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Special : 25 साल बाद होगा अफसरशाही का वापस राज, पंचायतों में प्रशासक लगाने की तैयारी

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Published : Jan 26, 2020, 10:47 AM IST

राजस्थान में गांव की सरकार पर 25 साल में दूसरी बार अफसरशाही का राज होगा. क्योंकि गांवों की सरकार के चुनाव निश्चिम समय पर नहीं हो सके हैं. ऐसे में सरकार ने जिला परिषद, पंचायत समिति सदस्य और ग्राम पंचायत के चुनाव नहीं होने वाली ग्राम पंचायतों में प्रशासक लगाने की तैयारी कर ली है.

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25 साल बाद होगा अफसरशाही का वापस राज

भोपालगढ़ (जोधपुर). 26 जनवरी के बाद कभी भी प्रशासकों की सूची जारी की सकती है. इसके लिए पंचायतीराज विभाग में उच्च स्तर पर निर्णय होना है. वहीं, दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों में चहेतों को प्रशासक लगाने के लिए खींचतान शुरू हो गई है.

25 साल बाद होगा अफसरशाही का वापस राज

पंचायतीराज विभाग ने जिला परिषद, पंचायत समितियों के अलावा चुनाव से वंचित ग्राम पंचायतों में प्रशासक लगाने के लिए जिला परिषदों से कार्यकाल को लेकर जानकारी मांगी है.
जोधपुर में पहले चरण में बालेसर पंचायत समिति क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में चुनाव हो चुके हैं. तीसरे चरण में बिलाड़ा और शेरगढ़ में चुनाव होंगे, लेकिन जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के अलावा अन्य ग्राम पंचायतों के चुनाव नहीं हुए हैं.

जोधपुर जिला परिषद का कार्यकाल 7 फरवरी को समाप्त हो रहा है. वहीं भोपालगढ़ प्रधान का भी कार्यकाल 7 फरवरी को पूरा हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार 7 फरवरी से पहले गांवों में प्रशासक नियुक्त करेगी.

पढ़ेंः दौसा में पंचायत राज में हो रहे परिसीमन को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

इससे पहले कब-कब अफसरशाही...

साल 1978 से 1981 के बीच प्रशासक राज रहा था. इस दौरान पंचायतीराज विभाग ने जिला कलेक्टरों को जिला परिषद का चार्ज दिया था. वहीं पंचायत समितियों का जिम्मा विकास अधिकारियों को दिया गया. इसके बाद प्रदेश में साल 1990 से 1995 तक प्रशासक राज रहा.

पढ़ेंः गांवां री सरकार: कोटा में पहले चरण के मतदान के लिए मतदान दल रवाना, कलेक्टर ने कहा- दल किसी का आतिथ्य स्वीकार न करे

आयोग के आदेश पर टिकी निगाहें...

पुनर्गठन की वजह से उलझी ग्राम पंचायतों में चुनाव को लेकर स्थिति साफ हो गई है. लेकिन निर्वाचन आयोग ने अबतक कोई आदेश जारी नहीं किए है. ऐसे में अब दावेदारों की निगाह राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश पर टिकी हुई है.

पंचायत समितियों में प्रशासक का जिम्मा उपखंड अधिकारी, विकास अधिकारी के अलावा अतिरिक्त जिला कलेक्टर और जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को मिलने की संभावना है. कई जगह महिला एवं बाल विकास विभाग के सीडीपीओ को भी चार्ज मिल सकता है.

7 फरवरी को जिला परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार जिला कलेक्टर, एडीएम और जिला परिषद सीइओ को प्रशासक का चार्ज मिलेगा. यहां भी सियासी दिग्गज अपने चहेते अफसर को चार्ज दिलाने की तैयारी में हैं. फिलहाल सभी की निगाह सरकार के आदेश पर टिकी हुई है.

