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SPECIAL: ETV Bharat की पहल के बाद इस गांव ने समझी जल की महत्ता, इस तरह संचित होगा बारिश का पानी

झुंझुनू में पानी की समस्या को देखते हुए पिछले साल 2019 में ईटीवी भारत की ओर से बिन पानी सब सून नाम का एक अभियान चलाया गया था. जिसके बाद इस अभियान का असर अब दिखने लगा है. यहां सालों से सूखी पड़ी बंका सेठ की जोहड़ी, जो बारिश के पानी को भी अपनी गर्भ में समा लेती थी, लेकिन अबकी बार मानसून में यहां पानी इकट्ठा होगा. देखिए ईटीवी भारत के प्रयासों की एक फलदाई खबर...

झुंझुनू न्यूज, rajasthan news
ईटीवी भारत की पहल का हुआ असर
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Published : Jun 23, 2020, 3:02 PM IST

झुंझुनू. देश के हर कोने में आज के समय में पानी की समस्या उत्पन्न हो चुकी है. जिसे लेकर सरकार भी कई प्रयास करती है, उसके बाद भी पानी की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल पाता है. वहीं पानी गर्मियों में राजस्थान में होने वाली पानी की किल्लत किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में जल संग्रहण और पुराने जल स्रोत को लेकर ईटीवी भारत ने साल 2019 में 'बिन पानी सब सून' के तहत एक अभियान चलाया था. इस मुहिम के तहत बंका सेठ की जोहड़ी जो कई सालों से सूखी पड़ी थी, उसके अस्तित्व को बचाने का बीड़ा ईटीवी भारत ने उठाया था.

ईटीवी भारत का प्रयास रहा सफल

'बिन पानी सब सून' अभियान के तहत ईटीवी भारत अपनी मुहिम की कड़ी में 18 जुलाई 2019 को झुंझुनू के मलसीसर कस्बा पहुंचा, तो पता चला कि यहां पर एक बंका सेठ की जोहड़ी थी, जो पिछले 30 सालों से अपने अस्तित्व को खोती जा रही है. कभी गांव के लोगों की प्यास बुझाने वाली ये जोहड़ी आज खुद प्यासी थी.

बुजुर्गों ने बताया कि ये जोहड़ी 100 बीघे में फैली हुई थी. इसमें बरसात का पानी भर जाता था. जिसके बाद इस पानी का इस्तेमाल सिंचाई, पशु और अन्य कामों में लिया जाता था. साथ ही इस जोहड़ी के भरने से आस-पास भूजल स्तर भी काफी अच्छे स्तर पर रहता था.

झुंझुनू न्यूज, rajasthan news
इस बार फिर जोहड़ी में पानी होगा एकत्रित

ईटीवी भारत ने जोहड़ी को पुनर्जीवित करने का उठाया बीड़ा

ऐसे में ईटीवी भारत ने जोहड़ी को वापस पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया और गांव के लोगों को जोड़ने की शुरुआत की. ईटीवी भारत की मुहिम के साथ गांव के सभी ग्रामीण भी जुड़े. साथ ही ये बात प्रशासन को भी पता चली. जिसके बाद झुंझुनू के कलेक्टर रवि जैन ने भी मुहिम के साथ जुड़ने का फैसला किया. वो खुद फावड़ा और साथ में प्रशासनिक लाव लश्कर लेकर 1 अगस्त 2019 को बंका सेठ की जोहड़ी पर पहुंचे और ग्रामीणों की सहयोग से जोहड़ी की खुदाई शुरू कर दी. ईटीवी भारत की अपील से बंका सेठ की जोहड़ी में खुदाई का काम पूरा हो गया. इस काम को लेकर तत्कालीन जिला कलेक्टर अभी आयुक्त परिवहन रवि जैन ने ईटीवी भारत की मुहिम की तारीफ भी की थी.

