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पाक विस्थापित मासूमों की अच्छी शिक्षा के आड़े आ रही है नागरिकता

जैसलमेर में पाकिस्तान विस्थापितों की नई पीढ़ी नागरिकता के जटिल नियमों का दंश भुगत रही है.हालात यह है कि जैसलमेर में रह रही 500 से अधिक पाकिस्तान विस्थापित परिवारों के बच्चों को शिक्षा हासिल करने में दिक्कत आ रही है.इन पाकिस्तानी विस्थापित छात्र-छात्राओं में से अधिकतर जोधपुर और जैसलमेर में रहने वाले विस्थापित परिवारों के विद्यार्थी हैं.

भारतीय नागरिकता न होने के कारण नहीं मिल रही शिक्षा
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Published : May 31, 2019, 11:24 AM IST

जैसलमेर. जिले में करीब 500 से अधिक ऐसे पाक नागरिकों के परिवार निवास करते हैं.जिनके अब तक अबतक नागरिकता नहीं मिली है हालांकि इनकी ओर से नागरिकता के लिए आवेदन किए हुए हैं और आगामी समय में नागरिकता मिल भी जाएगी.नागरिकता ना होने के कारण उन्हें सरकारी योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है.

वहीं शिक्षा के अधिकार कानून का लाभ भी नहीं मिल रहा है.उससे यह परिवार काफी परेशान है यह चाह कर भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों को इस कानून के तहत एडमिशन नहीं करवा पा रहे हैं.पाक विस्थापितों का कहना है कि बच्चों को निजी स्कूल में आरटीई के तहत अध्ययन करवाना चाहता हूं. लेकिन जाति प्रणाम पत्र के अभाव में प्रवेश नहीं मिल रहा है.

भारतीय नागरिकता न होने के कारण नहीं मिल रही शिक्षा

गत साल ऐसा ही एक मामला नवोदय विद्यालय में सामने आया था पहले उसे एडमिशन के लिए रोक दिया था. लेकिन बाद में केंद्र सरकार की तरफ से आए आदेश पर पाक नागरिक के एक बच्चे का एडमिशन नवोदय में हो गया.जबकि निजी स्कूल में आरटीई में केवल शिक्षा निशुल्क है और वहां पर एडमिशन नहीं हो रहा है.

ऐसे में जैसलमेर में कई पाक नागरिकों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है,लेकिन इसके विपरीत कुछ पाक नागरिक भारतीय नागरिकता से वंचित है. जिलके चलते परिवारों के मासूम को बेहतर शिक्षा नहीं मिल रही है. पाकिस्तान विस्थापित बच्चों की शिक्षा की समस्या के समाधान की तो समस्या ही है साथ ही विस्थापित परिवारों की आजीविका आश्रय जैसी समस्याएं भी समझ कर उनका समाधान करना होगा.

जैसलमेर. जिले में करीब 500 से अधिक ऐसे पाक नागरिकों के परिवार निवास करते हैं.जिनके अब तक अबतक नागरिकता नहीं मिली है हालांकि इनकी ओर से नागरिकता के लिए आवेदन किए हुए हैं और आगामी समय में नागरिकता मिल भी जाएगी.नागरिकता ना होने के कारण उन्हें सरकारी योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है.

वहीं शिक्षा के अधिकार कानून का लाभ भी नहीं मिल रहा है.उससे यह परिवार काफी परेशान है यह चाह कर भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों को इस कानून के तहत एडमिशन नहीं करवा पा रहे हैं.पाक विस्थापितों का कहना है कि बच्चों को निजी स्कूल में आरटीई के तहत अध्ययन करवाना चाहता हूं. लेकिन जाति प्रणाम पत्र के अभाव में प्रवेश नहीं मिल रहा है.

