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अंजस महोत्सव: पुरानी जड़ों से जुड़े रहने के साथ नई चीजों का अवलोकन भी जरूरी- इला अरुण

जोधपुर के गढ़ गोविंद में आयोजित अंजस महोत्सव में अभिनेत्री और गायिका इला अरुण ने (Anjas Mahotsav 2022 in Jodhpur) राजस्थानी भाषा और लोक गीतों को जिंदा रखने की बात करते हुए कहा कि राजस्थानी उच्चारण जानने से आज भी लोक गीतों की रचना की जा सकती है.

Anjas Mahotsav 2022
अंजस महोत्सव
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Published : Oct 30, 2022, 7:41 PM IST

जोधपुर. गढ़ गोविंद में आयोजित अंजस महोत्सव में रविवार को अभिनेत्री और गायिका इला अरुण ने भी (Anjas Mahotsav 2022 in Jodhpur) शिरकत की. लेखक अयोध्या प्रसाद गौड़ के साथ चर्चा के दौरान उन्होंने राजस्थानी भाषा को कायम रखने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि बच्चों से इस भाषा में बात करें. इससे उनको हमेशा के लिए शब्द याद रहेंगे.

उन्होंने कहा कि राजस्थानी शब्दों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है. राजस्थानी उच्चारण जानने से आज भी लोक गीतों की रचना की जा सकती है. इला ने कहा कि फिल्म जोधा-अकबर बनी, लेकिन राजस्थान में नहीं आ सकी. इसी बात पर विवाद होता रहा कि जोधा जोधपुर की है या जयपुर की. पद्मावत फिल्म बनी तो भी विवाद हुआ. इला ने कहा कि कुछ चीजें नए तरीके से बनाई जाए तो उन्हें देखना चाहिए. हमें अपनी पुरानी जड़ों से बंधा रहना चाहिए, लेकिन नई चीजों का अवलोकन भी करना चाहिए. इसमें निंदा करने से कोई फायदा नहीं होता.

अंजस महोत्सव 2022 में अभिनेत्री इला अरुण

उन्होंने कहा कि हमें आगे बढ़ना है तो हमें जाति की बातों से आगे बढ़ना होगा. अपने गायन की बात (Actress Ila Arun in Anjas Mahotsav 2022) करते हुए गायिका इला ने कहा कि उनकी गायकी के पहले शिक्षक रघुनाथ थे. जो प्रतिदिन साइकल पर बैठा कर स्कूल ले जाते थे. राजस्थानी में ही बात करते हुए उन्होंने कहा कि रघुनाथ रास्ते में राजस्थानी गाने गाते थे. उसकी गायकी का अंदाज भी मैंने अपनाया.

पढ़ें. राजस्थान की खरी आवाज ने किया मंत्रमुग्ध, आज होगा अंजस का समापन

अवार्ड नहीं मांग सकती : राजस्थानी गानों को नया रूप देकर कई एल्बम बना चुकी इला अरुण ने कहा कि उनका अवार्ड उनके प्रशंसक हैं. वह किसी के सामने हाथ फैला कर अवॉर्ड नहीं मांग सकतीं. इसके लिए किसी मंत्री-प्रधानमंत्री के सामने जूतियां नहीं रगड़ सकतीं. उन्होंने कहा कि ऐसा अवॉर्ड लेने के बाद क्या शीशे में मैं अपनी शक्ल देख पाउंगी. बातों बातों में राजनीति में आने के सवाल पर भी इला ने कहा कि वह राजनीति में जाने का कभी भी नहीं सोच सकतीं.