झुंझुनू न्यूज, rajasthan news
पिछली बार 6 महीने तक रहा था पानी

30 साल से प्यासी बंका सेठ की जोहड़ी का फिर से हुआ गला तर

बता दें कि बंका सेठ की जोहड़ी की खुदाई हो चुकी थी. सालों से प्यासी ये जोहड़ी फिर से अपने स्वरूप में लौट चुकी है. जिसके बाद बंका सेठ की जोहड़ी में पानी भरने लगा है. शुरुआत में सालों से प्यासी इस जोहड़ी ने सारा पानी अपनी गर्भ में समा लिया. इसके बाद अब इसमें पानी इकट्ठा होना शुरू हो गया है.

यह भी पढ़ें- बिन पानी सब सून : बंका सेठ की जोहड़ी को जीवित करने में जुटा ईटीवी भारत...ग्रामीण और प्रशासन से की अपील

ग्रामीणों की माने तो करीब 6 महीने तक यहां फिरने वाले पशुओं की इस जोहड़ी ने प्यास बुझाई. ग्रामीणों को ये भी विश्वास है कि पिछली बार तो पहली बार पानी आने की वजह से बरसों की प्यासी धरती ने अपने गर्भ में पानी का बड़ा हिस्सा समा लिया था, लेकिन इस साल यहां इतना पानी आ सकेगा की पशु सालभर तक अपनी प्यास बुझा सकेंगे.

झुंझुनू न्यूज, rajasthan news
इस बार सालभर पानी रहने की उम्मीद

यह है हमारी सालों पुरानी विरासत

मलसीसर के सेठ भगवानदास बिहारीलाल बंका ने तो बड़ा दिल कर गायों के चरने और पानी पीने के लिए अपनी जमीन दान दे दी थी, लेकिन आने वाली पीढ़ियां उस विरासत की सार संभाल नहीं कर सकी थी. बंका सेठ ने झुंझुनू रोड पर जो जमीन दी थी, उसका जोहड़ा भी पक्का बना कर दिया था और यही कारण है कि वो आज भी वैसा का वैसा ही है और जल सरंक्षण की प्राचीन परंपरा को जीवंत बनाए हुए था, लेकिन उन्हीं की दी हुई जोहड़ी अपना अस्तित्व खो रही थी. निश्चित ही जिस तरह से जोहड़ी में ईटीवी भारत के प्रयास के बाद पानी आया है, उससे जल संरक्षण भी हुआ है और वाटर रिचार्ज का आने वाले सालों में फायदा मिलेगा.

झुंझुनू. देश के हर कोने में आज के समय में पानी की समस्या उत्पन्न हो चुकी है. जिसे लेकर सरकार भी कई प्रयास करती है, उसके बाद भी पानी की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिल पाता है. वहीं पानी गर्मियों में राजस्थान में होने वाली पानी की किल्लत किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में जल संग्रहण और पुराने जल स्रोत को लेकर ईटीवी भारत ने साल 2019 में 'बिन पानी सब सून' के तहत एक अभियान चलाया था. इस मुहिम के तहत बंका सेठ की जोहड़ी जो कई सालों से सूखी पड़ी थी, उसके अस्तित्व को बचाने का बीड़ा ईटीवी भारत ने उठाया था.

ईटीवी भारत का प्रयास रहा सफल

'बिन पानी सब सून' अभियान के तहत ईटीवी भारत अपनी मुहिम की कड़ी में 18 जुलाई 2019 को झुंझुनू के मलसीसर कस्बा पहुंचा, तो पता चला कि यहां पर एक बंका सेठ की जोहड़ी थी, जो पिछले 30 सालों से अपने अस्तित्व को खोती जा रही है. कभी गांव के लोगों की प्यास बुझाने वाली ये जोहड़ी आज खुद प्यासी थी.

