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झुंझुनू सीट पर दोनों प्रत्याशी विधायकी में पास लेकिन सांसद की पहली परीक्षा, सामने हैं ये चुनौतियां

कांग्रेस के श्रवण कुमार का स्कोर 5 बार जीत का जबकि दो बार हार का है. वहीं भाजपा के नरेंद्र खीचड़ का दो बार जीत व दो बार हार का यानी बराबरी का है.

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Published : Apr 4, 2019, 5:33 PM IST

झुंझुनू. लोकसभा सीट झुंझुनू पर भाजपा प्रत्याशी दो बार तो कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार पांच बार विधायक की परीक्षा पास कर चुके हैं. दोनों ही प्रत्याशी विधायक की परीक्षा में सफल रहे हैं लेकिन लोकसभा की परीक्षा में दोनों पहली बार चुनावी मैदान में हैं.

कांग्रेस के श्रवण कुमार का स्कोर 5 बार जीत का जबकि दो बार हार का है. वहीं भाजपा के नरेंद्र खीचड़ का दो बार जीत व दो बार हार का यानी बराबरी का है. सांसद की परीक्षा में दोनों ही प्रत्याशी पहली बार बैठे हैं, चुनाव होने में लगभग एक माह बचा है और इस बीच दोनों के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है.

VIDEO: झुंझुनू लोकसभा सीट पर दोनों प्रत्याशी के सामने ये हैं चुनौतियां

सीटिंग सांसद का कटा है टिकट लेकिन मोदी का आसरा
नरेंद्र खीचड़ को सीटिंग सांसद का टिकट काट कर दिया गया है और ऐसे में भीतरघात की आशंका है. उनका व्यक्तिगत जुड़ाव केवल मंडावा विधानसभा में ही रहा है और विधानसभा चुनाव में कुछ समय पहले ही वे भाजपा में आए थे. ऐसे में संगठन या सत्ता के साथ रहकर जिले की अन्य विधानसभाओं के कार्यकर्ताओं से उनका जुड़ाव बहुत कम है.

इसके अलावा लोकसभा की 8 विधानसभाओं में से केवल 2 विधानसभा में ही भाजपा के विधायक हैं. वही मजबूत पक्ष की बात की जाए तो भाजपा के संगठन में उनका विरोध नहीं है. अपनी मेहनत के बल पर राजनीति करने से संघर्षशील नेता की छवि है. दूसरा वे केंद्र में मोदी सरकार बनाने के नाम पर वोट मांग रहे हैं और ऐसे में मोदी की आसरे ही वे नैया पार लगाने में जुटे हैं.

ओला परिवार की नाराजगी पर अन्यों का साथ
कांग्रेस की टिकट श्रवण कुमार को मिलने से लंबे समय तक एकछत्र राज करने वाले ओला परिवार से जुड़ा एक खेमा खासा नाराज बताए जा रहा है और यह श्रवण कुमार के लिए भारी पड़ सकता है. ओला परिवार का जिले में अच्छा खासा जन नेटवर्क है और उनके समर्थक चुनाव से अब उदासीन जैसे हो गए हैं. विधानसभा के हाल ही में हुए चुनाव में श्रवण कुमार विधायक का चुनाव हार गए थे और उनके विरोधी इस को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं.

शीशराम ओला से श्रवण कुमार का 36 का आंकड़ा रहता था और ऐसे में उनको कभी पूरे जिले में पकड़ करने का मौका नहीं मिला था. वहीं मजबूत पक्ष की बात की जाए तो वे सूरजगढ़ व पिलानी दो विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. लगातार पांच बार के विधायक रहे श्रवण कुमार कि यह विधानसभा चुनाव हारने से लोगों की सहानुभूति उनके साथ है. बोलने में तेजतर्रार हैं अच्छे वक्ता हैं और पार्टी के 8 में से 5 विधायक हैं.

झुंझुनू. लोकसभा सीट झुंझुनू पर भाजपा प्रत्याशी दो बार तो कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार पांच बार विधायक की परीक्षा पास कर चुके हैं. दोनों ही प्रत्याशी विधायक की परीक्षा में सफल रहे हैं लेकिन लोकसभा की परीक्षा में दोनों पहली बार चुनावी मैदान में हैं.

कांग्रेस के श्रवण कुमार का स्कोर 5 बार जीत का जबकि दो बार हार का है. वहीं भाजपा के नरेंद्र खीचड़ का दो बार जीत व दो बार हार का यानी बराबरी का है. सांसद की परीक्षा में दोनों ही प्रत्याशी पहली बार बैठे हैं, चुनाव होने में लगभग एक माह बचा है और इस बीच दोनों के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है.

VIDEO: झुंझुनू लोकसभा सीट पर दोनों प्रत्याशी के सामने ये हैं चुनौतियां

सीटिंग सांसद का कटा है टिकट लेकिन मोदी का आसरा
नरेंद्र खीचड़ को सीटिंग सांसद का टिकट काट कर दिया गया है और ऐसे में भीतरघात की आशंका है. उनका व्यक्तिगत जुड़ाव केवल मंडावा विधानसभा में ही रहा है और विधानसभा चुनाव में कुछ समय पहले ही वे भाजपा में आए थे. ऐसे में संगठन या सत्ता के साथ रहकर जिले की अन्य विधानसभाओं के कार्यकर्ताओं से उनका जुड़ाव बहुत कम है.

