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कथावाचक मुरलीधर ने बताया बाड़मेर दुखान्तिका की पूरी कहानी...जानिए क्या हुआ था

रविवार को बाड़मेर के जसोल में रामकथा के दौरान अचानक मौसम के बदलने से तेज आंधी के कारण पंडाल गिर गया. जिसमें कई लोग दब गये. जसोल हादसे को अपने सामने देखने वाले कथावाचक मुरलीधर महाराज ने मीडिया से बात करते हुए पूरे घटनाक्रम की चर्चा की.

हादसे के बाद की तस्वीर और मीडिया से बात करते हुए कथावाचक मुरलीधर
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Published : Jun 24, 2019, 2:20 PM IST

जोधपुर. मीडिया से बात करते हुए कथावचक मुरलीधर ने कहा कि हादसे को उन्होंने अपने आंखों से सबसे पहले देखा. उन्होंने बताया कि रामकथा चलते समय अचानक से तेज हवा आई तो मुझे संकेत कुछ सही नहीं लगे. जिसके चलते मैंने पहले सभी से कहा कि अब हमें कथा रोकनी पड़ेगी.

आगे उन्होंने बता कि मैंने अपने प्राण की चिंता न करते हुए लोगों को चेतावनी दी कि हवा तेज हो चुकी हैं और कथा रोकनी पड़ेगी. हवा तेज होने के कारण एक पिछला टेंट उड़ता हुआ दिखाई दिया तब मैंने कहा कि सभी लोग पंडाल खाली कर दीजिए. कथावाचक मुरलीधर की माने तो वे जैसे ही व्यासपीठ के नीचे उतरे तो उनके सामने भी टेंट और बिजली का तार टूट कर गिर गया. उसी वक्त मैने सभी को चेतावनी दी कि कोई भी व्यक्ति किसी लोहे या धातु के सामान को हाथ नहीं लगाए उस में करंट दौड़ रहा है.

इसके बाद कथावाचक को पंडाल से बाहर निकाला गया. जिसका बाद उनके गाड़ियों में कई घायलों को उनका ड्राइवर अस्पताल ले गया. कई भक्तों की मौत की खबर मिलने पर उनकी तबीयत बिगड़ने लगी जिसके बाद उन्हें भी अस्पताल ले जाया गया.

बता दें कि रविवार को जसोल में रामकथा चल रही थी और पंडाल खचाखच भरा हुआ था. करीब हजारों लोग रामकथा सुन रहे थे. अचानक मौसम के बदलने से तेज आंधी के कारण पंडाल गिरने से कई लोग दब गए. इसी दौरान बिजली के तार टूटने से पंडाल में करंट भी फैल गया. इस हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी हैं.

मीडिया से बात करते हुए कथावाचक मुरलीधर

जब कथावाचक से पूछा गया कि इस हादसे का जिम्मेवार कौन हैं. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि केदारनाथ में जो हादसा हुआ था उसकी जिम्मेदारी भगवान शंकर को तो नहीं दी जा सकती. जब तेज हवा का वेग आता हैं तो उसके सामने कुछ भी नहीं ठहरता. ठीक इसी तरह यह पंडाल भी तेज हवा के वेग के सामने टिक नहीं पाया. कथावचक मुलीधर ने कहा कि साल 2013 के बाद उन्होंने कथा के लिए पैसे लेने बंद कर दिया. वह निशुल्क कथा करते हैं और इस कथा के लिए प्रशासन से अनुमति ली गई या नहीं ली गई ये बात कथा आयोजक को मालूम होगी.

आगे उन्होंने कहा कि यदि कोई भक्त आर्थिक तौर पर गरीब है और जिसके आगे पीछे कोई नहीं और उसका कोई रिश्तेदार या कोई अपना इस हादसे में शिकार हो तो उनके लिये वो जरुर कुछ करेंगे. वे अपने अन्य भक्तों से कहकर उसके लिए कुछ व्यवस्था करवाएंगे. कथावाचक मुरलीधर महाराज ने कहा कि वे स्वस्थ होते ही हादसे से पीड़ित सभी लोगों से मिलने के लिए जाएंगे.

जोधपुर. मीडिया से बात करते हुए कथावचक मुरलीधर ने कहा कि हादसे को उन्होंने अपने आंखों से सबसे पहले देखा. उन्होंने बताया कि रामकथा चलते समय अचानक से तेज हवा आई तो मुझे संकेत कुछ सही नहीं लगे. जिसके चलते मैंने पहले सभी से कहा कि अब हमें कथा रोकनी पड़ेगी.

आगे उन्होंने बता कि मैंने अपने प्राण की चिंता न करते हुए लोगों को चेतावनी दी कि हवा तेज हो चुकी हैं और कथा रोकनी पड़ेगी. हवा तेज होने के कारण एक पिछला टेंट उड़ता हुआ दिखाई दिया तब मैंने कहा कि सभी लोग पंडाल खाली कर दीजिए. कथावाचक मुरलीधर की माने तो वे जैसे ही व्यासपीठ के नीचे उतरे तो उनके सामने भी टेंट और बिजली का तार टूट कर गिर गया. उसी वक्त मैने सभी को चेतावनी दी कि कोई भी व्यक्ति किसी लोहे या धातु के सामान को हाथ नहीं लगाए उस में करंट दौड़ रहा है.

