जोधपुर. डेजर्ट इकोसिस्टम और आईएनजीपी कैनाल के आस पास हुए वानिकी परिवर्तन से रूबरू होने के लिए देश के 13 राज्यों के भारतीय वन सेवा के अधिकारियों का प्रशिक्षण जोधपुर में हो रहा है. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) में इस प्रशिक्षण के दौरान देश भर से आए अधिकारियों को तीन दिन विभिन्न एक्सपर्ट लेक्चर सुनने को मिलेंगे. इसके अलावा दो दिन फील्ड विजिट होगी, जिसमें जोधपुर और जैसलमेर के इलाकों में अधिकारी जाएंगे.
आफरी जोधपुर के निदेशक एमआर बलोच ने बताया कि 13 स्टेट से आए भारतीय वन सेवा के अधिकारी शुष्क वन अनुसंधान संस्थान में हो रहे रिसर्च को देखेंगे. यह रिफ्रेशर प्रशिक्षण है, जिसमें देश भर से आए वन विभाग ने जो काम इंदिरा गांधी कैनाल के क्षेत्र में काम किया है उसको देखेंगे. भारतीय वन सेवा के अधिकारी यूके सुबुद्धि ने बताया कि डेजर्ट इकोसिस्टम बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसे आगे बढ़ने से रोकने और ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव को कैसे कम करें, इस पर सभी अधिकारी एक दूसरे के विचारों पर चर्चा कर नीति बनाने पर काम करेंगे.
धोरों के स्थिरीकरण पर होगी बात : रेगिस्तान के रेतीले धोरों पर स्थान परिवर्तन की परेशानी सर्वाधिक है, जिसका नुकसान किसानों के साथ ही हर किसी को उठाना पड़ता है. इससे इकोसिस्टम प्रभावित होता है. कई मामलों में सीमावर्ती क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर भी परेशानी होती है. आफरी ने पूरे क्षेत्र में इन रेतीले धोरों के स्थिरीकरण को लेकर काम किया है, किस प्रजाति की वनस्पति इन धोरों पर कम पानी में लगाकर इनको रोका जाता है, यह अधिकारियों को बताया जाएगा.
ईको टूरिज्म के गुर भी जानेंगे : पश्चिमी राजस्थान में ईको टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है. अन्य राज्यों में इसको कैसे शुरू कर बढ़ाया जाए, इसके लिए वन सेवा के अधिकारियों को कई सेंटर पर ले जाया जाएगा. यहां वे जानेंगे कि क्षेत्रीय पर्यटन में इसका उपयोग किस तरह किया जा सके. इससे ग्रामीणों और किसानों की आजीविका बढ़ाई जा सकेगी.