इसके अलावा लोकसभा की 8 विधानसभाओं में से केवल 2 विधानसभा में ही भाजपा के विधायक हैं. वही मजबूत पक्ष की बात की जाए तो भाजपा के संगठन में उनका विरोध नहीं है. अपनी मेहनत के बल पर राजनीति करने से संघर्षशील नेता की छवि है. दूसरा वे केंद्र में मोदी सरकार बनाने के नाम पर वोट मांग रहे हैं और ऐसे में मोदी की आसरे ही वे नैया पार लगाने में जुटे हैं.

ओला परिवार की नाराजगी पर अन्यों का साथ
कांग्रेस की टिकट श्रवण कुमार को मिलने से लंबे समय तक एकछत्र राज करने वाले ओला परिवार से जुड़ा एक खेमा खासा नाराज बताए जा रहा है और यह श्रवण कुमार के लिए भारी पड़ सकता है. ओला परिवार का जिले में अच्छा खासा जन नेटवर्क है और उनके समर्थक चुनाव से अब उदासीन जैसे हो गए हैं. विधानसभा के हाल ही में हुए चुनाव में श्रवण कुमार विधायक का चुनाव हार गए थे और उनके विरोधी इस को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं.

शीशराम ओला से श्रवण कुमार का 36 का आंकड़ा रहता था और ऐसे में उनको कभी पूरे जिले में पकड़ करने का मौका नहीं मिला था. वहीं मजबूत पक्ष की बात की जाए तो वे सूरजगढ़ व पिलानी दो विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. लगातार पांच बार के विधायक रहे श्रवण कुमार कि यह विधानसभा चुनाव हारने से लोगों की सहानुभूति उनके साथ है. बोलने में तेजतर्रार हैं अच्छे वक्ता हैं और पार्टी के 8 में से 5 विधायक हैं.

Intro:
झुंझुनू । झुंझुनू लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी दो बार तो कांग्रेस प्रत्याशी श्रवण कुमार पांच बार विधायक की परीक्षा पास कर चुके हैं । इसमें श्रवण कुमार का स्कोर 5 बार जीत का व दो बार हार का है तो नरेंद्र खीचड़ का दो बार जीत व दो बार हार का यानी बराबरी का है। सांसद की परीक्षा में दोनों ही प्रत्याशी पहली बार बैठे हैं, चुनावों को लगभग 1 माह बचा है और इस बीच दोनों के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है।


Body:सीटिंग संसद का कटा है टिकट लेकिन मोदी का आसरा
नरेंद्र खीचड़ को सीटिंग सांसद का टिकट काट कर दिया गया है और ऐसे में भीतरघात की आशंका है । उनका व्यक्तिगत जुड़ाव केवल मंडावा विधानसभा में ही रहा है और विधानसभा चुनाव में कुछ ही समय पहले भी भाजपा में आए थे। ऐसे में संगठन या सत्ता के साथ रहकर जिले की अन्य विधानसभाओं के कार्यकर्ताओं से उनका जुड़ाव बहुत कम है। इसके अलावा लोकसभा की 8 विधानसभाओं में से केवल 2 विधानसभा में ही भाजपा के विधायक हैं। वही मजबूत पक्ष की बात की जाए तो भाजपा के संगठन में उनका विरोध नहीं है। अपनी मेहनत के बल पर राजनीति करने से संघर्षशील नेता की छवि है । दूसरा वे केंद्र में मोदी सरकार बनाने के नाम पर वोट मांग रहे हैं और ऐसे में मोदी की आसरे उनकी नैया पार लग सकती है ।




Conclusion:
ओला परिवार की नाराजगी पर अन्य विधायकों का साथ
कांग्रेस की टिकट श्रवण कुमार को मिलने से लंबे समय तक एकछत्र राज करने वाले ओला परिवार से जुड़ा एक खेमा खासा नाराज बताए जा रहा है और यह श्रवण कुमार के लिए भारी पड़ सकता । ओला परिवार का जिले में अच्छा खासा जन नेटवर्क है और उनके समर्थक चुनाव से अब उदासीन जैसे हो गए हैं। विधानसभा के हाल ही में हुए चुनाव में श्रवण कुमार विधायक का चुनाव हार गए थे और उनके विरोधी इस को भुनाने का प्रयास कर रहे हैं । शीशराम ओला से श्रवण कुमार का 36 का आंकड़ा रहा था और ऐसे में कुमार को पूरे जिले में कभी भी पकड़ करने का मौका नहीं दिया था। वही मजबूत पक्ष की बात की जाए तो वे सूरजगढ़ व पिलानी दो विधानसभा से विधायक रह चुके हैं। लगातार पांच बार के विधायक रहे श्रवण कुमार कि यह विधानसभा चुनाव हारने से लोगों की सहानुभूति उनके साथ है बोलने में तेजतर्रार हैं अच्छे वक्ता हैं और पार्टी के 8 में से 5 विधायक हैं।
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