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48 घंटे के भीतर 'दुश्मन' का सफाया करने मैदान में उतरेगी भारतीय सेना...पाकिस्तान की सांसे फूली

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Published : Nov 28, 2019, 7:10 PM IST

पाकिस्तान की ओर से लगातार बढ़ रही नापाक हरकतों को देखते हुए दुश्मन देश को अपनी ताकत का एहसास करवाने के लिए भारतीय सेना की सुदर्शन चक्र स्ट्राइक कोर और वायु सेना एक साथ पोकरण में युद्धाभ्यास करने जा रही है. जिसके तहत पूर्व युद्धाभ्यास शुरू भी हो चुका है.

Pokaran Field Firing Range, पोकरण में सेना का युद्धाभ्यास
पोकरण में भारतीय सेना का बड़ा युद्धाभ्यास

जैसलमेर. पाकिस्तान की ओर से लगातार बढ़ रही नापाक हरकतों को देखते हुए दुश्मन देश को अपनी ताकत का एहसास करवाने के लिए भारतीय सेना की सुदर्शन चक्र स्ट्राइक कोर वायु सेना के साथ मिलकर जैसलमेर के थार में अभ्यास करने जा रही है. जिसके लिए पूर्वाभ्यास के तौर पर रेगिस्तान में पिछले कई दिनों भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता का जोरदार प्रदर्शन कर रही है.

48 घंटे के भीतर दुश्मन का सफाया करने मैदान में उतरेगी भारतीय सेना

इस दशक के सबसे बड़े सिन्धु सुदर्शन नामक इस युद्धाभ्यास का दूसरा व अंतिम चरण कल से प्रारम्भ हो रहा है. यह युद्धाभ्यास जैसलमेर के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में कल से शुरू होने जा रहा है. जहां दूसरे चरण में भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के अन्तर्गत भोपाल स्थित स्ट्राइक कोर सुदर्शन चक्र वाहिनी के साथ-साथ अन्य कई डिवीजन के साथ ही भारतीय वायुसेना के इस युद्धाभ्यास में करीब 40 हजार सैनिक और अधिकारी हिस्सा लेंगे.

इस युद्धाभ्यास में भारतीय सेना के 40 हजार जवान, 450 युद्धक टैंक और गन, कई प्रकार के गाइडेड बम, अपनी कॉम्बैट डीप स्ट्राइक क्षमता में युद्धकालीन परिस्थितियों के तौर तरीकों का अभ्यास कर रहे हैं. अभ्यास में पहली बार भारत में निर्मित के-9 वज्र गन जोरदार मारक क्षमता का प्रदर्शन कर रही है. यह गन हाल ही में भारतीय सेना में शामिल की गई है और यह सेना में शामिल सबसे लंबी दूरी पर मार करने वाली गन है.

यह गन अभ्यास के दौरान दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों पर अचूक निशाना साधकर रेगिस्तानी क्षेत्र में जलजला पैदा करेगी. इस युद्धाभ्यास में एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर रुद्र का भी प्रदर्शन किया जाएगा. अभ्यास में टैंक और इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स से युक्त पूरे यंत्रीकृत संरचनाओं से अभ्यास किया जा रहा है. असल में समय-समय पर भारतीय सेना अपनी युद्ध रणनीति में बदलाव करती रहती है. वर्तमान में तैयार की गई नई रणनीति के तहत महज 48 घंटों ने जबरदस्त प्रहार के साथ आगे बढ़ते हुए दुश्मन के बड़े भूभाग पर कब्जा जमाने की नई रणनीति तैयार की गई है.

पढ़ें: स्पेशल स्टोरी : मंत्रियों और अफसरों को गार्ड ऑफ ऑनर देने वाले जवान खुद बरामदों में सोने को मजबूर

जिसे परखने के लिए भारतीय सेना के चालीस हजार से अधिक जवान व अधिकारी थार के रेगिस्तान में पसीना बहा रहे है. भारतीय सेना पूर्व सुदर्शन चक्र वाहिनी का पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए जैसलमेर के रेगिस्तानी इलाकों व पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में पूर्व युद्धाभ्यास शुरू हो चुका है. जिसमें अपनी मारक क्षमता का परीक्षण करने के लिए काल्पनिक युद्ध का अभ्यास सिंधु सुदर्शन नामक फायर पावर डेमोस्ट्रेशन का आयोजन दक्षिणी सेना के सुदर्शन चक्र कोर द्वारा किया जा रहा है.

