरणा की भाजपा के भैराराम सियोल से कांटे की टक्कर थी. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की कांग्रेस को उम्मीद थी, लेकिन ऐसा हो नहीं हुआ. माना जा रहा है कि अगर यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो जाता तो इससे भाजपा को नुकसान होता, लेकिन यहां इसके विपरीत भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में जाट-राजपूत गठबंधन बन गया, जिससे दिव्या जीत से दूर होती चली गईं. हालांकि, दिव्या मदेरणा के पक्ष में जाट और एससी दो बड़े वर्ग बड़ी संख्या में रहे, लेकिन जाटों का एक बड़ा वर्ग भाजपा के साथ हो गया, जिससे कारण दिव्या को हार का सामना करना पड़ा.
इस बीच विजयी भाजपा प्रत्याशी भैराराम सियोल का एक बयान चर्चा में है. रविवार को चुनाव जीतने के बाद भैराराम सियोल ने ओसियां में आयोजित स्वागत सभा में उनको मिले सहयोग के प्रति सभी का आभार जताया. साथ ही उन सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को चेतावनी दी, जिन्होंने कांग्रेस का प्रचार किया. उन्होंने कहा कि एजेंट बनकर जिन्होंने काम किया वो कार्रवाई के लिए तैयार रहें. मेरे पास कांग्रेस का प्रचार करने के ऑडियो और वीडियो मौजूद है. सियोल ने अपने कार्यकर्ताओं व समर्थकों से कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, लेकिन जब कार्रवाई हो तो तब यह मत कहना कि यह मेरा रिश्तेदार है.
सियोल ने कहा कि हर गांव में ऐसी रिपोर्ट बनाएं जहां कर्मचारियों ने कांग्रेस का सहयोग किया. सबके खिलाफ आचार संहिता का उल्लंघन करने की कार्रवाई की जाएगी. सभा में सियोल के साथ पाली के सांसद पीपी चौधरी, शंभू सिंह खेतासर, त्रिभुवन सिंह भाटी, रामनिवास मंडा सहित अन्य नेता मौजूद थे. सभा में भारी संख्या में जनसमूह पहुंचा.
राजपूत हुए भाजपा के पक्ष में एकजुट : ओसियां में जाटों के बाद सबसे ज्यादा वोट राजपूतों के हैं. गत दो चुनावों में राजपूत प्रत्याशी निर्दलीय उतरे थे. इस बार भी कांग्रेस को उम्मीद थी कि ऐसा ही होगा, लेकिन भाजपा ने चुनाव से दो माह पहले ही प्रमुख राजपूत नेताओं की टोल ले ली. गत बार निर्दलीय लड़कर 40 हजार वोट लाए महेंद्र सिंह भाटी को भाजपा ज्वाइन करवाई गई. बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष शंभू सिंह खेतासर, त्रिभुवन सिंह भाटी, भोपाल सिंह सहित अन्य सियोल के पक्ष में जुट गए. हालांकि, दिव्या को सियोल से ज्यादा जाटों के वोट मिले, लेकिन सियोल को मूल ओबीसी के वोटों ने टक्कर में रखा. इसके अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी यहां उम्मीदवार नहीं उतारा. इसका फायदा भी भाजपा को मिला.
रोचक था दिव्या का चुनाव प्रचार : दिव्या मदेरणा ने चुनाव प्रचार में कहा था कि शेरनी की तरह लडूंगी. अकेली लड़ूंगी. अपने लिए किसी नेता की सभा नहीं करवाई. प्रचार में भंवरी मामले में गिरफ्तार अपने पिता की जेल की पीड़ा लोगों के सामने लाकर उन्होंने विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश की. उन्होंने कहा था कि मैंने शादी इसलिए नहीं कि मेरे पिता जेल में थे. इस बयान से कांग्रेस को फायदा भी हुआ. जाट बड़ी संख्या में उनके साथ जुटे, लेकिन अन्य वर्ग दूर हो गए. मतदान से पहले माली वोट लेने के लिए पशुधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह सोलंकी और अशोक गहलोत के भांजे जसवंत कच्छवाह की यहां सभा करवाई गई. वहीं, दूसरी ओर सियोल ने पार्टी संगठन के साथ चुनाव लड़ा. उनके पक्ष में जेपी नड्डा ने सभा भी की थी.