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हिमोफिलिया से ग्रसित मरीजों के अवेयरनेस कार्यशाला का आयोजन - जोधपुर

जोधपुर शहर के उम्मेद अस्पताल के सभागार में आज हीमोफीलिया सोसायटी की तरफ से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों और उनके परिजनों को बीमारी  के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियां दी गई.

जोधपुर में हीमोफीलिया को लेकर कार्यशाला का आयोजन
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Published : Jun 26, 2019, 4:50 PM IST

जोधपुर. शहर के उम्मेद अस्पताल के सभागार में आज हीमोफीलिया सोसायटी की तरफ से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों और उनके परिजनों को बीमारी के बारे में जानकारी दी गई. साथ ही बीमारी से किस तरह बचना है उनके बारे में बताया गया.

कार्यशाला में हीमोफीलिया सोसायटी के अध्यक्ष सहित डॉ प्रमोद शर्मा ओर हीमोफीलिया की अन्य डॉक्टर मौजूद रहे. हीमोफीलिया सोसायटी के सचिव दिनेश प्रजापत ने बताया कि हीमोफीलिया एक लाइलाज बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है. सावधानियां बरतकर सही समय पर इस बीमारी से बचा जा सकता है. जोधपुर संभाग में हीमोफीलिया के 160 मरीज है और उन मरीजों में से कुछ मरीज आज कार्यशाला में मौजूद रहे.

जोधपुर में हीमोफीलिया को लेकर कार्यशाला का आयोजन

बता दें कि हीमोफीलिया एक लाइलाज बीमारी है और इसे एंटी हिमोफीलिया फैक्टर्स से संबंधित दवाइयों से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है. हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को जोड़ों की दिव्यांगता के साथ जिंदगी गुजारनी पड़ती है. साथ ही चोट वाली जगह पर थक्का जमाने वाले क्लोटिंग फैक्टर 8 और फैक्टर 9 की कमी होती है. वे लोग हीमोफीलिया की बीमारी से ग्रसित होते हैं.

कार्यशाला में बताया कि जो व्यक्ति हीमोफीलिया के रोग से ग्रसित है. उन्हें फिजिकल थेरेपी और योग करने से काफी मदद मिलती है. हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फिजिकल एक्टिविटीज करने से इस रोग से निपटने के लिए काफी मदद मिलती है. हीमोफीलिया चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती है. यह एक ऐसी बीमारी है जिससे संक्रमित होने के बाद हिमोफिलिया बीमारी का पीढ़ियों तक खतरा बना रहता है.

जोधपुर. शहर के उम्मेद अस्पताल के सभागार में आज हीमोफीलिया सोसायटी की तरफ से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों और उनके परिजनों को बीमारी के बारे में जानकारी दी गई. साथ ही बीमारी से किस तरह बचना है उनके बारे में बताया गया.

कार्यशाला में हीमोफीलिया सोसायटी के अध्यक्ष सहित डॉ प्रमोद शर्मा ओर हीमोफीलिया की अन्य डॉक्टर मौजूद रहे. हीमोफीलिया सोसायटी के सचिव दिनेश प्रजापत ने बताया कि हीमोफीलिया एक लाइलाज बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है. सावधानियां बरतकर सही समय पर इस बीमारी से बचा जा सकता है. जोधपुर संभाग में हीमोफीलिया के 160 मरीज है और उन मरीजों में से कुछ मरीज आज कार्यशाला में मौजूद रहे.

जोधपुर में हीमोफीलिया को लेकर कार्यशाला का आयोजन

बता दें कि हीमोफीलिया एक लाइलाज बीमारी है और इसे एंटी हिमोफीलिया फैक्टर्स से संबंधित दवाइयों से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है. हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को जोड़ों की दिव्यांगता के साथ जिंदगी गुजारनी पड़ती है. साथ ही चोट वाली जगह पर थक्का जमाने वाले क्लोटिंग फैक्टर 8 और फैक्टर 9 की कमी होती है. वे लोग हीमोफीलिया की बीमारी से ग्रसित होते हैं.

कार्यशाला में बताया कि जो व्यक्ति हीमोफीलिया के रोग से ग्रसित है. उन्हें फिजिकल थेरेपी और योग करने से काफी मदद मिलती है. हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फिजिकल एक्टिविटीज करने से इस रोग से निपटने के लिए काफी मदद मिलती है. हीमोफीलिया चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती है. यह एक ऐसी बीमारी है जिससे संक्रमित होने के बाद हिमोफिलिया बीमारी का पीढ़ियों तक खतरा बना रहता है.

Intro:जोधपुर
जोधपुर के उम्मेद अस्पताल के सभागार में आज हिमोफीलिया सोसायटी की तरफ से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों और उनके परिजनों को बीमारी के बारे में जानकारी दी गई साथ ही बीमारी से किस तरह बचना है उनके बारे में बताया गया। कार्यशाला में हिमोफीलिया सोसायटी के अध्यक्ष सहित डॉ प्रमोद शर्मा ओर हिमोफीलिया की अन्य डाक्टर मौजूद रहे। हिमोफीलिया सोसायटी के सचिव दिनेश प्रजापत ने बताया कि हीमोफीलिया एक लाइलाज बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है अगर ने सही इस बीमारी से बचा जा सकता है ओर जोधपुर संभाग में हीमोफीलिया के 160 मरीज है और उन मरीजों में से कुछ मरीज आज कार्यशाला में मौजूद रहे। उन्हें हिमोफीलिया बीमारी से बचने के लिए इस अवेयरनेस प्रोग्राम का आयोजन किया गया है।


Body:बता दें कि हीमोफीलिया एक लाइलाज बीमारी है और इसे एंटी हिमोफीलिया फैक्टर्स से संबंधित दवाइयों से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। हिमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को जोड़ों की दिव्यांग का के साथ जिंदगी गुजारनी पड़ती है। साथ ही जिन लोगों में चोट वाली जगह पर थक्का जमाने वाले क्लोटिंग फैक्टर 8 और फैक्टर 9 की कमी होती है वे लोग हीमोफीलिया की बीमारी से ग्रसित होते हैं। कार्यशाला में बताया कि जो व्यक्ति हिमोफीलिया के रोग से ग्रसित है उन्हें फिजिकल थेरेपी और योग करने से काफी मदद मिलती है हिमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फिजिकल एक्टिविटीज करने से इस रोग से निपटने के लिए काफी मदद मिलती है। हीमोफीलिया चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती है यह एक ऐसी बीमारी है जिससे संक्रमित होने के बाद हिमोफिलिया बीमारी का पीढ़ियों तक खतरा बना रहता है।


Conclusion:बाईट -- दिनेश प्रजापत सचिव हीमोफीलिया सोसायटी
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