जोधपुर मेरी जन्मभूमि, कभी नहीं भूल सकती : इला अरुण ने राजस्थानी में ही पूरे शासन में बात करते हुए कहा कि जोधपुर मेरी जन्म भूमि है. सरदारपुरा में मेरा जन्म हुआ था. यहां की यादों को नहीं भूल सकती, यहां की गलियां नहीं भूल सकती. यहां के लोगों को नहीं भूल सकती. जोधपुर के बाद में जयपुर चली गई, लेकिन जोधपुर से मेरा नाता कभी खत्म नहीं हुआ. मेरा परिवार उत्तर प्रदेश का है, लेकिन मैं अपने आप को राजस्थानी मानती हूं. इला अरुण ने अपने कई हिट गाने भी सेशन में सुनाए.

जोधपुर. गढ़ गोविंद में आयोजित अंजस महोत्सव में रविवार को अभिनेत्री और गायिका इला अरुण ने भी (Anjas Mahotsav 2022 in Jodhpur) शिरकत की. लेखक अयोध्या प्रसाद गौड़ के साथ चर्चा के दौरान उन्होंने राजस्थानी भाषा को कायम रखने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि बच्चों से इस भाषा में बात करें. इससे उनको हमेशा के लिए शब्द याद रहेंगे.

उन्होंने कहा कि राजस्थानी शब्दों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है. राजस्थानी उच्चारण जानने से आज भी लोक गीतों की रचना की जा सकती है. इला ने कहा कि फिल्म जोधा-अकबर बनी, लेकिन राजस्थान में नहीं आ सकी. इसी बात पर विवाद होता रहा कि जोधा जोधपुर की है या जयपुर की. पद्मावत फिल्म बनी तो भी विवाद हुआ. इला ने कहा कि कुछ चीजें नए तरीके से बनाई जाए तो उन्हें देखना चाहिए. हमें अपनी पुरानी जड़ों से बंधा रहना चाहिए, लेकिन नई चीजों का अवलोकन भी करना चाहिए. इसमें निंदा करने से कोई फायदा नहीं होता.

अंजस महोत्सव 2022 में अभिनेत्री इला अरुण

उन्होंने कहा कि हमें आगे बढ़ना है तो हमें जाति की बातों से आगे बढ़ना होगा. अपने गायन की बात (Actress Ila Arun in Anjas Mahotsav 2022) करते हुए गायिका इला ने कहा कि उनकी गायकी के पहले शिक्षक रघुनाथ थे. जो प्रतिदिन साइकल पर बैठा कर स्कूल ले जाते थे. राजस्थानी में ही बात करते हुए उन्होंने कहा कि रघुनाथ रास्ते में राजस्थानी गाने गाते थे. उसकी गायकी का अंदाज भी मैंने अपनाया.

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अवार्ड नहीं मांग सकती : राजस्थानी गानों को नया रूप देकर कई एल्बम बना चुकी इला अरुण ने कहा कि उनका अवार्ड उनके प्रशंसक हैं. वह किसी के सामने हाथ फैला कर अवॉर्ड नहीं मांग सकतीं. इसके लिए किसी मंत्री-प्रधानमंत्री के सामने जूतियां नहीं रगड़ सकतीं. उन्होंने कहा कि ऐसा अवॉर्ड लेने के बाद क्या शीशे में मैं अपनी शक्ल देख पाउंगी. बातों बातों में राजनीति में आने के सवाल पर भी इला ने कहा कि वह राजनीति में जाने का कभी भी नहीं सोच सकतीं.

जोधपुर मेरी जन्मभूमि, कभी नहीं भूल सकती : इला अरुण ने राजस्थानी में ही पूरे शासन में बात करते हुए कहा कि जोधपुर मेरी जन्म भूमि है. सरदारपुरा में मेरा जन्म हुआ था. यहां की यादों को नहीं भूल सकती, यहां की गलियां नहीं भूल सकती. यहां के लोगों को नहीं भूल सकती. जोधपुर के बाद में जयपुर चली गई, लेकिन जोधपुर से मेरा नाता कभी खत्म नहीं हुआ. मेरा परिवार उत्तर प्रदेश का है, लेकिन मैं अपने आप को राजस्थानी मानती हूं. इला अरुण ने अपने कई हिट गाने भी सेशन में सुनाए.

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