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स्वाइन फ्लू से लड़ने के लिए कारगर है आयुर्वेदिक काढ़ा, इसे बनाने और सेवन करने का यह है तरीका

स्वाइन फ्लू का प्रकोप अधिक होने के चलते आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आम जनता को काढ़ा पिलाया गया जिससे कि उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और स्वाइन फ्लू का वायरस उनके शरीर पर हावी ना हो. काढ़ा पिलाने से कई लोगों को स्वाइन फ्लू से राहत भी मिली. साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आयुर्वेदिक दवाओं को भी वितरित किया गया. आइए आपको बताते है स्वाइन फ्लू से बचने के लिए कैसे बनता है काढ़ा.

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Published : Aug 6, 2019, 2:11 PM IST

जोधपुर. तापमान में गिरावट आने के साथ ही स्वाइन फ्लू का वायरस सक्रिय होने लगता है. जिसको लेकर चिकित्सा विभाग समय-समय पर बैठकें भी कर रहा है. साथ ही सभी अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सभी दवाइयों को पर्याप्त मात्रा में रखने के निर्देश दिए है. स्वाइन फ्लू से बचने को लेकर कुछ लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का भी सहारा लेते हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से कई लोगों को स्वाइन फ्लू के वायरस से राहत भी मिली है. जोधपुर राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. उषा अग्रवाल ने बताया कि गत वर्ष आयुर्वेदिक चिकित्सालय में लगभग 200 से 300 स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीज आए थे, जिन्हें आयुर्वेदिक दवाइयां दी गयी और उन्हें काफी राहत भी मिली थी.

स्वाइन फ्लू का प्रकोप अधिक होने के चलते आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आम जनता को काढ़ा पिलाया गया जिससे कि उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और स्वाइन फ्लू का वायरस उनके शरीर पर हावी ना हो. काढ़ा पिलाने से कई लोगों को स्वाइन फ्लू से राहत भी मिली. साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आयुर्वेदिक दवाओं को भी वितरित किया गया. आइए आपको बताते है स्वाइन फ्लू से बचने के लिए कैसे बनता है काढ़ा.

पढ़ें: सीकर में सिर्फ कल्याण अस्पताल में ही है आइसोलेशन वार्ड और भर्ती की व्यवस्था...जबकि हर साल बढ़ रहे हैं मरीज

काढ़ा बनाने के लिए मुलैठी, मुन्नका अंजीर, सौफ,धनिया,हल्दी, तुलसी के पत्ते, सौंठ,कालीमिर्च, लौंग, गिनोय,त्रिफला, आंवला को लेकर उसे पानी मे डाले और फिर उस पानी को लगभग 30 मिनिट तक उबाले. उबलने के बाद पानी को छलनी से छानकर पीये. काढ़ा पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी बढ़ोतरी होती है जिसके कारण स्वाइन फ्लू का वायरस शरीर पर हावी नहीं हो पाता स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आम जनता को प्रतिदिन एक ग्लास काढ़ा का पानी पीना चाहिए. जिससे कि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धरती रहे और वे एकदम स्वस्थ रहे.

स्वाइन फ्लू से लड़ने के लिए कारगर है आयुर्वेदिक काढ़ा

पढ़ें: स्वाइन फ्लू को लेकर पूर्व और मौजूदा चिकित्सा मंत्री ने कही ये बड़ी बात, जानिए

स्वाइन फ्लू से बचाव को लेकर डॉ. उषा अग्रवाल का कहना है कि अगर किसी मरीज हो हल्का खांसी जुखाम या बुखार आए तो वे तुरंत रूप से नजदीकी अस्पताल में जाकर दिखाएं और उसका इलाज शुरू कर दें. लोग खांसी जुखाम बुखार होने पर डॉक्टर से परामर्श नहीं करते जिसके चलते उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने रहती है और स्वाइन फ्लू का वायरस उन पर हावी हो जाता है.

पढ़ें: स्वाइन फ्लू का फिर से मंडरा रहा साया...इस साल अब तक जोधपुर में हो चुकी हैं 34 मौत

देखा जाए तो स्वाइन फ्लू से जोधपुर में गत 2 वर्षों में कई मौतें हो चुकी है जिस से बचने के लिए अब सरकार निरंतर रूप से सभी अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में दवाई रखने के लिए निर्देश दे चुकी है तो वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सालय में भी स्वाइन फ्लू से बचने को लेकर पर्याप्त मात्रा में आयुर्वेदिक दवाइयां और अन्य सामग्री उपलब्ध है.

जोधपुर. तापमान में गिरावट आने के साथ ही स्वाइन फ्लू का वायरस सक्रिय होने लगता है. जिसको लेकर चिकित्सा विभाग समय-समय पर बैठकें भी कर रहा है. साथ ही सभी अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सभी दवाइयों को पर्याप्त मात्रा में रखने के निर्देश दिए है. स्वाइन फ्लू से बचने को लेकर कुछ लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का भी सहारा लेते हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से कई लोगों को स्वाइन फ्लू के वायरस से राहत भी मिली है. जोधपुर राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. उषा अग्रवाल ने बताया कि गत वर्ष आयुर्वेदिक चिकित्सालय में लगभग 200 से 300 स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीज आए थे, जिन्हें आयुर्वेदिक दवाइयां दी गयी और उन्हें काफी राहत भी मिली थी.

स्वाइन फ्लू का प्रकोप अधिक होने के चलते आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आम जनता को काढ़ा पिलाया गया जिससे कि उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और स्वाइन फ्लू का वायरस उनके शरीर पर हावी ना हो. काढ़ा पिलाने से कई लोगों को स्वाइन फ्लू से राहत भी मिली. साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आयुर्वेदिक दवाओं को भी वितरित किया गया. आइए आपको बताते है स्वाइन फ्लू से बचने के लिए कैसे बनता है काढ़ा.

