ETV Bharat / state

Special : कोरोना काल में मरीजों के लिए मसीहा बनीं नर्सों के जज्बे को सलाम

कोरोना के खिलाफ जंग में नर्सिंग स्टाफ अहम भूमिका निभा रहा है. कोरोना काल में संक्रमितों से उनके अपने भी दूर हो गए. ऐसे विपरीत समय में नर्सेज कभी मां बनकर तो कभी बहन बनकर उनकी सेवा कर रही हैं. नर्सों की निष्ठा और सेवा का ही परिणाम है कि बड़ी संख्या में लोग स्वस्थ होकर घर लौटते जा रहे हैं. इस दौरान नर्सेज रोज नए-नए अनुभवों से भी गुजरीं. उन्होंने ईटीवी भारत से अपने अनुभव साझा किए.

Role of Nurses in COVID-19 Pandemic
नर्सों के जज्बे को सलाम
author img

By

Published : Jun 9, 2021, 11:02 AM IST

झालावाड़. मध्यप्रदेश का सीमावर्ती जिला होने की वजह से झालावाड़ जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ रहती है. यहां मध्यप्रदेश के साथ ही कोटा और बारां जिले के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं. कोरोना काल में भी ऐसा ही हो रहा है. ज्यादा मरीज होने से स्वास्थ्यकर्मियों पर काम का दबाव भी ज्यादा है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी नर्सेज रात-दिन सेवा में जुटी हैं.

3 साल की बेटी से दूर रहकर चंचल पाराशर कर रहीं कोरोना मरीजों की सेवा...

जिला अस्पताल में कार्यरत नर्स चंचल पाराशर ने बताया कि वो पिछले डेढ़ साल से सेवाएं दे रहीं हैं. काम की अधिकता की वजह से परिवार को भी समय नहीं दे पाती हैं. खुद की वजह से परिजनों के संक्रमित होने की चिंता भी लगी रहती है. 3 साल की बेटी को भी अपने गांव बूंदी भेजना पड़ा है. अस्पताल में काम करते समय हमेशा पीपीई किट पहनना पड़ता है. कई बार प्यास लगने के बावजूद भी पानी नहीं पी पाते हैं. बीपी की भी समस्या है.

कोरोना काल में मरीजों के लिए मसीहा बनीं नर्सों के जज्बे को सलाम

कई बार मरीज भी हावी होने की कोशिश करते हैं. गलत व्यवहार भी करते हैं, लेकिन लगातार ड्यूटी कर रहे हैं. पिछले 10 महीने से वेतन भी नहीं मिला है. मानसिक रूप से परेशान भी हैं. उन्होंने प्रशासन से भी अपील की है कि उनको वेतन का भुगतान किया जाए, ताकि वह पूरे तन-मन से मरीजों की सेवा कर सकें.

खुद संक्रमित होकर भी मरीजों की सेवा में लगी रहीं प्रियंका नावर...

कोरोना काल में प्रियंका नावर लगातार एसआरजी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहीं हैं. इस दौरान वह खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गईं. उनकी वजह से परिवार भी पॉजिटिव हो गया. ऐसे में कोरोना को हराकर अब वो दोबारा अस्पताल में मरीजों का उपचार करने में जुट गईं हैं.

Role of Nurses in COVID-19 Pandemic
मरीजों की सेवा...

पढ़ें : SPECIAL: छोटे घरों में कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा, होम आइसोलेशन संभव नहीं

बिना वेतन के 10 महीनों से ड्यूटी कर रहीं पंकज कुमारी...

झुंझुनू जिले की रहने वाली पंकज कुमारी अपने परिवार की परवाह किए बिना झालावाड़ के जनाना अस्पताल में कोरोना मरीजों की सेवा में जुटी हुईं हैं. 10 महीने से वेतन भी नहीं मिला है. कोरोना के चलते कई दिनों से अपनी 3 साल की बेटी से भी नहीं मिल पाईं हैं. एक 8 महीने की बेटी भी है, जिसको वो कभी कभी तो हाथ भी नहीं लगा पाती हैं. उन्होंने बताया कि पीपीई किट में भयंकर गर्मी लगती है, लेकिन पहनना उनकी मजबूरी है. क्योंकि उन्हें खुद के संक्रमित होने का और खुद से परिवार वालों के संक्रमित होने का डर लगा रहता है.

Role of Nurses in COVID-19 Pandemic
कोरोना काल में नर्सों की भूमिका...

परिवार का ध्यान, ड्यूटी भी कर रहीं मालती बामनिया...

