जैसलमेर. जिले में करीब 500 से अधिक ऐसे पाक नागरिकों के परिवार निवास करते हैं.जिनके अब तक अबतक नागरिकता नहीं मिली है हालांकि इनकी ओर से नागरिकता के लिए आवेदन किए हुए हैं और आगामी समय में नागरिकता मिल भी जाएगी.नागरिकता ना होने के कारण उन्हें सरकारी योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है.
वहीं शिक्षा के अधिकार कानून का लाभ भी नहीं मिल रहा है.उससे यह परिवार काफी परेशान है यह चाह कर भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों को इस कानून के तहत एडमिशन नहीं करवा पा रहे हैं.पाक विस्थापितों का कहना है कि बच्चों को निजी स्कूल में आरटीई के तहत अध्ययन करवाना चाहता हूं. लेकिन जाति प्रणाम पत्र के अभाव में प्रवेश नहीं मिल रहा है.
गत साल ऐसा ही एक मामला नवोदय विद्यालय में सामने आया था पहले उसे एडमिशन के लिए रोक दिया था. लेकिन बाद में केंद्र सरकार की तरफ से आए आदेश पर पाक नागरिक के एक बच्चे का एडमिशन नवोदय में हो गया.जबकि निजी स्कूल में आरटीई में केवल शिक्षा निशुल्क है और वहां पर एडमिशन नहीं हो रहा है.
ऐसे में जैसलमेर में कई पाक नागरिकों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है,लेकिन इसके विपरीत कुछ पाक नागरिक भारतीय नागरिकता से वंचित है. जिलके चलते परिवारों के मासूम को बेहतर शिक्षा नहीं मिल रही है. पाकिस्तान विस्थापित बच्चों की शिक्षा की समस्या के समाधान की तो समस्या ही है साथ ही विस्थापित परिवारों की आजीविका आश्रय जैसी समस्याएं भी समझ कर उनका समाधान करना होगा.