भोपालगढ़ (जोधपुर). 26 जनवरी के बाद कभी भी प्रशासकों की सूची जारी की सकती है. इसके लिए पंचायतीराज विभाग में उच्च स्तर पर निर्णय होना है. वहीं, दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों में चहेतों को प्रशासक लगाने के लिए खींचतान शुरू हो गई है.

25 साल बाद होगा अफसरशाही का वापस राज

पंचायतीराज विभाग ने जिला परिषद, पंचायत समितियों के अलावा चुनाव से वंचित ग्राम पंचायतों में प्रशासक लगाने के लिए जिला परिषदों से कार्यकाल को लेकर जानकारी मांगी है.
जोधपुर में पहले चरण में बालेसर पंचायत समिति क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में चुनाव हो चुके हैं. तीसरे चरण में बिलाड़ा और शेरगढ़ में चुनाव होंगे, लेकिन जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के अलावा अन्य ग्राम पंचायतों के चुनाव नहीं हुए हैं.

जोधपुर जिला परिषद का कार्यकाल 7 फरवरी को समाप्त हो रहा है. वहीं भोपालगढ़ प्रधान का भी कार्यकाल 7 फरवरी को पूरा हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार 7 फरवरी से पहले गांवों में प्रशासक नियुक्त करेगी.

पढ़ेंः दौसा में पंचायत राज में हो रहे परिसीमन को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

इससे पहले कब-कब अफसरशाही...

साल 1978 से 1981 के बीच प्रशासक राज रहा था. इस दौरान पंचायतीराज विभाग ने जिला कलेक्टरों को जिला परिषद का चार्ज दिया था. वहीं पंचायत समितियों का जिम्मा विकास अधिकारियों को दिया गया. इसके बाद प्रदेश में साल 1990 से 1995 तक प्रशासक राज रहा.

पढ़ेंः गांवां री सरकार: कोटा में पहले चरण के मतदान के लिए मतदान दल रवाना, कलेक्टर ने कहा- दल किसी का आतिथ्य स्वीकार न करे

आयोग के आदेश पर टिकी निगाहें...

पुनर्गठन की वजह से उलझी ग्राम पंचायतों में चुनाव को लेकर स्थिति साफ हो गई है. लेकिन निर्वाचन आयोग ने अबतक कोई आदेश जारी नहीं किए है. ऐसे में अब दावेदारों की निगाह राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश पर टिकी हुई है.

पंचायत समितियों में प्रशासक का जिम्मा उपखंड अधिकारी, विकास अधिकारी के अलावा अतिरिक्त जिला कलेक्टर और जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को मिलने की संभावना है. कई जगह महिला एवं बाल विकास विभाग के सीडीपीओ को भी चार्ज मिल सकता है.

7 फरवरी को जिला परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार जिला कलेक्टर, एडीएम और जिला परिषद सीइओ को प्रशासक का चार्ज मिलेगा. यहां भी सियासी दिग्गज अपने चहेते अफसर को चार्ज दिलाने की तैयारी में हैं. फिलहाल सभी की निगाह सरकार के आदेश पर टिकी हुई है.

Intro:गांव में पंचायती राज चुनाव नहीं होने से कभी भी लग सकता अफसरशाही राजBody:गांव की सरकार के समय पर चुनाव नहीं होने से लग सकते हैं प्रशासक, भोपालगढ़ में प्रधान का कार्यकाल 7 फरवरी को हो रहा समाप्त, भोपालगढ़ पंचायत समिति में ना सरपंच, ना जिला परिषद, ना वार्ड पंच का हो पाया चुनाव, कभी भी लग सकता प्रशासकConclusion:स्पेशल रिपोर्ट----पंचायत चुनाव के बाद अब गांवों में 25 साल बाद होगा अफसरशाही का वापस राज
कभी भी सरकार लगा सकती प्रशासक
भोपालगढ़।
गांवों की सरकार पर 25 साल में दूसरी बार अफसरशाही का राज होगा। क्योकि गांवों की सरकार के चुनाव निश्चिम समय पर नहीं हो सके है। अब सरकार ने जिला परिषद, पंचायत समिति सदस्य व ग्राम पंचायत के चुनाव नहीं होने वाली ग्राम पंचायतों में प्रशासक लगाने की तैयारी कर ली है। 26 जनवरी के बाद सरकार कभी भी प्रशासकों की सूची जारी कर सकती है। इसके लिए पंचायतीराज विभाग में उच्च स्तर पर निर्णय होना है। दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों में चहेतों को प्रशासक लगाने के लिए खींचतान शुरू हो गई है।

