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संकट में किसान: बाजार और खरीददार के अभाव में सड़ रहे पपीते

लॉकडाउन के कारण इस बार बागवानी की खेती करने वाले किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बागवानी में पपीते की खेती करने के बाद फसल पककर जब तक तैयार हुई. तब तक लॉकडाउन लागू हो गया. ऐसे में अब पपीते की फसल खेत में ही खराब हो रही है.

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खरीदारी के अभाव में खेत में ही नष्ट हो रहे पपीते
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Published : Apr 19, 2020, 6:34 PM IST

जालोर. देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया है, जिसका सीधा असर क्षेत्र के किसानों पर पड़ा है. लॉकडाउन में जिले के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों ने बताया कि जिले में काफी किसान बागवानी की खेती करते हैं. इस बार जैसे फसल पककर तैयार होने का समय आया. तब तक कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लागू कर दिया.

खरीदारी के अभाव में खेत में ही नष्ट हो रहे पपीते

लॉकडाउन में व्यापारिक गतिविधियों पर रोक लगा देने के चलते बाहर से व्यापारी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे हालात में किसानों के खेतों में पपीते और अनार की फसल खराब हो रही है. जानकारी के अनुसार जिले में काफी किसानों ने इस बार पपीते की खेती की है. फसल पककर तैयार भी हो चुकी है, लेकिन पपीते खरीदने के लिए व्यापारी नहीं आने के कारण किसानों के आंखों के सामने अपनी पकी-पकाई फसल बर्बाद होती जा रही है. जिसके कारण किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ेंः एक उम्मीद थी...उस पर भी Corona का कहर, साहब...'लहलहाते टमाटर खेतों में सड़ गए'

किसान निम्बाराम चौधरी ने बताया कि अपने गांव अचलपुर में लाखों रुपये का खर्च करके पपीते के 8 बगीचे लगाए हैं, जिसमें पपीते की अच्छी पैदावार भी हुई है, लेकिन व्यापारियों के नहीं आने के कारण पपीते खेतों में ही खराब हो रहे हैं.

सरकार से राहत की उम्मीद...

बागवानी करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा बागवानी की खेती करने वाले किसानों का ध्यान रखते हुए व्यापारियों को आवागमन की छूट देते हैं तो किसानों को फायदा हो सकता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो पपीते की फसल खेतों में ही बर्बाद हो जाएगी, जिससे किसानों को लाखों का नुकसान होगा.

कौड़ियों के भाव में भी खरीदार नहीं...

जिले में कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए जारी लॉकडाउन में पपीते और अनार का कौड़ियों के भाव में भी कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. किसानों के अनुसार लॉकडाउन से पहले 15 से 20 रुपये किलो पपीते बाजार में होल के भाव में बिका करता था, लेकिन अब 5 रुपये किलो में भी कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

अन्य राज्यों से आते थे खरीदार...

किसानों ने बताया कि जिले में से अनार और पपीते की फसल खरीदने के लिए व्यापारी जोधपुर, गुजरात और महाराष्ट्र के व्यापारी आते हैं. लेकिन 22 मार्च के बाद लागू लॉकडाउन के कारण व्यापारी नहीं आ रहे हैं. अब मॉडिफाई लॉकडाउन में अगर किसानों को राहत देने के लिए सरकार द्वारा व्यापारियों के आवागमन की अनुमति देती है तो किसानों को काफी फायदा हो सकता है.

जिले में नहीं है कोल्ड स्टोरेज...

जिले की बागवानी में अनार, पपीते, आम सहित अन्य प्रकार की खेती किसान करते हैं. लेकिन बेमौसम बारिश या अन्य किसी कारण कई बार फसल किसानों के खेतों में खराब हो जाती है तो कई बार किसानों फसल का खरीदार नहीं मिलने से नुकसान होता है. जिले में बागवानी की खेती के लिए या फसल पकने के बाद रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज तक की सुविधा नहीं है, जिसके कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

जालोर. देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया है, जिसका सीधा असर क्षेत्र के किसानों पर पड़ा है. लॉकडाउन में जिले के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों ने बताया कि जिले में काफी किसान बागवानी की खेती करते हैं. इस बार जैसे फसल पककर तैयार होने का समय आया. तब तक कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लागू कर दिया.

खरीदारी के अभाव में खेत में ही नष्ट हो रहे पपीते

लॉकडाउन में व्यापारिक गतिविधियों पर रोक लगा देने के चलते बाहर से व्यापारी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे हालात में किसानों के खेतों में पपीते और अनार की फसल खराब हो रही है. जानकारी के अनुसार जिले में काफी किसानों ने इस बार पपीते की खेती की है. फसल पककर तैयार भी हो चुकी है, लेकिन पपीते खरीदने के लिए व्यापारी नहीं आने के कारण किसानों के आंखों के सामने अपनी पकी-पकाई फसल बर्बाद होती जा रही है. जिसके कारण किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं.

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किसान निम्बाराम चौधरी ने बताया कि अपने गांव अचलपुर में लाखों रुपये का खर्च करके पपीते के 8 बगीचे लगाए हैं, जिसमें पपीते की अच्छी पैदावार भी हुई है, लेकिन व्यापारियों के नहीं आने के कारण पपीते खेतों में ही खराब हो रहे हैं.

सरकार से राहत की उम्मीद...

बागवानी करने वाले किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा बागवानी की खेती करने वाले किसानों का ध्यान रखते हुए व्यापारियों को आवागमन की छूट देते हैं तो किसानों को फायदा हो सकता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो पपीते की फसल खेतों में ही बर्बाद हो जाएगी, जिससे किसानों को लाखों का नुकसान होगा.

कौड़ियों के भाव में भी खरीदार नहीं...

जिले में कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए जारी लॉकडाउन में पपीते और अनार का कौड़ियों के भाव में भी कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. किसानों के अनुसार लॉकडाउन से पहले 15 से 20 रुपये किलो पपीते बाजार में होल के भाव में बिका करता था, लेकिन अब 5 रुपये किलो में भी कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

अन्य राज्यों से आते थे खरीदार...

किसानों ने बताया कि जिले में से अनार और पपीते की फसल खरीदने के लिए व्यापारी जोधपुर, गुजरात और महाराष्ट्र के व्यापारी आते हैं. लेकिन 22 मार्च के बाद लागू लॉकडाउन के कारण व्यापारी नहीं आ रहे हैं. अब मॉडिफाई लॉकडाउन में अगर किसानों को राहत देने के लिए सरकार द्वारा व्यापारियों के आवागमन की अनुमति देती है तो किसानों को काफी फायदा हो सकता है.

जिले में नहीं है कोल्ड स्टोरेज...

जिले की बागवानी में अनार, पपीते, आम सहित अन्य प्रकार की खेती किसान करते हैं. लेकिन बेमौसम बारिश या अन्य किसी कारण कई बार फसल किसानों के खेतों में खराब हो जाती है तो कई बार किसानों फसल का खरीदार नहीं मिलने से नुकसान होता है. जिले में बागवानी की खेती के लिए या फसल पकने के बाद रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज तक की सुविधा नहीं है, जिसके कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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