भारतीय नागरिकता न होने के कारण नहीं मिल रही शिक्षा

गत साल ऐसा ही एक मामला नवोदय विद्यालय में सामने आया था पहले उसे एडमिशन के लिए रोक दिया था. लेकिन बाद में केंद्र सरकार की तरफ से आए आदेश पर पाक नागरिक के एक बच्चे का एडमिशन नवोदय में हो गया.जबकि निजी स्कूल में आरटीई में केवल शिक्षा निशुल्क है और वहां पर एडमिशन नहीं हो रहा है.

ऐसे में जैसलमेर में कई पाक नागरिकों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है,लेकिन इसके विपरीत कुछ पाक नागरिक भारतीय नागरिकता से वंचित है. जिलके चलते परिवारों के मासूम को बेहतर शिक्षा नहीं मिल रही है. पाकिस्तान विस्थापित बच्चों की शिक्षा की समस्या के समाधान की तो समस्या ही है साथ ही विस्थापित परिवारों की आजीविका आश्रय जैसी समस्याएं भी समझ कर उनका समाधान करना होगा.

Intro:मनीष व्यास जैसलमेर

यह उनके पुरखों की जमीन है और बंटवारे के कारण जमीन बट गई तो सरहद पार से यहां उनका आकर रहना कमाना और पढ़ना सब दुश्वार हो गया ।पाकिस्तान विस्थापितों की नई पीढ़ी नागरिकता के जटिल नियमों का दंश भुगत रही है हालात यह है कि जैसलमेर में रह रही 500 से अधिक पाकिस्तान विस्थापित परिवारों के विद्यार्थियों को शिक्षा हासिल करने में दिक्कत पेश आ रही है ।केवल जैसलमेर में ही लगभग 500 से अधिक पाकिस्तान विस्थापित विद्यार्थियों में से स्कूल जाने की उम्र वाले लगभग आधे से ज्यादा विद्यार्थी शिक्षा से वंचित है इन पाकिस्तानी विस्थापित छात्र-छात्राओं में से अधिकतर जोधपुर और जैसलमेर में रहने वाले विस्थापित परिवारों के विद्यार्थी है।


Body:जानकारी के अनुसार जैसलमेर में करीब 500 से अधिक ऐसे पाक नागरिकों के परिवार निवास करते हैं। जिनके अब तक नागरिकता नहीं मिली है हालांकि इनकी ओर से नागरिकता के लिए आवेदन किए हुए हैं और आगामी समय में नागरिकता मिल भी जाएगी लेकिन उससे पहले यह लोग यहां कभी किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं ।सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिले तो चलता है लेकिन शिक्षा के अधिकार कानून का लाभ भी नहीं मिल रहा है उससे यह परिवार काफी परेशान है यह चाह कर भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों को इस कानून के तहत एडमिशन नहीं करवा पा रहे हैं।


Conclusion:पाक विस्थापितों का कहना है कि बच्चों को निजी स्कूल में आरटीई के तहत अध्ययन करवाना चाहता हूं जाति प्रणाम पत्र के अभाव में प्रवेश नहीं मिल रहा है। गत साल ऐसा ही एक मामला नवोदय विद्यालय में सामने आया था पहले उसे एडमिशन के लिए रोक दिया था। लेकिन बाद में केंद्र सरकार की तरफ से आए आदेश पर पाक नागरिक के एक बच्चे को एडमिशन नवोदय में हो गया ।जबकि निजी स्कूल में आरटीई में केवल शिक्षा ही निशुल्क है और वहां पर एडमिशन नहीं हो रहा है। ऐसे में जैसलमेर में कई पाक नागरिकों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है और इन परिवारों को अब किसी तरह परेशानी नहीं है लेकिन इसके विपरीत भारतीय नागरिकता से अब तक वंचित रहे परिवारों के मासूम को बेहतर शिक्षा नहीं मिल रही है ।नागरिकता का मामला उनके आड़े आ रहा है ।पाकिस्तान विस्थापित बच्चों की शिक्षा की समस्या के समाधान की तो समस्या ही है विस्थापित परिवारों की आजीविका आश्रय जैसी समस्याएं भी समझ कर उनका समाधान करना होगा ।
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