पढ़ें: सीकर में सिर्फ कल्याण अस्पताल में ही है आइसोलेशन वार्ड और भर्ती की व्यवस्था...जबकि हर साल बढ़ रहे हैं मरीज

काढ़ा बनाने के लिए मुलैठी, मुन्नका अंजीर, सौफ,धनिया,हल्दी, तुलसी के पत्ते, सौंठ,कालीमिर्च, लौंग, गिनोय,त्रिफला, आंवला को लेकर उसे पानी मे डाले और फिर उस पानी को लगभग 30 मिनिट तक उबाले. उबलने के बाद पानी को छलनी से छानकर पीये. काढ़ा पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी बढ़ोतरी होती है जिसके कारण स्वाइन फ्लू का वायरस शरीर पर हावी नहीं हो पाता स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आम जनता को प्रतिदिन एक ग्लास काढ़ा का पानी पीना चाहिए. जिससे कि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धरती रहे और वे एकदम स्वस्थ रहे.

स्वाइन फ्लू से लड़ने के लिए कारगर है आयुर्वेदिक काढ़ा

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स्वाइन फ्लू से बचाव को लेकर डॉ. उषा अग्रवाल का कहना है कि अगर किसी मरीज हो हल्का खांसी जुखाम या बुखार आए तो वे तुरंत रूप से नजदीकी अस्पताल में जाकर दिखाएं और उसका इलाज शुरू कर दें. लोग खांसी जुखाम बुखार होने पर डॉक्टर से परामर्श नहीं करते जिसके चलते उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने रहती है और स्वाइन फ्लू का वायरस उन पर हावी हो जाता है.

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देखा जाए तो स्वाइन फ्लू से जोधपुर में गत 2 वर्षों में कई मौतें हो चुकी है जिस से बचने के लिए अब सरकार निरंतर रूप से सभी अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में दवाई रखने के लिए निर्देश दे चुकी है तो वहीं आयुर्वेदिक चिकित्सालय में भी स्वाइन फ्लू से बचने को लेकर पर्याप्त मात्रा में आयुर्वेदिक दवाइयां और अन्य सामग्री उपलब्ध है.

Intro:जोधपुर
तापमान में गिरावट आने के साथ ही स्वाइन फ्लू का वायरस सक्रिय होने लगता है जिसको लेकर चिकित्सा विभाग समय-समय पर बैठकें भी कर रहा है। साथ ही सभी अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सभी दवाइयों को पर्याप्त मात्रा में रखने के निर्देश दिए है। स्वाइन फ्लू से बचने को लेकर कुछ लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का भी सहारा लेते हैं आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से कई लोगों को स्वाइन फ्लू के वायरस से राहत भी मिली है। जोधपुर राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ उषा अग्रवाल ने बताया कि गत वर्ष आयुर्वेदिक चिकित्सालय में लगभग 200 से 300 स्वाइन फ्लू से ग्रसित मरीज आए थे, जिन्हें आयुर्वेदिक दवाइयां दी गयी और उन्हें काफी राहत भी मिली थी ।


Body: स्वाइन फ्लू का प्रकोप अधिक होने के चलते आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आम जनता को काढ़ा पिलाया गया जिससे कि उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और स्वाइन फ्लू का वायरस उनके शरीर पर हावी ना हो ।काढ़ा पिलाने से कई लोगों को स्वाइन फ्लू से राहत भी मिली । साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सालय द्वारा आयुर्वेदिक दवाओं को भी वितरित किया गया। आइए आपको बताते है स्वाइन फ्लू से बचने के लिए कैसे बनता है काढ़ा
काढ़ा बनाने के लिए मुलैठी, मुन्नका अंजीर, सौफ,धनिया,हल्दी, तुलसी के पत्ते, सौंठ,कालीमिर्च, लौंग, गिनोय,त्रिफला, आंवला को लेकर उसे पानी मे डाले और फिर उस पानी को लगभग 30 मिनिट तक उबाले । उबलने के बाद पानी को छलनी से छानकर पीये । काढ़ा पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी बढ़ोतरी होती है जिसके कारण स्वाइन फ्लू का वायरस शरीर पर हावी नहीं हो पाता स्वाइन फ्लू से बचने के लिए आम जनता को प्रतिदिन एक ग्लास काढ़ा का पानी पीना चाहिए जिससे कि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धरती रहे और वे एकदम स्वस्थ रहे।


Conclusion:स्वाइन फ्लू से बचाव को लेकर डॉ उषा अग्रवाल का कहना है कि अगर किसी मरीज हो हल्का खांसी जुखाम या बुखार आए तो वे तुरंत रूप से नजदीकी अस्पताल में जाकर दिखाएं और उसका इलाज शुरू कर दें लोग खांसी जुखाम बुखार होने पर डॉक्टर से परामर्श नहीं करते जिसके चलते उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने रहती है और स्वाइन फ्लू का वायरस उन पर हावी हो जाता है।
देखा जाए तो स्वाइन फ्लू से जोधपुर में गत 2 वर्षों में कई मौतें हो चुकी है जिस से बचने के लिए अब सरकार निरंतर रूप से सभी अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में दवाई रखने के लिए निर्देश दे चुकी है । तो वही आयुर्वेदिक चिकित्सालय में भी स्वाइन फ्लू से बचने को लेकर पर्याप्त मात्रा में आयुर्वेदिक दवाइयां और अन्य सामग्री उपलब्ध है।

बाईट डॉ उषा अग्रवाल ( अधीक्षक राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय)
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