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लॉकडाउन में कुम्हारों के सामने आर्थिक संकट, कोई नहीं खरीद रहा 'गरीबों का फ्रीज'

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Published : Apr 13, 2020, 6:26 PM IST

झालावाड़ में लॉकडाउन के कारण कुम्हारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया. गर्मियों में हाथों-हाथ बिकने वाली मटकियों को कोई पूछने वाला नहीं है. कुम्हारों ने मिट्टी के बर्तन तैयार तो कर लिए पर उनकी मेहनत बेकार जा रही है.

lockdown in Jhalawar  झालावाड़ में लॉकडाउन
कुम्हारों के सामने आर्थिक संकट

झालावाड़. लॉकडाउन में छोटे-बड़े सभी वर्गों के व्यवसाय बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में झालावाड़ के कुम्हार परिवारों के लिए बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. साल भर मेहनत करके मटकियां और मिट्टी के बर्तन तैयार करने के बावजूद इनकी बिक्री नहीं हो पा रही है. जिससे इन परिवारों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है.

कुम्हारों के सामने आर्थिक संकट

इस लॉकडाउन ने 'गरीबों के फ्रीज' बनाने वाले या यूं कहें कि मिट्टी के बर्तन और मटके बनाने वाले कुम्हार परिवार की कमर तोड़ दी है. एक तो लॉकडाउन की वजह से वे कहीं बाहर मटकियां भी नहीं भेज सकते. दूसरा कोई घर से बाहर ही नहीं निकल रहा है तो कोई मिट्टी के बर्तनों को क्यों खरीदे. वहीं शादियों में मिट्टी के बर्तनों और मटकों का बड़ी तादाद में इस्तेमाल होता है लेकिन महीने भर से शादियां भी नहीं हो पा रही है.

lockdown in Jhalawar  झालावाड़ में लॉकडाउन
कुम्हारों ने सीजन देख स्टॉक में बनाए लिए बर्तन

ऐसे में कुम्हारों को कितनी परेशानी उठानी पड़ रही है. इसको जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम झालावाड़ के कुम्हार मोहल्ले में पहुंची. जहां पर करीब 70 परिवार रहते हैं जो मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते हैं. हर सीजन में एक परिवार 700 से 800 मटकियां और मिट्टी के अन्य बर्तन बेचते हैं.

lockdown in Jhalawar  झालावाड़ में लॉकडाउन
बिक्री न होने से कुम्हार हैं मायूस

10-15 ही मटकियां अब तक बिकी

वहीं कुम्हार परिवारों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण से ये सीजन उनके लिए सबसे खराब गुजर रहा है. लॉकडाउन की वजह से ना तो ग्राहक उनके पास आ रहे हैं और ना ही उनके मटकों की बिक्री हो पा रही है. मटकियों की बिक्री के लिए यह सबसे अच्छा सीजन रहता है. गर्मियों की शुरुआत होते ही लोग मिट्टी के बर्तन खरीदने लगते हैं. ऐसे में पहले से ही स्टॉक में घड़े बनाकर हम रख लेते हैं.

lockdown in Jhalawar  झालावाड़ में लॉकडाउन
ग्राहक का इंतजार करते मिट्टी के बर्तन विक्रेता

इस बार लॉकडाउन के कारण महज 10-15 मटकियां ही बिक पायी है. जिसकी वजह से उनके सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने बताया कि इस सीजन में वो अन्य कस्बों और शहरों में बेचने के लिए भी मटकियां भेजते थे. इस बार वो भी नहीं कर पा रहे हैं.

ऐसे में साल भर मेहनत करके उन्होंने जो मिट्टी के बर्तन व मटकियां तैयार की थी. उनकी बिक्री नहीं हो पाने के कारण उनका व्यवसाय पूरी तरह से चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है. ऐसे में कुम्हारों के सामने अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है.

झालावाड़. लॉकडाउन में छोटे-बड़े सभी वर्गों के व्यवसाय बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में झालावाड़ के कुम्हार परिवारों के लिए बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. साल भर मेहनत करके मटकियां और मिट्टी के बर्तन तैयार करने के बावजूद इनकी बिक्री नहीं हो पा रही है. जिससे इन परिवारों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है.

कुम्हारों के सामने आर्थिक संकट

इस लॉकडाउन ने 'गरीबों के फ्रीज' बनाने वाले या यूं कहें कि मिट्टी के बर्तन और मटके बनाने वाले कुम्हार परिवार की कमर तोड़ दी है. एक तो लॉकडाउन की वजह से वे कहीं बाहर मटकियां भी नहीं भेज सकते. दूसरा कोई घर से बाहर ही नहीं निकल रहा है तो कोई मिट्टी के बर्तनों को क्यों खरीदे. वहीं शादियों में मिट्टी के बर्तनों और मटकों का बड़ी तादाद में इस्तेमाल होता है लेकिन महीने भर से शादियां भी नहीं हो पा रही है.

lockdown in Jhalawar  झालावाड़ में लॉकडाउन
कुम्हारों ने सीजन देख स्टॉक में बनाए लिए बर्तन

ऐसे में कुम्हारों को कितनी परेशानी उठानी पड़ रही है. इसको जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम झालावाड़ के कुम्हार मोहल्ले में पहुंची. जहां पर करीब 70 परिवार रहते हैं जो मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते हैं. हर सीजन में एक परिवार 700 से 800 मटकियां और मिट्टी के अन्य बर्तन बेचते हैं.

lockdown in Jhalawar  झालावाड़ में लॉकडाउन
बिक्री न होने से कुम्हार हैं मायूस

10-15 ही मटकियां अब तक बिकी

वहीं कुम्हार परिवारों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण से ये सीजन उनके लिए सबसे खराब गुजर रहा है. लॉकडाउन की वजह से ना तो ग्राहक उनके पास आ रहे हैं और ना ही उनके मटकों की बिक्री हो पा रही है. मटकियों की बिक्री के लिए यह सबसे अच्छा सीजन रहता है. गर्मियों की शुरुआत होते ही लोग मिट्टी के बर्तन खरीदने लगते हैं. ऐसे में पहले से ही स्टॉक में घड़े बनाकर हम रख लेते हैं.

lockdown in Jhalawar  झालावाड़ में लॉकडाउन
ग्राहक का इंतजार करते मिट्टी के बर्तन विक्रेता

इस बार लॉकडाउन के कारण महज 10-15 मटकियां ही बिक पायी है. जिसकी वजह से उनके सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने बताया कि इस सीजन में वो अन्य कस्बों और शहरों में बेचने के लिए भी मटकियां भेजते थे. इस बार वो भी नहीं कर पा रहे हैं.

ऐसे में साल भर मेहनत करके उन्होंने जो मिट्टी के बर्तन व मटकियां तैयार की थी. उनकी बिक्री नहीं हो पाने के कारण उनका व्यवसाय पूरी तरह से चौपट होने के कगार पर पहुंच गया है. ऐसे में कुम्हारों के सामने अपने परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है.

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