जोधपुर. आसाराम के अधिवक्ता ने इस अपील पर कहा कि पीड़िता के स्कूल में प्रवेश के समय और दसवीं की जन्मतिथि में फर्क है. इससे वह नाबालिग नहीं रही है. इसको लेकर वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया गया. सुनवाई के दौरान खण्डपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या घटना के दिन अगर पीड़िता की उम्र 18 साल से ज्यादा की होती, तो जो हुआ उसे स्वीकार किया जा सकता है.
गौरतलब है कि अपने ही आश्रम की नाबालिक छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में आसाराम जोधपुर की सेंट्रल जेल में 6 साल से बंद है. उसे अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को लेकर आसाराम की ओर से सजा स्थगन करने और सजा के खिलाफ अपील को लेकर 2 याचिकाएं दायर की गई थी. आसाराम की ओर से मुंबई से आए एडवोकेट श्री ऐश गुप्ते, वरिष्ठ अधिवक्ता जगमाल चौधरी और प्रदीप चौधरी ने आसाराम की ओर से पक्ष रखा.
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वहीं पीड़िता की ओर से पीसी सोलंकी ने पक्ष रखा. आसाराम के अधिवक्ताओं ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट लगाने पर भी आपत्ति जाहिर की. साथ ही कहा कि घटना के समय पीड़ित बालिग थी और रिकॉर्ड में उसके बालिग होने के प्रमाण उपलब्ध है. घटना के 4 दिन बाद दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराने को लेकर भी आसाराम के अधिवक्ताओं ने सवाल उठाए. जिस पर हाईकोर्ट खंडपीठ ने कहा कि इस संबंध में ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने विस्तार से अपना फैसला सुनाया है.
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दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट खंडपीठ ने आसाराम की सजा स्थगन याचिका को खारिज कर दिया. वहीं आसाराम के अधिवक्ताओं की ओर से सजा के खिलाफ अपील पर जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया. जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया अब आसाराम की ओर से दायर सजा के खिलाफ अपील पर जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई की जाएगी.