झालावाड़ के जनाना अस्पताल के गायनिक ऑपरेशन थिएटर में कार्यरत मालती बामनिया ने बताया कि 6 घंटे लगातार पीपीई किट पहनकर भयंकर गर्मी सहते हुए वो अपनी ड्यूटी करती हैं. मां की जिम्मेदारियों के साथ-साथ वो ऑपरेशन थियेटर की जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रही हैं. कोरोना संक्रमण के डर से पड़ोसियों से बात नहीं कर पाती हैं

झालावाड़. मध्यप्रदेश का सीमावर्ती जिला होने की वजह से झालावाड़ जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ रहती है. यहां मध्यप्रदेश के साथ ही कोटा और बारां जिले के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं. कोरोना काल में भी ऐसा ही हो रहा है. ज्यादा मरीज होने से स्वास्थ्यकर्मियों पर काम का दबाव भी ज्यादा है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी नर्सेज रात-दिन सेवा में जुटी हैं.

3 साल की बेटी से दूर रहकर चंचल पाराशर कर रहीं कोरोना मरीजों की सेवा...

जिला अस्पताल में कार्यरत नर्स चंचल पाराशर ने बताया कि वो पिछले डेढ़ साल से सेवाएं दे रहीं हैं. काम की अधिकता की वजह से परिवार को भी समय नहीं दे पाती हैं. खुद की वजह से परिजनों के संक्रमित होने की चिंता भी लगी रहती है. 3 साल की बेटी को भी अपने गांव बूंदी भेजना पड़ा है. अस्पताल में काम करते समय हमेशा पीपीई किट पहनना पड़ता है. कई बार प्यास लगने के बावजूद भी पानी नहीं पी पाते हैं. बीपी की भी समस्या है.

कोरोना काल में मरीजों के लिए मसीहा बनीं नर्सों के जज्बे को सलाम

कई बार मरीज भी हावी होने की कोशिश करते हैं. गलत व्यवहार भी करते हैं, लेकिन लगातार ड्यूटी कर रहे हैं. पिछले 10 महीने से वेतन भी नहीं मिला है. मानसिक रूप से परेशान भी हैं. उन्होंने प्रशासन से भी अपील की है कि उनको वेतन का भुगतान किया जाए, ताकि वह पूरे तन-मन से मरीजों की सेवा कर सकें.

खुद संक्रमित होकर भी मरीजों की सेवा में लगी रहीं प्रियंका नावर...

कोरोना काल में प्रियंका नावर लगातार एसआरजी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहीं हैं. इस दौरान वह खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गईं. उनकी वजह से परिवार भी पॉजिटिव हो गया. ऐसे में कोरोना को हराकर अब वो दोबारा अस्पताल में मरीजों का उपचार करने में जुट गईं हैं.

Role of Nurses in COVID-19 Pandemic
मरीजों की सेवा...

पढ़ें : SPECIAL: छोटे घरों में कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा, होम आइसोलेशन संभव नहीं

बिना वेतन के 10 महीनों से ड्यूटी कर रहीं पंकज कुमारी...

झुंझुनू जिले की रहने वाली पंकज कुमारी अपने परिवार की परवाह किए बिना झालावाड़ के जनाना अस्पताल में कोरोना मरीजों की सेवा में जुटी हुईं हैं. 10 महीने से वेतन भी नहीं मिला है. कोरोना के चलते कई दिनों से अपनी 3 साल की बेटी से भी नहीं मिल पाईं हैं. एक 8 महीने की बेटी भी है, जिसको वो कभी कभी तो हाथ भी नहीं लगा पाती हैं. उन्होंने बताया कि पीपीई किट में भयंकर गर्मी लगती है, लेकिन पहनना उनकी मजबूरी है. क्योंकि उन्हें खुद के संक्रमित होने का और खुद से परिवार वालों के संक्रमित होने का डर लगा रहता है.

Role of Nurses in COVID-19 Pandemic
कोरोना काल में नर्सों की भूमिका...

परिवार का ध्यान, ड्यूटी भी कर रहीं मालती बामनिया...

झालावाड़ के जनाना अस्पताल के गायनिक ऑपरेशन थिएटर में कार्यरत मालती बामनिया ने बताया कि 6 घंटे लगातार पीपीई किट पहनकर भयंकर गर्मी सहते हुए वो अपनी ड्यूटी करती हैं. मां की जिम्मेदारियों के साथ-साथ वो ऑपरेशन थियेटर की जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रही हैं. कोरोना संक्रमण के डर से पड़ोसियों से बात नहीं कर पाती हैं

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.