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बागोड़ा में 84 दिन से धरना दे रहे किसानों ने शुरू किया महापड़ाव, हजारों की तादाद में जुट रहे किसान

जालोर के बागोड़ा उपखण्ड क्षेत्र के किसान पिछले 84 दिन से भारतमाला परियोजना के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन सरकार द्वारा सुनवाई नहीं करने के कारण किसानों ने शुक्रवार को महापड़ाव शुरू किया. किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर 29 फरवरी तक किसानों की वार्ता मुख्यमंत्री से नहीं करवाई गई तो वे आंदोलन को उग्र करेंगे.

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Published : Feb 28, 2020, 11:27 PM IST

जालोर किसान विरोध , Jalore news
किसानों का महापड़ाव

जालोर. केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित भारतमाला सड़क परियोजना के तहत बनने वाले एक्सप्रेस-वे विरोध में किसानों का बागोड़ा कस्बे में पिछले 84 दिनों से लगातार आंदोलन चल रहा था, लेकिन सुनवाई नहीं होने के कारण गुस्साए किसानों ने शुक्रवार को बागोड़ा-दादाल सड़क मार्ग पर बनाए गए किसान बाग में राष्ट्रीय किसान नेता और सुप्रीम कोर्ट वकील चौधरी रमेश दलाल के नेतृत्व में महापड़ाव शुरू कर दिया. साथ ही किसानों ने कहा कि अगर 29 फरवरी तक किसानों की वार्ता मुख्यमंत्री से नहीं करवाई गई तो वे आंदोलन को उग्र करेंगे.

किसानों का महापड़ाव

इस महापड़ाव में जिले सहित प्रदेश के अन्य जिलों के हजारों किसान एकत्रित हो रहे है. इस धरने को संबोधित करते हुए दलाल ने कहा कि किसान पिछले 84 दिन से धरना दे रहे है, लेकिन सरकार और नेता उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे है. जिसके कारण गुस्साएं किसान महापड़ाव पर बैठे है.

किसानों का कहना है कि जब तक जिले की सायला, बागोड़ा, भीनमाल, चितलवाना और सांचोर तहसील के गांवों में होकर निकल रहा. जोकि प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे को नेशनल हाईवे 68 पर ले जाने का आदेश नहीं दिया जाता तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा.इस महापड़ाव में प्रदेश के हनुमानगढ़, बीकानेर, सूरतगढ़, बाड़मेर, रामसर, सिवाना, बागोड़ा, सायला, सांचोर सहित गुजरात के प्रभावित किसान शामिल है.

पढ़ेंः जालोर : निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर सरगरा समाज ने एडीएम को दिया ज्ञापन


किसानों की प्रमुख मांगें

भारतमाला का सर्वे होने के बाद से ही जिले के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि तीन फसली सिंचित भूमि छोड़ के असिंचित कृषि भूमि से हाईवे निकाला जाए. मेगा हाईवे पचपदरा से वाया सिणधरी, रामजी का गोल होते हुए परियोजना की सड़क एनएच 68 पर ले जाया जाए. इस सर्वे में भारतमाला परियोजना से नर्मदा नहर भी प्रभावित होगी.

इसके अलावा इन गांवों में सिंचित 50 हजार हेक्टेयर भूमि नकारा हो रही है जिसके सर्वे में जगह-जगह पर मोड दिए गए हैं. किसानों का कहना है कि भूमि अवाप्ति के दौरान आने वाले रास्तों पर खेतों के दो भागों में विभाजित होने पर ओवरब्रिज की व्यवस्था की जाए. साथ ही रोड के दोनों तरफ लिंक रोड बनाकर किसानों के खेत में आने-जाने की व्यवस्था की जाए. भारतमाला परियोजना के तहत अब तक भूमि अधिग्रहण की गई है उसका उचित मुआवजा दिया जाए.

जालोर. केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित भारतमाला सड़क परियोजना के तहत बनने वाले एक्सप्रेस-वे विरोध में किसानों का बागोड़ा कस्बे में पिछले 84 दिनों से लगातार आंदोलन चल रहा था, लेकिन सुनवाई नहीं होने के कारण गुस्साए किसानों ने शुक्रवार को बागोड़ा-दादाल सड़क मार्ग पर बनाए गए किसान बाग में राष्ट्रीय किसान नेता और सुप्रीम कोर्ट वकील चौधरी रमेश दलाल के नेतृत्व में महापड़ाव शुरू कर दिया. साथ ही किसानों ने कहा कि अगर 29 फरवरी तक किसानों की वार्ता मुख्यमंत्री से नहीं करवाई गई तो वे आंदोलन को उग्र करेंगे.

किसानों का महापड़ाव

इस महापड़ाव में जिले सहित प्रदेश के अन्य जिलों के हजारों किसान एकत्रित हो रहे है. इस धरने को संबोधित करते हुए दलाल ने कहा कि किसान पिछले 84 दिन से धरना दे रहे है, लेकिन सरकार और नेता उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे है. जिसके कारण गुस्साएं किसान महापड़ाव पर बैठे है.

किसानों का कहना है कि जब तक जिले की सायला, बागोड़ा, भीनमाल, चितलवाना और सांचोर तहसील के गांवों में होकर निकल रहा. जोकि प्रस्तावित एक्सप्रेस-वे को नेशनल हाईवे 68 पर ले जाने का आदेश नहीं दिया जाता तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा.इस महापड़ाव में प्रदेश के हनुमानगढ़, बीकानेर, सूरतगढ़, बाड़मेर, रामसर, सिवाना, बागोड़ा, सायला, सांचोर सहित गुजरात के प्रभावित किसान शामिल है.

पढ़ेंः जालोर : निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर सरगरा समाज ने एडीएम को दिया ज्ञापन


किसानों की प्रमुख मांगें

भारतमाला का सर्वे होने के बाद से ही जिले के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि तीन फसली सिंचित भूमि छोड़ के असिंचित कृषि भूमि से हाईवे निकाला जाए. मेगा हाईवे पचपदरा से वाया सिणधरी, रामजी का गोल होते हुए परियोजना की सड़क एनएच 68 पर ले जाया जाए. इस सर्वे में भारतमाला परियोजना से नर्मदा नहर भी प्रभावित होगी.

इसके अलावा इन गांवों में सिंचित 50 हजार हेक्टेयर भूमि नकारा हो रही है जिसके सर्वे में जगह-जगह पर मोड दिए गए हैं. किसानों का कहना है कि भूमि अवाप्ति के दौरान आने वाले रास्तों पर खेतों के दो भागों में विभाजित होने पर ओवरब्रिज की व्यवस्था की जाए. साथ ही रोड के दोनों तरफ लिंक रोड बनाकर किसानों के खेत में आने-जाने की व्यवस्था की जाए. भारतमाला परियोजना के तहत अब तक भूमि अधिग्रहण की गई है उसका उचित मुआवजा दिया जाए.

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