महज 48 घंटे में दुश्मन के ठिकानों को फतह करने के लक्ष्य से थल सेना की टुकड़ियां एक इलाके में युद्ध जैसा नजारा प्रस्तुत कर रही है. टैंको, गन और रॉकेट लॉन्चर सहित बमों की आवाज से पाकिस्तान की सीमा के भीतर भी कड़ा संदेश पहुंचाया जा रहा है.

जैसलमेर. पाकिस्तान की ओर से लगातार बढ़ रही नापाक हरकतों को देखते हुए दुश्मन देश को अपनी ताकत का एहसास करवाने के लिए भारतीय सेना की सुदर्शन चक्र स्ट्राइक कोर वायु सेना के साथ मिलकर जैसलमेर के थार में अभ्यास करने जा रही है. जिसके लिए पूर्वाभ्यास के तौर पर रेगिस्तान में पिछले कई दिनों भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता का जोरदार प्रदर्शन कर रही है.

48 घंटे के भीतर दुश्मन का सफाया करने मैदान में उतरेगी भारतीय सेना

इस दशक के सबसे बड़े सिन्धु सुदर्शन नामक इस युद्धाभ्यास का दूसरा व अंतिम चरण कल से प्रारम्भ हो रहा है. यह युद्धाभ्यास जैसलमेर के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में कल से शुरू होने जा रहा है. जहां दूसरे चरण में भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के अन्तर्गत भोपाल स्थित स्ट्राइक कोर सुदर्शन चक्र वाहिनी के साथ-साथ अन्य कई डिवीजन के साथ ही भारतीय वायुसेना के इस युद्धाभ्यास में करीब 40 हजार सैनिक और अधिकारी हिस्सा लेंगे.

इस युद्धाभ्यास में भारतीय सेना के 40 हजार जवान, 450 युद्धक टैंक और गन, कई प्रकार के गाइडेड बम, अपनी कॉम्बैट डीप स्ट्राइक क्षमता में युद्धकालीन परिस्थितियों के तौर तरीकों का अभ्यास कर रहे हैं. अभ्यास में पहली बार भारत में निर्मित के-9 वज्र गन जोरदार मारक क्षमता का प्रदर्शन कर रही है. यह गन हाल ही में भारतीय सेना में शामिल की गई है और यह सेना में शामिल सबसे लंबी दूरी पर मार करने वाली गन है.

यह गन अभ्यास के दौरान दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों पर अचूक निशाना साधकर रेगिस्तानी क्षेत्र में जलजला पैदा करेगी. इस युद्धाभ्यास में एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर रुद्र का भी प्रदर्शन किया जाएगा. अभ्यास में टैंक और इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स से युक्त पूरे यंत्रीकृत संरचनाओं से अभ्यास किया जा रहा है. असल में समय-समय पर भारतीय सेना अपनी युद्ध रणनीति में बदलाव करती रहती है. वर्तमान में तैयार की गई नई रणनीति के तहत महज 48 घंटों ने जबरदस्त प्रहार के साथ आगे बढ़ते हुए दुश्मन के बड़े भूभाग पर कब्जा जमाने की नई रणनीति तैयार की गई है.

पढ़ें: स्पेशल स्टोरी : मंत्रियों और अफसरों को गार्ड ऑफ ऑनर देने वाले जवान खुद बरामदों में सोने को मजबूर

जिसे परखने के लिए भारतीय सेना के चालीस हजार से अधिक जवान व अधिकारी थार के रेगिस्तान में पसीना बहा रहे है. भारतीय सेना पूर्व सुदर्शन चक्र वाहिनी का पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए जैसलमेर के रेगिस्तानी इलाकों व पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में पूर्व युद्धाभ्यास शुरू हो चुका है. जिसमें अपनी मारक क्षमता का परीक्षण करने के लिए काल्पनिक युद्ध का अभ्यास सिंधु सुदर्शन नामक फायर पावर डेमोस्ट्रेशन का आयोजन दक्षिणी सेना के सुदर्शन चक्र कोर द्वारा किया जा रहा है.

महज 48 घंटे में दुश्मन के ठिकानों को फतह करने के लक्ष्य से थल सेना की टुकड़ियां एक इलाके में युद्ध जैसा नजारा प्रस्तुत कर रही है. टैंको, गन और रॉकेट लॉन्चर सहित बमों की आवाज से पाकिस्तान की सीमा के भीतर भी कड़ा संदेश पहुंचाया जा रहा है.

