जालोर. लॉकाडाउन के दौरान खुद और दूसरों का ख्याल कैसे रखना चाहिए जालोर जिले के भीनमान इलाके में रहने वाले रूपराम से बेहतर शायद कोई नहीं जानता. छोटे से गांव सेवड़ी में रहने वाले रूपाराम कुछ दिन पहले ही हैदराबाद से घर लौटे हैं. प्राथमिक जांच के बाद रुपराम 14 दिन के लिए होम क्वॉरेंनटाइन है.
खाली समय का सही उपयोग करने के लिए रुपाराम गर्मी के दिनों को देखते हुए पक्षियों के लिए घोसलें और परिंडे बनाकर उनके रहने और खाने-पीने के लिए माकूल व्यवस्था कर दी है.
- होम क्वारंटाइन में प्रक्रति और पक्षियों से इश्क
- बेजुबां पक्षियों के लिए आशियाने का इंतजाम
- 16 क्वार्टर के घोंसले और परिदों का बना रहा रुपाराम
युवक द्वारा बनाए गए इस घोसले 16-क्वार्टर बने हुए है. कागज के गत्ते और अंदर से लोहे के तार से मजबूती के साथ इसका निर्माण किया गया है. इस वीआईपी 16 क्वार्टर के घोंसले को जब पेड़ पर लटकाया गया तो, पक्षियों ने तुंरत कब्जा जमाकर अपने अपने क्वार्टर ले लिए. प्रवासी रुडाराम बताते है कि इस तरह के कार्य से मन को खुशी मिलती है. लॉक डाउन के अंतर्गत 16 क्वार्टर का घोसला, अलग अलग तरह के कई परिडों का भी निर्माण किया गया है.
लॉकडाउन का सदपयोग:
इन घोसलों का निर्माण घर की अनुउपयोगी चीजों से किया गया है. लॉकडाउन के दौरान घर रहकर, घर में पड़ी अनुउपयोगी चीजों से जुगाड़ कर के पक्षियों के लिए परिडें और घोसलें तैयार किए गए है. इस बनाने के लिए कागज का गत्ता, तेल के डिब्बे, लोहे के तार सहित कई वस्तुओं से तैयार किया गया है.
खाने-पीने की व्यवस्था:
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रूपाराम चौधरी की इस पहल की वजह से अब गांव और आसपास के लोग भी इससे सीख ले रहे हैं. पास-पड़ोस के लोग भी अब करोना से बचने और लॉकडाउन का सदुपयोग करने के लिए घोसले और परिंडों को बना रहे हैं. पक्षियों के खाने-पीने को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण खाने पीने की कुछ चीजें में रख रहे हैं. ताकि घोंसलों और परिंडों में आने वाले पक्षियों को भटकना ना पड़े.