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झुंझुनू: मंडावा विधानसभा उप चुनाव को लेकर क्या कहते है खेतों में काम कर रहे किसान, आईए जानते हैं उनकी राय और मुद्दे - mandava by-election farmer's view

मंडावा विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव होने जा रहे हैं, लेकिन किसान अपने खेतों में फसलों की कटाई के कार्य में जुटे हुए हैं. कहीं फसलों की अंतिम कटाई का काम हो रहा है तो कहीं पर दाना निकालने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में ईटीवी भारत संवाददाता ने किसानों के खेतों में जाकर मंडावा विधानसभा उप चुनाव के बारे में उनसे चर्चा की.

मंडावा विधानसभा उप चुनाव खबर, mandava assembly by election news
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Published : Oct 15, 2019, 11:42 AM IST

झुंझुनू. मंडावा विधानसभा उप चुनाव नजदीक हैं और मतदाताओं ने अपने अपने वोटों को लेकर मन बना लिए होंगे. वहीं क्षेत्र का किसान भी इन चुनावों में मुख्य मतदाता है. ऐसे में ईटीवी भारत नें किसानों से बातचीत कर चुनावों को लेकर जानें उनके विचार, मुद्दे और राय .

विधानसभा चुनाव को लेकर किसानों ने बताई अपनी राय

आपको बता दें कि शेखावाटी के किसानों के लिए अभी सबसे बड़ी समस्या आवारा पशुओं की है. मंडावा विधानसभा क्षेत्र के किसान भी यही मानते हैं कि अभी खेती के सबसे बड़े दुश्मन आवारा पशु हैं. किसानों ने भी यह मान लिया है कि आवारा पशुओं की समस्या का कोई इलाज नहीं होगा, लेकिन सरकार तारबंदी में सहयोग करे तो कम से कम खेती तो चलती रह सकती है.

पढ़ें: जेल में खेल : जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदियों का नशा करते VIDEO वायरल, जेल अधीक्षक बोले- करेंगे जांच

वहीं किसानों ने बताया कि आवारा पशुओं की वजह से किसानों को फसल के समय खेतों में सोना पड़ता है. उप चुनाव के बहाने ही उनकी राय है कि सरकारों को खेतों की तारबंदी में सहयोग करना चाहिए. ईटीवी भारत संवाददाता ने सीधे किसानों के खेतों में जाकर उनसे बात की तो उनका यह दर्द उभर कर सामने आया.

साथ ही, किसानों का यह भी दर्द है कि वह सालों से वोट करते रहे हैं, लेकिन किसानों की परिस्थितियों में कोई बदलाव किसी भी सरकार ने नहीं किया है. इस बार बारिश ने अंतिम समय में धोखा दे दिया, इसलिए अनाज भी कम ही हुआ है. ऐसे में किसानों को यह भी चिंता है कि पशुओं को क्या खिलाया जाएगा और इसके लिए कहीं बाहर से इंतजाम करना पड़ेगा.

झुंझुनू. मंडावा विधानसभा उप चुनाव नजदीक हैं और मतदाताओं ने अपने अपने वोटों को लेकर मन बना लिए होंगे. वहीं क्षेत्र का किसान भी इन चुनावों में मुख्य मतदाता है. ऐसे में ईटीवी भारत नें किसानों से बातचीत कर चुनावों को लेकर जानें उनके विचार, मुद्दे और राय .

विधानसभा चुनाव को लेकर किसानों ने बताई अपनी राय

आपको बता दें कि शेखावाटी के किसानों के लिए अभी सबसे बड़ी समस्या आवारा पशुओं की है. मंडावा विधानसभा क्षेत्र के किसान भी यही मानते हैं कि अभी खेती के सबसे बड़े दुश्मन आवारा पशु हैं. किसानों ने भी यह मान लिया है कि आवारा पशुओं की समस्या का कोई इलाज नहीं होगा, लेकिन सरकार तारबंदी में सहयोग करे तो कम से कम खेती तो चलती रह सकती है.

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वहीं किसानों ने बताया कि आवारा पशुओं की वजह से किसानों को फसल के समय खेतों में सोना पड़ता है. उप चुनाव के बहाने ही उनकी राय है कि सरकारों को खेतों की तारबंदी में सहयोग करना चाहिए. ईटीवी भारत संवाददाता ने सीधे किसानों के खेतों में जाकर उनसे बात की तो उनका यह दर्द उभर कर सामने आया.

साथ ही, किसानों का यह भी दर्द है कि वह सालों से वोट करते रहे हैं, लेकिन किसानों की परिस्थितियों में कोई बदलाव किसी भी सरकार ने नहीं किया है. इस बार बारिश ने अंतिम समय में धोखा दे दिया, इसलिए अनाज भी कम ही हुआ है. ऐसे में किसानों को यह भी चिंता है कि पशुओं को क्या खिलाया जाएगा और इसके लिए कहीं बाहर से इंतजाम करना पड़ेगा.

Intro:मंडावा विधानसभा में उपचुनाव होने जा रहे हैं लेकिन किसान अपने खेतों में फसलों के अंतिम काम करने में जुटे हुए हैं। फसलों की अंतिम कटाई का का काम हो रहा है तो कहीं पर दाना निकालने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में हमने किसानों के खेतों में जाकर मंडावा विधानसभा उपचुनाव के बारे में चर्चा की।


Body:झुंझुनू। शेखावाटी के किसानों के लिए अभी सबसे बड़ी समस्या आवारा पशुओं की है। मंडावा विधानसभा के किसान भी यही मानते हैं कि अभी खेती के सबसे बड़े दुश्मन आवारा पशु है। इसमें संभवतया किसानों ने भी यह मान लिया है कि आवारा पशुओं की समस्या का कोई इलाज नहीं होगा लेकिन यदि सरकार तारबंदी में सहयोग करें तो कम से कम खेती चलती रह सकती है। आवारा पशुओं की वजह से किसानों को फसल के समय खेतों में सोना पड़ता है और उपचुनाव के बहाने ही उनकी सरकार से मांग है कि तारबंदी में सरकार को सहयोग करना चाहिए। हमने सीधे किसानों के खेतों में ही जाकर उनसे जब बात की तो उनका यह दर्द उभर कर सामने आया।


नहीं आया है कोई बदलाव
किसानों का यह भी दर्द है कि वह सालों से वोट करते रहे हैं लेकिन किसानों की परिस्थितियों में कोई बदलाव किसी भी सरकार ने नहीं किया है। इस बार बारिश ने अंतिम समय में धोखा दे दिया और इसलिए अनाज भी कम ही हुआ है। ऐसे में किसानों को यह भी चिंता है कि पशुओं को क्या खिलाया जाएगा और इसके लिए कहीं बाहर से इंतजाम करना पड़ेगा। शेखावाटी में भी महिलाएं पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम करती हैं और इसलिए वे भी अपनी राय रखती हैं।




Conclusion:
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