इसके बाद कथावाचक को पंडाल से बाहर निकाला गया. जिसका बाद उनके गाड़ियों में कई घायलों को उनका ड्राइवर अस्पताल ले गया. कई भक्तों की मौत की खबर मिलने पर उनकी तबीयत बिगड़ने लगी जिसके बाद उन्हें भी अस्पताल ले जाया गया.

बता दें कि रविवार को जसोल में रामकथा चल रही थी और पंडाल खचाखच भरा हुआ था. करीब हजारों लोग रामकथा सुन रहे थे. अचानक मौसम के बदलने से तेज आंधी के कारण पंडाल गिरने से कई लोग दब गए. इसी दौरान बिजली के तार टूटने से पंडाल में करंट भी फैल गया. इस हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी हैं.

मीडिया से बात करते हुए कथावाचक मुरलीधर

जब कथावाचक से पूछा गया कि इस हादसे का जिम्मेवार कौन हैं. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि केदारनाथ में जो हादसा हुआ था उसकी जिम्मेदारी भगवान शंकर को तो नहीं दी जा सकती. जब तेज हवा का वेग आता हैं तो उसके सामने कुछ भी नहीं ठहरता. ठीक इसी तरह यह पंडाल भी तेज हवा के वेग के सामने टिक नहीं पाया. कथावचक मुलीधर ने कहा कि साल 2013 के बाद उन्होंने कथा के लिए पैसे लेने बंद कर दिया. वह निशुल्क कथा करते हैं और इस कथा के लिए प्रशासन से अनुमति ली गई या नहीं ली गई ये बात कथा आयोजक को मालूम होगी.

आगे उन्होंने कहा कि यदि कोई भक्त आर्थिक तौर पर गरीब है और जिसके आगे पीछे कोई नहीं और उसका कोई रिश्तेदार या कोई अपना इस हादसे में शिकार हो तो उनके लिये वो जरुर कुछ करेंगे. वे अपने अन्य भक्तों से कहकर उसके लिए कुछ व्यवस्था करवाएंगे. कथावाचक मुरलीधर महाराज ने कहा कि वे स्वस्थ होते ही हादसे से पीड़ित सभी लोगों से मिलने के लिए जाएंगे.

Intro:जोधपुर
जोधपुर। जसोल हादसे को अपने सामने देखने वाले कथावाचक मुरलीधर महाराज ने हादसे को अपने आंखों से सबसे पहले देखा और वे थे व्यास पीठ पर बैठे कथा वाचक मुरलीधर महाराज । मीडिया ने मुरलीधर महाराज से बात की तो उन्होंने बताया की रामकथा चलते समय अचानक से तेज हवा आई मुझे महसूस हुआ कि यह हवा तेज है जिसके चलते मैंने पहले अपने प्राणों की चिंता नहीं की और लोगों को चेतावनी दी कि हवा तेज हो चुकी है और कथा रोकनी पड़ेगी। हवा तेज होने के कारण एक पिछला टेंट उड़ता हुआ दिखाई दिया तब मैंने कहा कि सभी लोग पंडाल खाली कर दीजिए । मुरलीधर महाराज के माने तो वे जैसे ही व्यासपीठ के नीचे उतरे उनके ऊपर भी गिर गया । उसी वक्त ने उन्होंने सभी को चेतावनी दी कि किसी लोहे के एंगल को हाथ नहीं लगाए उस में करंट दौड़ रहा है। महाराज को पंडाल से बाहर निकाला गया बाद में महाराज की गाड़ी में कई घायलों को उनका ड्राइवर अस्पताल ले गया और जब उनके सामने बैठकर ही कथा सुनने वाले उनकी प्रिय भक्तों की मौत की सूचना उनको मिली तब उनकी तबीयत अचानक खराब होने लगी और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। Body:महाराज ने पूछने पर यह बताया कि इस हादसे की जिम्मेदारी वह किसको दे तब महाराज ने कहा कि केदारनाथ में जो हादसा हुआ था उसकी जिम्मेदारी भगवान शंकर को तो नहीं दी जा सकती जब तेज हवा का वेग आता है तो उसके सामने कुछ भी नहीं ठहरता ठीक इसी तरह यह पंडाल भी तेज हवा के वेग के सामने टिक नहीं पाया। महाराज ने कहा कि साल 2013 के बाद उन्होंने कथा के लिए पैसे लेने बंद कर दिए वह निशुल्क कथा करते हैं और इस कथा के लिए प्रशासन से अनुमति ली गई या नहीं ली गई कथा आयोजक को मालूम है उन्हें नहीं मालूम साथ ही महाराज ने कहा कि यदि कोई ऐसा भक्त जो गरीब है जिसके आगे पीछे कोई नहीं और उसका कोई यदि इस हादसे में शिकार हो गया तो वे अपने किसी अन्य भक्तों से बोल कर उसके लिए कुछ व्यवस्था करवाएंगे। साथ ही कथावाचक महाराज ने कहा कि वे स्वस्थ होते ही हाथ से से पीड़ित सभी लोगों से मिलने के लिए जाएंगे।
बाईट- मुरलीधर (कथा वाचक बालोतरा हादसा)Conclusion:
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