बुजुर्गों ने बताया कि ये जोहड़ी 100 बीघे में फैली हुई थी. इसमें बरसात का पानी भर जाता था. जिसके बाद इस पानी का इस्तेमाल सिंचाई, पशु और अन्य कामों में लिया जाता था. साथ ही इस जोहड़ी के भरने से आस-पास भूजल स्तर भी काफी अच्छे स्तर पर रहता था.

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इस बार फिर जोहड़ी में पानी होगा एकत्रित

ईटीवी भारत ने जोहड़ी को पुनर्जीवित करने का उठाया बीड़ा

ऐसे में ईटीवी भारत ने जोहड़ी को वापस पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया और गांव के लोगों को जोड़ने की शुरुआत की. ईटीवी भारत की मुहिम के साथ गांव के सभी ग्रामीण भी जुड़े. साथ ही ये बात प्रशासन को भी पता चली. जिसके बाद झुंझुनू के कलेक्टर रवि जैन ने भी मुहिम के साथ जुड़ने का फैसला किया. वो खुद फावड़ा और साथ में प्रशासनिक लाव लश्कर लेकर 1 अगस्त 2019 को बंका सेठ की जोहड़ी पर पहुंचे और ग्रामीणों की सहयोग से जोहड़ी की खुदाई शुरू कर दी. ईटीवी भारत की अपील से बंका सेठ की जोहड़ी में खुदाई का काम पूरा हो गया. इस काम को लेकर तत्कालीन जिला कलेक्टर अभी आयुक्त परिवहन रवि जैन ने ईटीवी भारत की मुहिम की तारीफ भी की थी.

झुंझुनू न्यूज, rajasthan news
पिछली बार 6 महीने तक रहा था पानी

30 साल से प्यासी बंका सेठ की जोहड़ी का फिर से हुआ गला तर

बता दें कि बंका सेठ की जोहड़ी की खुदाई हो चुकी थी. सालों से प्यासी ये जोहड़ी फिर से अपने स्वरूप में लौट चुकी है. जिसके बाद बंका सेठ की जोहड़ी में पानी भरने लगा है. शुरुआत में सालों से प्यासी इस जोहड़ी ने सारा पानी अपनी गर्भ में समा लिया. इसके बाद अब इसमें पानी इकट्ठा होना शुरू हो गया है.

यह भी पढ़ें- बिन पानी सब सून : बंका सेठ की जोहड़ी को जीवित करने में जुटा ईटीवी भारत...ग्रामीण और प्रशासन से की अपील

ग्रामीणों की माने तो करीब 6 महीने तक यहां फिरने वाले पशुओं की इस जोहड़ी ने प्यास बुझाई. ग्रामीणों को ये भी विश्वास है कि पिछली बार तो पहली बार पानी आने की वजह से बरसों की प्यासी धरती ने अपने गर्भ में पानी का बड़ा हिस्सा समा लिया था, लेकिन इस साल यहां इतना पानी आ सकेगा की पशु सालभर तक अपनी प्यास बुझा सकेंगे.

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इस बार सालभर पानी रहने की उम्मीद

यह है हमारी सालों पुरानी विरासत

मलसीसर के सेठ भगवानदास बिहारीलाल बंका ने तो बड़ा दिल कर गायों के चरने और पानी पीने के लिए अपनी जमीन दान दे दी थी, लेकिन आने वाली पीढ़ियां उस विरासत की सार संभाल नहीं कर सकी थी. बंका सेठ ने झुंझुनू रोड पर जो जमीन दी थी, उसका जोहड़ा भी पक्का बना कर दिया था और यही कारण है कि वो आज भी वैसा का वैसा ही है और जल सरंक्षण की प्राचीन परंपरा को जीवंत बनाए हुए था, लेकिन उन्हीं की दी हुई जोहड़ी अपना अस्तित्व खो रही थी. निश्चित ही जिस तरह से जोहड़ी में ईटीवी भारत के प्रयास के बाद पानी आया है, उससे जल संरक्षण भी हुआ है और वाटर रिचार्ज का आने वाले सालों में फायदा मिलेगा.

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