पंचायतीराज विभाग ने जिला परिषद, पंचायत समितियों के अलावा चुनाव से वंचित ग्राम पंचायतों में प्रशासक लगाने के लिए जिला परिषदों से कार्यकाल को लेकर जानकारी मांगी है।जोधपुर में पहले चरण में बालेसर पंचायत समिति क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में चुनाव हो चुके हैं। तीसरे चरण में बिलाड़ा व शेरगढ़ में चुनाव होंगे, लेकिन जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्यों के अलावा अन्य ग्राम पंचायतों के चुनाव नहीं हुए हैं। इधर, जोधपुर जिला परिषद का कार्यकाल 7 फरवरी को समाप्त हो रहा है। वहीं भोपालगढ़ प्रधान का भी कार्यकाल 7 फरवरी को पूर्ण हो रहा है। ऐसे में राज्य सरकार 7 फरवरी से पहले गांवों में प्रशासक नियुक्त करेगी।
---इससे पहले कब-कब प्रशासक राज गांवों की सरकार में --वर्ष 1978 से 1981 के बीच प्रशासक राज रहा था। इस दौरान पंचायतीराज विभाग ने जिला कलक्टरों को जिला परिषद का चार्ज दिया था। वहीं पंचायत समितियों का जिम्मा विकास अधिकारियों को दिया गया। इसके बाद प्रदेश में वर्ष 1990 से 1995 तक प्रशासक राज रहा।

---आयोग के आदेश पर टिकी निगाह ---पुनर्गठन की वजह से उलझी ग्राम पंचायतों में चुनाव को लेकर स्थिति साफ हो गई है। लेकिन निर्वाचन आयोग ने अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किए है। ऐसे में अब दावेदारों की निगाह राज्य निर्वाचन आयोग के आदेश पर टिकी हुई है।


पंचायत समितियों में प्रशासक का जिम्मा उपखंड अधिकारी, विकास अधिकारी के अलावा अतिरिक्त जिला कलक्टर व जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को मिलने की संभावना है। कई जगह महिला एवं बाल विकास विभाग के सीडीपीओ को भी चार्ज मिल सकता है। ग्राम पंचायतों में प्रशासक की बात करें तो ग्राम विकास अधिकारी, पंचायत प्रसार अधिकारी को चार्ज दिया जा सकता हैं। कलस्टर बनाकर प्रशासक बनाया जा सकता है।
---जिला परिषद: कलक्टर, एडीएम व सीईओ---
7 फरवरी को जिला परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार जिला कलक्टर, एडीएम व जिला परिषद सीइओ को प्रशासक का चार्ज मिलेगा। यहां भी सियासी दिग्गज अपने चहेते अफसर को चार्ज दिलाने की तैयारी में है।फिलहाल सभी की निगाह सरकार के आदेश पर टिकी हुई है।

बाईट-- जितेन्द्र सिंह परिहार, पूर्व सरपंच आसोप
बाईट-- पदमाराम बांता, भाजपा मंडल अध्यक्ष आसोप

बाईट-- जगराम मेघवाल, बसपा नेता
बाईट-- शिवराम बांता, शिक्षाविद आसोप
बाईट-- रामनिवास भनगवा, शिक्षक आसोप
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