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झालावाड़ में दिव्यांग 'धरती पुत्र' मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहा

झालावाड़ के खानपुर क्षेत्र में परवन सिंचाई परियोजना में किसानों की अवाप्त भूमि पर 4 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिल पाया है. इसके चलते किसानों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही है.

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Published : Aug 31, 2019, 9:14 AM IST

झालावाड़. खानपुर क्षेत्र में परवन सिंचाई परियोजना बड़े जोर शोर से शुरू की गई थी. इसके लिए किसानों की जमीन भी अवाप्त कर ली गई थी. लेकिन वर्तमान में 4 साल बाद भी किसानों को मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है. समय पर मुआवजा नहीं मिल पाने के कारण किसानों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही हैं.

मुआवजा नहीं मिलने से परेशान किसान ने जताई मरने की इच्छा

ऐसा ही एक मामला खानपुर तहसील के तारज गांव के निवासी पुरुषोत्तम धाकड़ का सामने आया है. इनकी आज से 4 साल पहले परवन सिंचाई परियोजना में जमीन अवाप्त कर ली गई. साथ ही कहा गया कि आपको जल्दी ही मुआवजा दिया जाएगा. किसान की जमीन तो सिंचाई परियोजना में चली गई, लेकिन उसे परिवार को तो पालना था. इसलिए किसान ने 4 बीघा नई जमीन खरीदने के लिए 12 लाख में सौदा किया.

पढ़ें- मंदी के दौर में जमीन जायदाद खरीदना हुआ महंगा, DLC दरों में 15 फीसदी तक का इजाफा

मुआवजा मिलने के प्रति आश्वस्त होकर किसान ने साई के तौर पर 4 लाख रुपये भी दे दिए. लेकिन 4 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिल पाया. जिसके कारण अब आने वाले 10 दिनों में किसान ने 8 लाख रुपये नहीं दिए तो 4 बीघा जमीन तो हाथ से चली जाएगी. साथ ही साई के तौर पर दिए 4 लाख रुपये भी किसान के हाथ से चले जाएंगे. यह बताते हुए किसान की आंखें भी छलक उठी.

एक पैर से दिव्यांग है किसान

ऐसे में एक पैर से विकलांग किसान जिला कलेक्टर के पास न्याय की उम्मीद में पहुंचा है. किसान के पास न तो खुद की जमीन रही है, न ही खरीदी हुई जमीन रहने वाली है. इतना ही नहीं साई के तौर पर दिए गए 4 लाख रुपये भी वापस नहीं मिलने वाले है. ऐसे में किसान के बच्चों का पालन पोषण भी मुश्किल हो गया है. जिसके चलते किसान ने मरने की इच्छा भी जता दी है.

झालावाड़. खानपुर क्षेत्र में परवन सिंचाई परियोजना बड़े जोर शोर से शुरू की गई थी. इसके लिए किसानों की जमीन भी अवाप्त कर ली गई थी. लेकिन वर्तमान में 4 साल बाद भी किसानों को मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है. समय पर मुआवजा नहीं मिल पाने के कारण किसानों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही हैं.

मुआवजा नहीं मिलने से परेशान किसान ने जताई मरने की इच्छा

ऐसा ही एक मामला खानपुर तहसील के तारज गांव के निवासी पुरुषोत्तम धाकड़ का सामने आया है. इनकी आज से 4 साल पहले परवन सिंचाई परियोजना में जमीन अवाप्त कर ली गई. साथ ही कहा गया कि आपको जल्दी ही मुआवजा दिया जाएगा. किसान की जमीन तो सिंचाई परियोजना में चली गई, लेकिन उसे परिवार को तो पालना था. इसलिए किसान ने 4 बीघा नई जमीन खरीदने के लिए 12 लाख में सौदा किया.

पढ़ें- मंदी के दौर में जमीन जायदाद खरीदना हुआ महंगा, DLC दरों में 15 फीसदी तक का इजाफा

मुआवजा मिलने के प्रति आश्वस्त होकर किसान ने साई के तौर पर 4 लाख रुपये भी दे दिए. लेकिन 4 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिल पाया. जिसके कारण अब आने वाले 10 दिनों में किसान ने 8 लाख रुपये नहीं दिए तो 4 बीघा जमीन तो हाथ से चली जाएगी. साथ ही साई के तौर पर दिए 4 लाख रुपये भी किसान के हाथ से चले जाएंगे. यह बताते हुए किसान की आंखें भी छलक उठी.

एक पैर से दिव्यांग है किसान

ऐसे में एक पैर से विकलांग किसान जिला कलेक्टर के पास न्याय की उम्मीद में पहुंचा है. किसान के पास न तो खुद की जमीन रही है, न ही खरीदी हुई जमीन रहने वाली है. इतना ही नहीं साई के तौर पर दिए गए 4 लाख रुपये भी वापस नहीं मिलने वाले है. ऐसे में किसान के बच्चों का पालन पोषण भी मुश्किल हो गया है. जिसके चलते किसान ने मरने की इच्छा भी जता दी है.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट

झालावाड़ के खानपुर क्षेत्र में परवन सिंचाई परियोजना में किसानों की अवाप्त भूमि पर 4 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिल पाया है जिसके चलते किसानों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही है.


Body:झालावाड़ के खानपुर क्षेत्र में परवन सिंचाई परियोजना बड़े जोर शोर से शुरू की गई थी. इसके लिए किसानों की जमीन भी अवाप्त कर ली गई थी लेकिन आज 4 साल बाद भी किसानों को मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है. समय पर मुआवजा नहीं मिल पाने के कारण किसानों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही है.

ऐसा ही मामला सामने आया खानपुर तहसील के तारज गांव के निवासी पुरुषोत्तम धाकड़ का... जिनकी आज से 4 साल पहले परवन सिंचाई परियोजना में जमीन अवाप्त कर ली गई और कहा गया कि आपको जल्दी ही मुआवजा दिया जाएगा. किसान की जमीन तो सिंचाई परियोजना में चली गई लेकिन उसे परिवार को तो पालना था इसलिए किसान ने 4 बीघा नई जमीन खरीदने के लिए 12 लाख में सौदा किया. मुआवजा मिलने के प्रति आश्वस्त होकर किसान ने साई के तौर पर 4 लाख रुपये भी दे दिए लेकिन 4 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिल पाया जिसके कारण अब आने वाले 10 दिनों में किसान ने 8 लाख रुपये नहीं दिए तो 4 बीघा जमीन और साई के तौर पर दिए 4 लाख रुपये भी किसान के हाथ से चले जाएंगे. यह बताते हुए किसान की आंखें भी छलक उठी.

ऐसे में एक पैर से विकलांग हैरान परेशान किसान जिला कलेक्टर के पास न्याय की उम्मीद में पहुंचा है क्योंकि किसान के पास न तो खुद की जमीन रही है न ही खरीदी हुई जमीन रहने वाली है और ना ही साई के तौर पर दिए गए 4 लाख रुपये. ऐसे में किसान के बच्चों का पालन पोषण भी मुश्किल हो गया है जिसके चलते किसान ने मरने की इच्छा भी जता दी है.


Conclusion:बाइट - पुरुषोत्तम धाकड़
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