जोधपुर. बच्चों की शुरुआती पढ़ाई में गणित, हिंदी और अंग्रेजी उनके लिए परेशानी बन जाते हैं. अक्सर बच्चों को गणित के जोड़-भाग के साथ-साथ हिंदी की मात्राओं के साथ शब्द बनाने में परेशानी आती है. बच्चों की बुनयादी पढ़ाई में हिंदी व गणित आसान बने, इसे ध्यान में रखते हुए एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल ने दो किताबें लिखी हैं. इन किताबों में खेल के पैटर्न पर दोनों विषय रोचक तरीके से पढ़ाने पर जोर दिया गया है.
नवाचार करने वाली जोधपुर की राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय श्यामसदन की प्रिंसिपल डॉ. शीला आसोपा का कहना है कि जब वे ग्रामीण क्षेत्र में पदास्थापित थीं, तो वहां यह सामने आया कि बच्चे शुरुआती शिक्षा में ही इन दोनों विषय को लेकर डरते हैं. कुछ सरल और रोचक तरीके से पढ़ाई हो, इसके लिए किताब लिखने का निर्णय लिया, क्योंकि इन विषयों के चलते बच्चे स्कूल से दूरी बना लेते हैं. सरकारी स्कूल में ड्रॉपआउट बढ़ जाता है. इससे निपटने के लिए करीब एक साल की मेहनत के बाद 50 पेज की एजुकेशन प्लेइंग गेम्स और 80 पेज की लर्निंग विथ क्रिएटीविटी के नाम से दो किताबें लिखीं.
प्लेग्रुप से दूसरी कक्षा तक उपयोगी है किताब: डॉ. आसोपा बताती हैं कि इन किताबों के माध्यम से बुनियादी शिक्षा में हिंदी और गणित की सरल पढ़ाई को लेकर काम हुआ है. किताब में जो गतिविधियां बताई गई हैं, उसके आधार पर खिलौना बैंक भी बनाया जा रहा है. प्लेग्रुप से दूसरी कक्षा के बच्चों को इस पैटर्न पर पढ़ाया जाए तो उनके लिए आसानी होगी. ये किताबें सरकारी स्कूलों के साथ-साथ निजी स्कूलों के लिए भी उपयोगी हैं. किताब पर आधरित खिलौना बैंक बनाने व किताबें स्कूलों में उपलब्ध हों इसके लिए कई संस्थाएं भी आगे आई हैं. उन्होंने कहा कि हम निशुल्क वितरण का प्रयास कर रहे हैं.
क्यूआर कोड से देख सकते हैं वीडियो: डॉ. आसोपा के अनुसार किताबों में खेल के साथ पढ़ाई के लिए नई ट्रिक्स दी गई हैं. बच्चे घर पर किताब के माध्यम से पढ़ सकते हैं. स्कूल में इसके लिए मेटिंग या अन्य खिलौनों की आवश्यकता होती है. इसके अलावा कई वीडियो बनाए गए हैं. मोबाइल फोन का उपयोग एजुकेशन में तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए वीडियो के लिंक क्यूआर कोड भी किताबों में छापे गए हैं. अभिभावक उसे स्कैन कर बच्चों को बता सकते हैं.
मात्राओं, संख्याओं और अंग्रेजी को किया आसान: डॉ. आसोपा की किताब में हिंदी की मात्रा समझाने के लिए चित्र विधि अपनाई गई है. वस्तु का नाम उच्चारित करना सिखाया जाता है, उसके बाद उसके लिखने की विधि जो काफी क्रिएटिव होती है, इससे बच्चे तेजी से मात्राओं को समझते हैं. इसी तरह से गणित में अंकों को हिंदी व अंग्रेजी में पहले बोलना और बाद में पहचानने के लिए प्रेरित किया जाता है. अंग्रेजी में भी कमोबेश इसी तरीके से स्पेलिंग सीखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इसके लिए खिलौनों का भी उपयोग किया जाता है.