Intro:Body:सेना के युद्धाभ्यास का दूसरा चरण कल से पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में होगा आयोजित

दक्षिणी सेना सुदर्शन चक्र वाहिनी के साथ करेगी युद्धाभ्यास

29 नवम्बर से 4 दिसंबर तक होगा आयोजन

अभ्यास में टैंक व इन्फेंट्री कॉम्बेक्ट व्हीकल्स से युक्त पूरे यंत्रीकृत संरचनाओं से होगा अभ्यास

फिलहाल फील्ड फायरिंग रेंज में चल रहा पूर्वाभ्यास

युद्धाभ्यास के द्वितीय चरण की तैयारियों को दिया जा रहा अंतिम रूप

पाकिस्तान की लगातार बढ़ रही नापाक हरकते को देखते हुए दुश्मन देश को अपनी ताकत का एहसास करवाने के लिये भारतीय सेना की सुर्दशन चक्र स्ट्राइक कोर वायु सेना के साथ मिलकर जैसलमेर के थार के रेगिस्तान में पिछले कई दिनों से अपनी मारक क्षमता का जोरदार प्रदर्शन कर रही है, इस दशक के सबसे बड़े सिन्धु सुदर्शन नामक इस युद्धाभ्यास का दूसरा व अंतिम चरण कल से प्रारम्भ हो रहा है। जैसलमेर के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में कल से शुरू हो रहे दूसरे चरण में भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के अन्तर्गत भोपाल स्थित स्ट्राइक कोर सुदर्शन चक्र वाहिनी के साथ-साथ अन्य कई डिवीजन और भारतीय वायुसेना के इस युद्धाभ्यास में करीब 40,000 सैनिक और अधिकारी हिस्सा लेगें।

इस युद्ध अभ्यास में भारतीय सेना के 40 हजार जवान, 450 युद्धक टैंक और गन ,कई प्रकार के गाइडेड बम , अपनी कॉम्बोट डीप स्ट्राइक क्षमता में युद्धकालीन परिस्थितियों के तौर तरीकों का अभ्यास कर रहे हैं। अभ्यास में पहली बार भारत में निर्मित के-9 वज्र गन जोरदार मारक क्षमता का प्रदर्शन कर रही है। यह गन हाल में भारतीय सेना में शामिल की गई है और यह सेना में शामिल सबसे लंबी दूरी पर मार करने वाली गन है। इस गन ने अपनी दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों पर अचूक निशाने साधकर रेगिस्तानी क्षेत्र में जलजला पैदा करेगी। इस युद्धाभ्यास में एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर रुद्र का भी प्रदर्शन किया जाएगा। अभ्यास में टैंक और इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स से युक्त पूरे यंत्रीकृत संरचनाओं से अभ्यास किया जा रहा है।
असल में समय-समय पर भारतीय सेना अपनी युद्ध रणनीति में बदलाव करती रहती है। वर्तमान में तैयार की गई नई रणनीति के तहत महज 48 घंटों ने जबरदस्त प्रहार के साथ आगे बढ़ते हुए दुश्मन के बड़े भूभाग पर कब्जा जमाने की नई रणनीति तैयार की गई है। इसे परखने के लिए भारतीय सेना के चालीस हजार से अधिक जवान व अधिकारी थार के रेगिस्तान में काल्पनिक युद्ध का अभ्यास पूर्व सिंधु दर्शन का कई दिन से पसीना बहा रहे है। भारतीय सेना पूर्व सुदर्शन चक्र वाहिनी का पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए जैसलमेर के रेगिस्तानी इलाकों व पीकरण फील्ड फायरिंग रेंज में अपनी मारक क्षमता का परीक्षण करने के लिए काल्पनिक युद्ध का अभ्यास सिंधु सुदर्शन नामक फायर पवार डेमोस्ट्रेशन का आयोजन दक्षिणी सेना के सुदर्शन चक्र कोर द्वारा किया जा रहा है. जिसमें 40,000 से अधिक सैनिक 450 से ज्यादा युद्धक टेंक गन अपने लड़ाकू युद्ध कौशल को दिखा रहे है ।
महज 48 घंटे में दुश्मन के ठिकानों को फतह करने के लक्ष्य से थल सेना की टुकड़ियों एक इलाके में युद्ध जैसा नजारा प्रस्तुत कर रही है। चारो तरफ जोरदार माहौल, की, टैंको, गनो, राॅकेट लाॅन्चर से निकले हुवें बमो ने पूरी रेंज में एक ऐसा जीवन्त माहौल बनाया है कि सीमा पार बैठे पाकिस्तान तक भी आवाज़े पहुंच रही है ।

पीटीसी : राधेश्याम सुथार - जैसलमेर Conclusion:
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