जालोर. जिले में पेयजल किल्लत को देखते हुए कांग्रेस की सरकार ने 2013 में नर्मदा नहर से पानी लेकर फिल्टर प्लांट के जरिए गांवों के लोगों के हलक तर करने के लिए डीआर प्रोजेक्ट्स बनाया था. यह 255 करोड़ से ज्यादा की लागत से तैयार होना था. इस प्रोजेक्ट से सांचौर, रानीवाड़ा और जसवंतपुरा कस्बे सहित 138 गांवों तक मीठा पानी पहुंचाने की योजना थी, लेकिन पिछले साल 22 नए गांव जोड़ दिए है. जिसके बाद अब 160 गांवों में इसी प्रोजेक्ट से पानी की आपूर्ति होगी.
इस प्रोजेक्ट स्वीकृति के 7 साल बाद 80 फीसदी प्रोजेक्ट का कार्य पूरा हो चुका है और अब 110 गांवों को पानी मिलना शुरू हो गया है. जिससे पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली है. जिले के गांवों में उपलब्ध पानी के अंदर फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने के कारण लोगों को पीने के मीठे पानी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन अब इस डीआर प्रोजेक्ट के चलते लोगों को मीठा पानी मिलना शुरू हो गया है. जिससे लोगों को अब फ्लोराइड वाले पानी से मुक्ति मिल गई है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव क्षेत्र में पीने के मीठे पानी के लिए कई किमी का पैदल सफर करना पड़ता था, लेकिन अब मीठे पानी की सप्लाई गांव के जीएलआर तक हो रही है. इसके अलावा कुछ गांवों में घर-घर पानी की आपूर्ति शुरू हो गई है.
क्लस्टर के कार्य के लिए बजट का इंतजार
प्रदेश की सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 255 करोड़ की मंजूरी दी थी. जिसके तहत पानी गांव के बड़े जीएलआर तक पहुंचाया जाना है, लेकिन गांव के जीएलआर से लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने के लिए क्लस्टर के लिए योजना का कार्य अभी तक बाकी है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि क्लस्टर के लिए राज्य सरकार की ओर से बजट नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण यह कार्य अधूरा है. 255 करोड़ के डीआर प्रोजेक्ट से 160 गांवों के लोगों की होगी हलक तर, 110 गांवों में पानी की सप्लाई हुई शुरू, बजट के अभाव में क्लस्टर का काम अटका हुआ है.
5.80 करोड़ लीटर पानी प्रतिदिन उपलब्ध करवाने का लक्ष्य
नर्मदा नहर से पानी लेकर पहाड़पुरा स्थित फिल्टर प्लांट के पानी को फिल्टर करके सांचौर और रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के 160 गांवों में सप्लाई होना है. इस डीआर प्रोजेक्ट के अंदर 2026 तक प्रथम फेस में 4 करोड़ 62 लाख लीटर पानी प्रतिदिन उपलब्ध करवाया जाएगा. वहीं 2041 तक दूसरे फेस में 5.80 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई का लक्ष्य रखा हुआ है.
255 करोड़ में से 161 करोड़ हो गए खर्च
इस डीआर प्रोजेक्ट में 255 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया था. जिसमें 138 गांवों में पानी पहुंचाने का दावा था, लेकिन बाद में 22 गांव नए जोड़ दिए थे. जिसके बाद अब इसी बजट में 160 गांवों तक पानी पहुंचाने के अलावा 10 साल तक का रखरखाव भी इसी कम्पनी को करना है. अभी तक इस प्रोजेक्ट में 161 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके है. अभी तक 80 फीसदी कार्य पूरा हुआ है. आने वाले दिसम्बर तक कम्पनी 100 फीसदी कार्य करने का दावा कर रही है.
काडा ऑपरेटिंग सिस्टम से होती है पूरी मॉनिटरिंग
डीआर प्रोजेक्ट में पहाड़पुरा में बने डीआर प्रोजेक्ट को अगार की सरहद में नर्मदा मुख्य कैनाल से जोड़ा गया है. अगार गांव से 4.5 किमी लम्बी 900 mm की पाइप लाइन लगाई गई है. इससे पानी पहाड़पुरा में बनी 105 करोड़ लीटर क्षमता वाली स्टोरेज डिग्गी में पानी को एकत्रित किया जाता है. आरओ प्लांट में फिल्टर करने के बाद पाइप लाइन से विभिन्न गांवों से होते हुए जसवंतपुरा के पास राजिकावास, बड़गांव और धानोल के आखिरी पॉइंट तक जाता है. इस पूरी प्रकिया की काडा ऑपरेटिंग सिस्टम से पहाड़पुरा में बने आफिस से मॉनिटरिंग की जाती है. इतना अत्याधुनिक सिस्टम लगा हुआ है. जिससे कौनसी पाइप में किस फ्लो से पानी चल रहा है और कब किस पाईप लाइन को बंद करना है या डायवर्ड करना है. सब इसी सिस्टम से आफिस में बैठे बैठे किया जा सकता है. इसके अलावा कहीं पर पाइप लाइन को लीकेज करने की कोशिश की जाती है तो भी पता लग जाता है.
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अब तक इतना कार्य हो चुका है पूरा
इस पेयजल प्रोजेक्ट में 160 गांवों और ढ़ाणियों में 78 एसआर टंकियां,18 पंप हाउस, 17 सीडब्ल्यूआर बन गए. इसके अलावा 1,968 सार्वजनिक नल और 1,244 पशुओं के पानी पीने के लिए खेली और पहाड़पुरा से आखिरी पॉइंट तक 125 किमी तक पाइप लाइन का कार्य पूरा हो चुका है.
2015 में पूरा होना था कार्य, अभी तक नहीं हुआ
राज्य सरकार ने डीआर प्रोजेक्ट के लिए 8 फरवरी 2013 में कार्य स्वीकृति आदेश एनसीसी कंपनी के नाम जारी किया गया था. जिसमें 24 महीने में प्रोजेक्ट पूरा करना था. इसके अलावा आगामी 10 सालों तक रखरखाव का कार्य भी इसी कम्पनी के जिम्मे था, लेकिन 2020 तक भी कार्य पूरा नहीं हो पाया है. लेट लतीफी के चलते एक कंपनी को ब्लैकलिस्ट भी किया जा चुका है और अब दूसरी कम्पनी को ठेका दिया हुआ है.